अकबर का परिचय Jalaluddin Akbar
- अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 ई. में हुमायुँ के प्रवास के दौरान अमर कोट में राणा वीरसाल के महल में हुआ था
- अकबर की माँ का नाम हमीदा बानो बेगम था अकबर के बचपन का नाम बदरूद्दीन था
अकबर का राज्यभिषेक
- अकबर का राज्यभिषेक 1556 ई. में बैरम खां के संरक्षण में कलानोर में हुआ था 1560 ई. तक अकबर ने बैरम खां के संरक्षण में कार्य किया और बैरम खां को वकील नियुक्त किया गया
पानीपत का द्वतीय युध्द
- सिहासन पर बैठते ही अकबर ने बैरम खां की सहायता से 1556 ई. मे पानीपत के द्वतीय युध्द में हेमू विक्रमादित्य को हराया
- 1561 में अकबर ने बैरम खां के संरक्षण से मुक्त होकर अपने पहले सैन्य अभियान में मालवा के शासक बाज बहादुर को पराजित किया
पेटीकोट शासन क्यों कहा जाता है
- 1560 से 1564 तक का जो शासन काल है उसे पेटीकोट शासन के नाम से जाना जाता है क्योंकि उस समय अकबर की धाय माँ महामअनगा उनका शासन में विशेष दखल था
- उजबेग मिर्जाओं तथा यूसफजाईयों का विद्रोह
- 1564 में अकबर ने जजिया कर को समाप्त कर दिया और अकबर के समय मे एक उजबेग मिर्जाओं तथा यूसफजाईयों का विद्रोह हुआ था
- गुजरात विजय के दौरान अकबर सर्वप्रथम पुर्तगालीयों से मिला और यहीं सर्वप्रथम उसने समुद्र को देखा था
हल्दीघाटी का युध्द
- 1576 ई. के हल्दीधाटी के प्रसिध्द युध्द में अकबर के सेनापति राजामान सिंह ने मेवाड के शासक महाराजा प्रताप को पराजित किया
फतेहपुर सीकरी की स्थापना
- 1571में अकबर ने आगरा से 36 किलो मी. दूर फतेहपुर सीकरी नामक नगर की स्थापना की और उसमें प्रवेश के लिए बुलंद दरवाजा बनवाया बुलंद दरवाजा अकबर द्वारा गुजरात जीतने के पर बनवाया
- फतेहपुर सीकरी में इबादत खाने की स्थापना
- अकबर ने फतेहपुर सीकरी में धार्मिक परिचर्चा हेतु इबादत खाने की स्थापना 1575 में की जहाँ पर शुरू में तो सिर्फ मुस्लिम धर्म के अनुयायी आते थे किंतु बाद में 1578 से सभी धर्मो के अनुयायी आने लगे
दक्षिण विजय
- दक्षिण विजय के अंतर्गत अकबर ने खानदेश, दौलताबाद, अहमद नगर, असीरगढ आदि को जीता
दीन-ए-इलाही धर्म
- 1582 में अकबर ने सभी धर्मो के उत्तम सिध्दांतों को लेकर दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की
- दीन-ए-इलाही धर्म स्वीकार करने वाला प्रथम एवं अंतिम हिंदू बीरबल था
- अकबर के राज कवि फैजी ने भी दीन-ए-इलाही को स्वीकार किया था
अकबर के काल में रची गई रचना
- जैन विद्वान परम सुंदर ने ‘अकबरशाही’, ‘श्रृंगार दर्पण’ तथा सिध्दचंद्र ने ‘भानुचंद्र चरित’ की रचना की है
- अबुल फजल ने ‘आईने-अकबरी’ और ‘अकबरनामा’ की रचना की
- अकबर ने महाभारत का फारसी भाषा में ‘रज्जा’ नाम से अनुवाद कराया
- पंचतंत्र का अनुवाद अबुल फजल ने ‘अनुवाद-ए-सुहैरी’ नाम से किया
अकबर के दरबार के नौ रत्न / उपाधियाँ
- अकबर के दरबार में नवरत्न नाम से नौ प्रसिध्द व्यक्ति थे पहले बीरबल, मानसिंह, फैजी, टोडरमल, अब्दुल रहीम खानेखाना, (यह बैरम खां के पुत्र थे बैरम खां की मृत्यु के बाद बैरम खां की विधवा से अकबर ने शादी की तथा अब्दुल खानेखाना को खानेखाना की पद्वी तक पहुँचाया ) अबुल फजल, भगवान दास, तानसेन, मुल्ला दो प्याजा (इन्हें खाने में दो प्याज पसंद थी इसलिए अकबर ने इनके नाम के आगे दो प्याजा लगा दिया) Note:अकबर के दरबारियों में रसोई घर के प्रधान हकीम हुमाम को उसकी इमानदारी के लिए नवरत्न में शामिल किया गया।
- अकबर ने संगीत सम्राट तानसेन को कण्ठाभरण वाणी-विलास की उपाधि से सम्मानित किया।
- अकबर सहित संपूर्ण मुगल साम्राज्य की राजभाषा ‘फारसी’ थी।
- अकबर द्वारा भगवानदास को अमीर-उल-उमरा तथा बीरबल को कविप्रिय की उपाधियाँ प्रदान की गईं।
- अकबर ने ‘नरहरि’ को महापात्र, ‘अब्दस्समद’ को शीरी कलम तथा ‘मुहम्मद हसैन कश्मीरी’ को जड़ी कलम की उपाधियों से सम्मानित किया।
तानसेन का परिचय
- तानसेन को अकबर ने कण्ठाभरवाणी की उपाधि दी तानसेन का मकबरा ग्वालियर में स्थित है तांसेन का मूल नाम रामतनु पांडे था
अकबर की शासन व्यवस्था
- तहशाला व्यवस्था को लागू करने के लिए अकबर के समय में करोडी (जिलाधिकारी) की नियुक्ति की गई
- मुगल काल में मनसबदारी की प्रथा अकबर ने प्रारम्भ की
अकबर की मृत्यु
- अकबर की मृत्यु 1605 में हुई अकबर के मकबरे का निर्माण जहांगीर द्वारा आगरा के निकट सिकंदरा नामक स्थान पर कराया गया
बीरबल की मृत्यु
- यूसफजईयों का विद्रोह दबाने के लिए बीरबल को भेजा और वहाँ बीरवल की मृत्यु हो गई
अकबर की सामाजिक नीति
- अकबर जजिया कर समाप्त किया, तीर्थ यात्रा कर समाप्त किया, वजीर मुजफ्फर खां को नियुक्त किया
- ये कृष्ण जन्माष्टमी पर भी भाग लेता था और किसी की मृत्यु हो जाने पर इसने मुंडन प्रथा का भी प्रचलन कराया यह बहुत ही धर्म सहिष्णु शासक था
- अकबर ने दास प्रथा का अंत किया, बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाया, विधवा विवाह प्रोत्साहित किया, बाल विवाह रोकने की चेष्ठा की, अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन दिया, सतीप्रथा पर प्रतिबंध लगाया, वैश्याओं को नगर से बाहर शैतानपुरी में बसाया, अकबर गुरुवार के दिन न्याय कार्यो को देखता था
- सूफी संत सलीम चिश्ती अकबर के समकालीन थे
अकबर कालीन कला
- अकबर ने चित्रकारी का नया विभाग बनाया इसका प्रधान ख्वाजा अब्दुस्समद को नियुक्त किया व उसे शीरी कलम की उपाधि प्रदान की अकबर के दरबार में 17 या 15 चित्रकारों में से 13 हिंदू थे
- अकबर ने सिकंदरा में अपना मकबरा बनवाया, आगरा में लाल किले का निर्माण कराया, फतेहपुर सीकरी में दीवाने आम, दीवाने खास, जोधाबाई का महल, बुलंद दरवाजा, शेख सलीम चिश्ती के मकबरे आदि का निर्माण कराया
इमारतें
अकबर ने आगरे के किले के भीतर 500 इमारतों का निर्माण कराया। अकबर-कालीन उत्कृष्ट स्थापत्य के कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नवत हैं
- हुमायूँ का मकबरा – दिल्ली
- लाल किला – आगरा
- अकबरी महल, जहाँगीरी महल – आगरा
- लाहौर का किला- लाहौर
- मुहाफिज खाना – फतेहपुर सीकरी
- दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास – फतेहपुर सीकरी
- खजाना महल, पंचमहल – फतेहपुर सीकरी
- महारानी मरीयम का महल – फतेहपुर सीकरी
- जोधाबाई का महल, बीरबल का महल – फतेहपुर सीकरी
- सम्राट का शयन-कक्ष एवं पुस्तकालय – फतेहपुर सीकरी
- बुलंद दरवाजा – फतेहपुर सीकरी
- जामा मस्जिद – फतेहपुर सीकरी
- सलीम चिश्ती की दरगाह – फतेहपुर सीकरी
- चालीस खंभों का महल – इलाहाबाद
- अकबर ने सुदृढ़ दुर्गों का निर्माण अटक एवं इलाहाबाद में भी करवाया।
- बुलंद दरवाजे की ऊँचाई पास की भूमि से 134 फीट और उसकी सीढ़ियाँ 42 फीट हैं। कुल मिलाकर यह 176 फीट ऊँचा है।
अकबरकालीन प्रमुख चित्रकार/कलाकार
प्रमुख विदेशी चित्रकार-अब्दुस्समद, मीर सयद अली, फारूख बेग, खशरू, कुवीज एवं जमशेद आदि।
प्रमुख देशी चित्रकार-यशवंत,बसावन, सावलदास, ताराचंद, जगन्नाथ लाल, केशू, मुकुंद तथा हरिवंश आदि