प्रस्तावना:
स्वामी विवेकानंद एक ऐसे महान योगी और आध्यात्मिक गुरु थे जिन्होंने अपने जीवन को संयम, ध्यान और सेवा में समर्पित किया। उन्होंने अपने उद्घाटन किए हुए धार्मिक और राष्ट्रीय संदेशों के माध्यम से लाखों लोगों को प्रेरित किया।
जन्म और परिवार:
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता का नाम विष्णुराम दत्त और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। वह उच्च और समृद्ध परिवार से थे।
धार्मिक उद्देश्य:
विवेकानंद ने अपने जीवन में धर्म को अपना लक्ष्य बनाया। उन्होंने अपने शिक्षक, श्री रामकृष्ण परमहंस की शिक्षा को मान्य किया और उनके द्वारा सिखाई गई आध्यात्मिकता को अपनाया।
संतान धर्म के प्रचारक:
स्वामी विवेकानंद ने संतान धर्म का प्रचार किया और भारतीय संस्कृति को प्रतिष्ठित किया। उन्होंने वेदांत और योग के महत्व को जनसाधारण के समक्ष प्रस्तुत किया।
विश्व धर्म महासम्मेलन:
स्वामी विवेकानंद ने 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासम्मेलन में भारत का प्रतिष्ठान बढ़ाया और वेदांत और योग के आधार पर भारतीय धर्म की महिमा को प्रकट किया।
विश्व संदेशवाहक:
स्वामी विवेकानंद ने भारतीय धर्म, संस्कृति, और तत्त्वों का प्रचार विश्व के समक्ष किया। उन्होंने वेदांत और योग के माध्यम से आध्यात्मिकता के महत्व को स्पष्ट किया।
राष्ट्रीय संगठनकार:
स्वामी विवेकानंद ने भारत के स्वाधीनता और सामर्थ्य के लिए काम किया। उन्होंने भारतीय युवाओं को जागरूक किया और उन्हें राष्ट्रीय उत्थान के लिए प्रेरित किया।
विश्ववासियों की सेवा:
स्वामी विवेकानंद ने विश्व की मानवता की सेवा की और उन्होंने अनेक शिक्षा संस्थान, अस्पताल, और संस्थानों की स्थापना की।
आखिरी दिन:
स्वामी विवेकानंद का आखिरी दिन उन्हें वेश्याश्रम के अस्पताल में बीमार रहकर बिता। उनका अंतिम समय 4 जुलाई, 1902 को आया, जब उनकी आत्मा अपने निर्वाण की ओर गई। उनकी मृत्यु भारतीय समाज के लिए एक बड़ा नुकसान था, लेकिन उनका आध्यात्मिक और सामाजिक योगदान हमेशा याद किया जाएगा।*
समापन:
स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में एक बड़ा धार्मिक और राष्ट्रीय कार्य किया। उनके उपदेशों और विचारों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया और उन्हें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। उनकी आत्मा की शांति की कामना करते हुए हम उनके आदर्शों को अपनाकर अपने जीवन में सच्चाई, न्याय और प्रेम को बढ़ावा देने का संकल्प लेते हैं।