अव्यय

अव्यय(avyay)

अव्यय ऐसे शब्द होते हैं जो वाक्यों में जैसे के तैसे ही प्रयोग होते हैं, इन पर लिंग, वचन, पुरुष, कारक, संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। जैसे: जब, तब, कब, कहाँ, क्यों, कैसे, किसने, उधर, ऊपर, इधर, अरे, तथा, और, किन्तु, परंतु, लेकिन, क्योंकि, केवल, यहाँ, वहाँ आदि शब्द अव्यय हैं। इस लेख में Avyay की परिभाषा भेद और उनके उदाहरण एवं पहचान के बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे।

अव्यय किसे कहते हैं?

  • अव्यय: जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नही होता है, उन्हें अव्यय या अविकारी शब्द कहते है। जैसे जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि आदि शब्द अव्यय हैं।
  • हिन्दी व्याकरण में विकार के आधार पर शब्दों को दो भागों में बांटा गया है- विकारी और अविकारी। विकारी शब्दों में- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया आदि आते हैं, जबकि अविकारी शब्दों के अंतर्गत क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चय बोधक और विस्मयादिबोधक आदि आते हैं। अविकारी शब्दों को ही अव्यय कहा जाता है।
  • अव्यय का शाब्दिक अर्थ है- “अ + व्यय“, अर्थात ‘जो व्यय न हों उन शब्दों को अव्यय कहते हैं। जैसे- उधर, जब, तब, किन्तु, वहाँ आदि शब्द अविकारी या अव्यय होते हैं।

अव्यय की परिभाषा: Avyay Ki Paribhasha

किसी भी भाषा के वे शब्द अव्यय कहलाते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पन्न नहीं होता है। ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है। चूँकि अव्यय का रूपान्तर नहीं होता, इसलिए ऐसे शब्द अविकारी होते हैं।
विप्सा अलंकार – परिभाषा, अर्थ, पहचान और उदाहरण

अव्यय के उदाहरण: Avyay Ke Udaharan

हिन्दी के अव्यय शब्द: जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूँकि, अवश्य, अर्थात इत्यादि।

संस्कृत के अव्ययः अद्य (आज), ह्यः (बीता हुआ कल), श्वः (आने वाला कल), परश्वः (परसों), अत्र (यहां), तत्र (वहां), कुत्र (कहां), सर्वत्र (सब जगह), यथा (जैसे), तथा (तैसे), कथम् (कैसे) सदा (हमेशा), कदा (कब), यदा (जब), तदा (तब), अधुना (अब), कदापि (कभी भी), पुनः (फिर), च (और), न (नहीं), वा (या), अथवा (या), अपि (भी), तु (लेकिन (तो)), शीघ्रम् (जल्दी), शनैः (धीरे), धिक् (धिक्कार), विना (बिना), सह (साथ), कुतः (कहाँ से), नमः (नमस्कार), स्वस्ति (कल्याण हो), किम् (कहा) आदि।

अव्यय शब्दों के वाक्य प्रयोग के उदाहरण इस प्रकार हैं-

1. अभी वह इधर आ रहा है।
2. इधर किसी अच्छे रेस्टोरेंट में जाना अच्छा विचार है।
3. अभी वह इधर क्यों आया?
4. जब वह समुंदर के किनारे खड़ा था, तब वह अच्छा लग रहा था।
5. अभी इधर ही थोड़ा वक्त बिता लें।
6. ठीक है, आपका सुझाव अच्छा था।
7. अरे!, वहाँ कौन आ रहा है?
8. हम अब बाजार जा रहे हैं।

अव्यय के भेदः Avyay Ke Bhed

हिन्दी व्याकरण में अव्यय के भेद पांच प्रकार होते हैं-

1. क्रिया विशेषण
2. संबंधबोधक
3. समुच्चय बोधक
4. विस्मयादिबोधक
5. निपात

1. क्रिया विशेषण अव्यय

जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का पता चलता है उन्हें क्रिया विशेषण अव्यय कहते हैं। जैसे- वह धीरे-धीरे चलता है। इस वाक्य में चलता क्रिया है और धीरे-धीरे उसकी विशेषता।

क्रिया विशेषण अव्यय के भेद

क्रिया-विशेषण अव्यय के चार प्रकार के भेद है:
1. स्थानवाचक क्रियाविशेषण
2. कालवाचक क्रियाविशेषण
3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण

स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय Avyay

जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के व्यापार-स्थान का बोध कराते हैं, उन्हें स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं। जैसे- यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर आदि।

उदाहरण- कनिका यहाँ चल रही है। इस वाक्य में “यहाँ” चल क्रिया के व्यापार-स्थान का बोध करा रही है।

कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय Avyay

जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने का समय बतलाते हैं, उन्हें कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे- परसों, पहले, पीछे, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार

परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय Avyay

जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के परिमाण अथवा निश्चित संख्या का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे- बहुत, अधिक, अधिकाधिक पूर्णतया, सर्वथा, कुछ, थोड़ा, काफ़ी, केवल, यथेष्ट, इतना, उतना, कितना, थोड़ा- थोड़ा, तिल-तिल, एक-एक करके, आदि।

रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय Avyay

जो शब्द किसी क्रिया की रीति का बोध कराए, वह रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहलाते है।
जैसे- वधु पक्ष द्वारा “सुविवाह” की रीति को तोड़ने की एवज में वर पक्ष ने वधु पक्ष से नुकसान लिया। इसमें सुविवाह रीतिवाचक

क्रियाविशेषण का बोध करा रहा है।

इसी प्रकार “धीरे-धीरे, खूबसूरती से, तेजी से, अच्छे से” आदि रीतिवाचक क्रियाविशेषण शब्दों के उदाहरण हैं।
विस्तार से पढ़ेंः क्रिया विशेषण किसे कहते हैं?

2. संबंधबोधक अव्यय

वे शब्द जो संज्ञा/सर्वनाम का अन्य संज्ञा/सर्वनाम के साथ संबंध का बोध कराते है उसे संबंधबोधक अव्यय कहते है। ये संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होते है। इसके साथ किसी-न-किसी परसर्ग (प्रत्यय) का भी प्रयोग होता है।
जैसे:- के पास, के ऊपर, से दूर, के कारण, के लिए, की ओर, की जगह, के अनुसार, के आगे, के साथ, के सामने आदि।
संबंधबोधक अव्यय के उदाहरण :

  • विद्यालय के सामने बगीचा है। (‘विद्यालय’ का ‘बगीचा’ के साथ संबंध – ‘के सामने’)
  • यहाँ से पूरब की ओर तालाब है।

3. समुच्चय बोधक अव्यय

दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ने वाले संयोजक शब्द को समुच्चय बोधक अव्यय कहते हैं।
उदाहरण के लिए-
1. राम ने खाना खाया और सो गया।
2. उसने बहुत समझाया लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं मानी।
3. अगर तुम बुलाते तो मैं जरुर आता।

अतः जहाँ पर “तब, और, वरना, किन्तु, परन्तु, इसीलिए, बल्कि, ताकि, क्योंकि, या, अथवा, एवं, तथा, अन्यथा” आदि शब्द जुड़ते हैं वहाँ पर समुच्चयबोधक होता है। इन समुच्चयबोधक शब्दों को योजक भी कहा जाता है।

4. विस्मयादिबोधक अव्यय

जिन वाक्यों में आश्चर्य, हर्ष, शोक, घृणा आदि के भाव व्यक्त हों, उन्हें विस्मय बोधक वाक्य कहते है, और इन भावों को व्यक्त करने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उन्हें विस्मयादि बोधक अव्यय कहते हैं। इन वाक्यों में सामान्यतः विस्मयादिबोधक चिह्न (!) का उपयोग किया जाता है।
उदाहरण के लिए-
1. अरे! पीछे हो जाओ, गिर जाओगे।
2. हाय ! वह भी मार गया।
3. हाय ! अब मैं क्या करूं।

अतः “हाय!, बाप रे बाप!, हे राम!, ओह!, उफ़!, त्राहि त्राहि!, आह!, हा!, छिः!, थू-थू, धिक्कार!, हट !, धिक् !, धत!, चुप!, अच्छा!, ठीक! हाँ! जी हाँ!, बहुत अच्छा!, जी!, अरे!, क्या!, ओह!, सच!, हैं!, ऐ!, ओहो!, वाह!, हो!, अजी!, ओ!, रे!, री!, अरे!, अरी!, हैलो !, ऐ!” इत्यादि शब्दों का प्रयोग विस्मयादिबोधक अव्यय के रूप में होता है।

5. निपात अव्यय

किसी भी बात पर अतिरिक्त भार देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उसे निपात अव्यय कहते है। जैसे- भी, तो, तक, केवल, ही, मात्र आदि निपात अव्यय शब्द हैं।

उदाहरण के लिए-

• तुम्हें आज रात रुकना ही पड़ेगा।
• तुमने तो हद कर दी।
• कल मैं भी आपके साथ चलूँगा।

निपात अव्यय के भेद

निपात अव्यय के  भेद या वर्ग हैं:
1. स्वीकृतिबोधक (स्वीकार्य) निपात अव्यय- हा, जी, जी हाँ।
2. नकारबोधक निपात अव्यय जी नहीं, नहीं।
3. निषेधबोधक निपात अव्यय मत।
4. प्रश्नबोधक निपात अव्यय – क्या।
5. विस्मयबोधक निपात अव्यय क्या, काश।

अव्यय को कैसे पहचाने?

अव्यय की पहचान के लिए जरूरी है कि आपको पता होना चाहिए कि अव्यय कहते किसे हैं, अव्यय उन शब्दों को कहते हैं जिन पर लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। अतः दिए हुए वाक्य में से आप अव्यय को छाँटकर ऐसे शब्दों को लिखें जिन पर लिंग, वचन, पुरुष, कारक इत्यादि का कोई प्रभाव ना पड़ता हो।

जैसे यदि किसी वाक्य में जब, तब, अभी, उधर, इधर, यहाँ, वहाँ, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूंकि, अवश्य आदि जैसे शब्दों का प्रयोग है तो उन्हें पहचान कर आप उत्तर दे सकते हैं।

अव्यय क्या होता है?

वे शब्द जिनके वाक्य में प्रयोग होने पर लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता, उन शब्दों को अव्यय कहते हैं। अव्यय सदैव अपरिवर्तित, अविकारी होते हैं। जैसे, “जब, अभी, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु” आदि शब्दों को अव्यय कहा जाता है।

अव्यय के कुल कितने भेद या प्रकार हैं?

अव्यय शब्दों के पांच भेद या प्रकार होते हैं-

1. क्रिया विशेषण अव्यय
2. संबंधबोधक अव्यय
3. समुच्चयबोधक अव्यय
4. विस्मयादिबोधक अव्यय
5. निपात अव्यय

हिन्दी के प्रमुख अव्यय शब्द लिखिए ?

हिन्दी के प्रमुख अव्यय शब्दजब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए, अतः, अतएव, चूँकि, अवश्य, अर्थात आदि हैं।

उदाहरण सहित अव्यय की परिभाषा लिखो।

वे शब्द जिसमें लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि की उपस्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता, उन शब्दों को अव्यय कहा जाता हैं। अव्यय अपरिवर्तित, अविकारी होते हैं। जबकि हिंदी व्याकरण में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया आदि शब्दों के रूप बदलते रहते हैं।
वह धीरे-धीरे गाना गा रही है।
• तुम उधर जाओ?
• राम बाजार कब गया था?
• मोहन और गीता बाजार जा रहें हैं।
• बच्चे नीचे गेंद खेल रहे हैं।

उपर्युक्त वाक्यों में “धीरे-धीरे, उधर, उधर, और, नीचे” आदि अव्यय के उदाहरण हैं।

क्रिया-विशेषण अव्यय के कितने भेद हैं?

क्रिया-विशेषण अव्यय शब्दों के चार भेद या प्रकार होते हैं-

1. कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
2. स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय

संबंधबोधक अव्यय क्या है?

वे शब्द जो संज्ञा/सर्वनाम का अन्य संज्ञा/सर्वनाम के साथ संबंध का बोध कराते है उसे संबंधबोधक अव्यय कहते है। ये संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त (use) होते है। इसके साथ किसी-न-किसी परसर्ग (प्रत्यय – post- position) का भी प्रयोग होता है।

संस्कृत अव्यय के 10 शब्द लिखो?

द्य (आज), ह्यः (बीता हुआ कल), श्वः (आने वाला कल), परश्वः (परसों), अत्र (यहां), तत्र (वहां), कुत्र (कहां), सर्वत्र (सब जगह), यथा (जैसे), तथा (तैसे), कथम् (कैसे) सदा (हमेशा) आदि

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