सरकारी एवं गैर सरकारी विधेयक में अंतर (Difference between government and non-government legislation)
गैर सरकारी विधेयक |
सरकारी विधेयक |
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1 | इसे संसद में मंत्री/अन्य सदस्य द्वारा पेश किया जा सकता है | | इसे केवल मंत्री द्वारा पेश किया जा सकता है | |
2 | यह सार्वजनिक मामले पर विपक्षी दल के मंतव्य को प्रदर्शित करता है | | यह सरकार की नीतियों को प्रदर्शित करता है | |
3 | इसके अस्वीकृत होने पर सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है | | सदन द्वारा स्वीकृत होने पर सरकार को इस्तीफा देना पड़ सकता है | |
4 | सदन में पेश करने के लिए ऐसे प्रस्ताव के लिए एक माह का नोटिस होना चाहिए | | सदन में पेश करने के लिए 7 दिनों का नोटिस होना चाहिए | |
5 | इसका निर्माण संबंधित सदस्य की जिम्मेदारी होती है | | इसे संबंधित विभाग द्वारा विधि विभाग के परामर्श से तैयार किया जाता है | |
अविश्वास एवं निंदा प्रस्ताव में अंतर (Differences in disbelief and condemnation motion)
अविश्वास प्रस्ताव |
निंदा प्रस्ताव |
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1 | लोकसभा में इसे स्वीकार करने का कारण बताना आवश्यक नहीं है | | लोकसभा में इसे स्वीकारने के कारण बताना अनिवार्य है | |
2 | यह सिर्फ पूरे मंत्रिपरिषद के विरुद्ध ही लाया जा सकता है | | यह किसी एक मंत्री या मंत्रियों के समूह या पूरे मंत्रिपरिषद के विरुद्ध लाया जा सकता है | |
3 | यह मंत्रिपरिषद में लोकसभा विश्वास के निर्धारण हेतु लाया जाता है | | यह मंत्रिपरिषद की कुछ नीतियों या कार्यों के खिलाफ निंदा के लिए लाया जाता है | |
4 | इसके लोकसभा में पारित हो जाने के बाद मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना ही पड़ता है | | यदि यह लोकसभा में पारित हो जाए तो मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना आवश्यक नहीं है | |
धन विधेयक एवं साधारण विधेयक में अंतर (Difference in money bill and ordinary bill)
धन विधेयक |
साधारण विधेयक |
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1. | इसे सिर्फ लोकसभा में पुनः स्थापित किया जा सकता है | | इसे लोकसभा या राज्यसभा में कहीं भी पुनः स्थापित किया जा सकता है | |
2. | इसे सिर्फ मंत्री द्वारा पुनः स्थापित किया जा सकता है | | इसे या तो मंत्री द्वारा या गैर-सरकारी सदस्य द्वारा पुनः स्थापित किया जा सकता है, गैर-सरकारी व्यक्ति द्वारा विधेयक पुनः स्थापित करने पर सदन की अनुमति लेने के आशय को सूचना देनी होती है सूचना की विहित अवधि 1 माह निर्धारित है | |
3. | इस सिर्फ राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही स्थापित किया जा सकता है | | राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति आवश्यक नहीं है | |
4. | इसे राज्यसभा अधिकतम 14 दिन के लिए रोक सकती है | | इसे राज्यसभा अधिकतम 6 माह के लिए रोक सकती है | |
5. | लोकसभा अध्यक्ष के प्रमाणन की आवश्यकता होती है | | इसे अध्यक्ष के प्रमाणन की आवश्यकता नहीं होती है | |
6. | इसे सिर्फ लोकसभा से पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाता है, इसमें दोनों सदनों के बीच सहमति का कोई अवसर नहीं होता इसलिए संयुक्त बैठक का कोई उपबंध नहीं होता है | | इसे दोनों सदनों से पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाता है असहमति की अवस्था में राष्ट्रपति संयुक्त बैठक बुला सकता है | |
7. | इसे अस्वीकृत या पारित तो किया जा सकता है, लेकिन राष्ट्रपति द्वारा पुनर्विचार के लिए लौटाया नहीं जा सकता है | | इसे अस्वीकृत, पारित या राष्ट्रपति या पुनर्विचार के लिए भेजा जा सकता है | |
वित्त विधेयक –
- धन विधेयक, वित्त विधेयक श्रेणी (क), वित्त विधेयक श्रेणी (ख)
धन विधेयक
- राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति,
- राज्यसभा 14 दिन तक रोक सकती है,
- संयुक्त बैठक नहीं हो सकती |
वित्त विधेयक श्रेणी (क)
- राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति आवश्यक,
- लोकसभा में प्रस्तुतीकरण,
- संयुक्त बैठक हो सकती है |
वित्त विधेयक श्रेणी (ख)
- सामान्य विधेयक की भांति संयुक्त बैठक हो सकती है और राज्यसभा में पहले प्रस्तुत किया जा सकता है,
- परंतु राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति के बिना विस्तार से चर्चा नहीं हो सकती है |
वित्त विधेयक
- साधारण वित्त विधेयक ऐसे विधेयक को कहते हैं जो आय व्यय से संबंधित है यह तीन प्रकार के होते हैं |
- वित्त विधेयक में आगामी वित्तीय वर्ष में किसी नए प्रकार के कर लगाने या कर में संशोधन आदि से संबंधित विषय शामिल होते हैं |
- द्वितीय पाठन के बाद वित्त विधेयक प्रवर समिति को भेजा जाता है, प्रवर समिति द्वारा विधेयक की समीक्षा उपरांत जब पुनः सदन में पेश किया जाता है उस समय से वह विधेयक लागू माना जाता है |
- वित्त विधेयक के प्रस्ताव का विरोध नहीं किया जा सकता और उसे तत्काल मतदान के लिए रखा जाता है |
- इसे पेश किए जाने के 75 दिनों के अंदर सदन से पारित हो जाना चाहिए तथा उस पर राष्ट्रपति की स्वीकृति भी मिल जानी चाहिए |
- सामान्यतया विधेयक वार्षिक बजट पेश किए जाने के तत्काल बाद लोकसभा में पेश किया जाता है |
विनियोग विधेयक
- अनुच्छेद 114 के अनुसार भारत की संचित निधि में से कोई धन, संसद द्वारा विधि के अधिनियम के बिना नहीं निकाला जा सकता है |
- संचित निधि से धन विनियोग विधेयक द्वारा ही निकाला जा सकता है |
- यह एक प्रकार का धन विधेयक है जिसे राज्यसभा केवल 14 दिनों तक की रोक सकती है |
धन विधेयक और वित्त विधेयक में संबंध
- सभी धन विधेयक वित्त विधेयक होते हैं परंतु सभी वित्त विधेयक धन विधेयक नहीं होते हैं |
संविधान संशोधन विधेयक
- अनुच्छेद 368 के अंतर्गत संविधान संशोधन विधेयक पारित किए जाते हैं संविधान संशोधन विधेयक अधिनियम बनने के लिए दो विधियों से पारित किए जाते हैं –
- प्रथम संसद के दोनों सदनों में उपस्थित सदस्य 2/3 व कुल सदस्य की संख्या बहुमत से पारित होना चाहिए |
- द्वितीय संसद के 2/3 बहुमत व 1/2 राज्यों के विधानमंडल के अनुसमर्थन से पारित होते हैं इस प्रकार के विधेयक सातवीं अनुसूची में परिवर्तन से संबंधित राष्ट्रपति निर्वाचन संबंधी संघ की विधायिका कार्यपालिका न्यायपालिका की शक्ति में परिवर्तन संबंधी अनुच्छेद 368 में परिवर्तन करने वाले विधेयक |