बंगाल का विभाजन
- 16 अक्टूबर, 1905 ई०; 19वीं शताबदी के अंत में बंगाल प्रांत में असम बिहार एवं उडीसा शामिल थे।
- उस काल में इसका क्षेत्रफल 189000 वर्ग मील था तथा इसकी जनसंख्या 8 करोड़ थी।
- प्रत्यक्ष रूप से लॉर्ड कर्जन ने प्रशासनिक असुविधा का बहाना प्रस्तुत किया परंतु वास्तविक कारण सशक्त होती बंगाली राष्ट्रीयता को खंडित करने के उद्देश्य से हिंदुओं एवं मुसलमानों को अलग करना था।
- 20 जुलाई, 1905 को लॉर्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन की घोषणा की, जो कि 16 अक्टूबर, 1905 ई० से प्रभावी हुआ। इसके तहत पूर्वी बंगाल एवं असम को मिलाकर एक नवीन प्रांत गठित हुआ जिसे पूर्वी बंगाल कहा गया।
- पूर्वी बंगाल (मुस्लिम बहुल) का मुख्यालय ढाका को बनाया गया।
पूर्वी बंगाल
- क्षेत्रफल-106540 वर्ग मील
- आबादी-3 करोड़ 20 लाख
- मुस्लिम आबादी-1 करोड़ 80 लाख
- हिंदू आबादी-1 करोड़ 20 लाख।
बंगाल के पश्चिमी हिस्से एवं बिहार तथा उड़ीसा को मिलाकर पश्चिमी बंगाल का निर्माण हुआ।
पश्चिमी बंगाल
- क्षेत्रफल-141580 वर्ग मील
- आबादी-5 करोड़ 40 लाख
- हिंदू आबादी-4 करोड़ 20 लाख
- मुस्लिम आबादी-90 लाख
पश्चिमी बंगाल का मुख्यालय पूर्व की भांति – कलकत्ता में ही रहा।
- बंगाल विभाजन के विरोध में 7 अगस्त 1905 को बंग-भंग आंदोलन का प्रस्ताव कलकत्ता के ‘टाउन हॉल’ में पारित हुआ।
- राष्ट्रवादियों में इसकी घोर प्रतिक्रिया हुई एवं 16 अक्टूबर को बंगाल में शोक दिवस के रूप में मनाया गया।
- स्वदेशी का प्रयोग एवं विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार इस आंदोलन के प्रमुख औजार बने तथा यह निश्चित किया गया कि बहिष्कार’ तब तक जारी रहेगा जब तक ‘बंगाल विभाजन’ रद्द न हो जाय।
- इस आंदोलन को सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, विपिन चंद्रपाल एवं अरविंदो घोष ने नेतृत्व प्रदान किया।
- लोगों ने व्रत तथा गंगा-स्नान किया एवं एक-दूसरे को एकता की प्रतीक राखी बांधी।
- अरविंदो घोष (1872-1950 ई०) ने अपने वंदे मातरम पत्र के माध्यम से बंग-भंग आंदोलन को प्रेरणा दी।
- शीघ्र ही बंग-भंग आंदोलन तीव्र हो गया। इसकी तीव्रता इतनी थी कि 1911 ई० में विभाजन रद्द होने पर ही यह आंदोलन रुका।
- महात्मा गांधी ने अपनी पुस्तक हिंद स्वराज में लिखा है कि “बंगाल-विभाजन के बाद ही भारत में वास्तविक जागृति हुई तथा इसके लिये हमें लॉर्ड कर्जन को बधाई देनी चाहिए”।