गद्य क्या होता है?
मनुष्य की बोलने या लिखने पढ़ने की छंदरहित साधारण व्यवहार की भाषा को गद्य (prose) कहा जाता है।
हिन्दी साहित्य की रचनाएँ और रचनाकार उनके कालक्रम की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस पृष्ठ में हिन्दी के साहित्य, काव्य, रचनाएं, रचनाकार, कवि, साहित्यकार या लेखक दिये हुए हैं। हिन्दी की प्रमुख गद्य रचनाएँ एवं रचयिता या रचनाकार की table या list विभिन्न परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी है।
अपठित गद्यांश क्या होते हैं?
अपठित गद्यांश या पद्यांश क्या होते हैं, यह बहुत ही सरल है। जब हमारे पास कोई पाठ्यपुस्तक होती है, तो उसमें कई गद्यांश भी होते हैं। लेकिन अपठित गद्यांश का अर्थ होता है कि उन गद्यांशों को हमें सिर्फ पढ़ना नहीं होता, अर्थात्, हमें उनका मतलब समझना होता है और इसे हम अपनी भाषा में लिखकर उत्तर देना होता है। ये गद्यांश हमें हमारे पठन कौशल को सुधारने में मदद करते हैं।
हमें अपठित गद्यांश क्यों पढ़ने चाहिए?
हमें अपठित गद्यांश पढ़ने चाहिए क्योंकि इससे हमारी पढ़ाई में सुधार होता है। ये हमारे व्यापक ज्ञान को बढ़ाते हैं और हमारी सोचने की क्षमता को विकसित करते हैं। जब हम इन अपठित गद्यांशों को पढ़ते हैं, तो हमारा ध्यान बढ़ता है और हमें बेहतरीन जवाब देने की क्षमता मिलती है। इसके साथ हमारी भाषा को समझने में भी सुधार होता है।अपठित गद्यांश कैसे पढ़ें?
अगर तुम अपठित गद्यांश पढ़ना चाहते हो तो तुम्हें ध्यान से पढ़ना होगा। सबसे पहले, गद्यांश को अच्छे से पढ़ो। अगर तुम गद्यांश के अर्थ को समझ रहे हो तो तुम उसका जवाब दे सकते हो। और अगर तुम कोई शब्द नहीं समझ रहे हो तो तुम पूछ सकते हो। अपठित गद्यांश पढ़ने से तुम्हारा व्यापक ज्ञान बढ़ेगा और तुम अपनी भाषा में बेहतरीन उत्तर दे सकोगे।
अपठित गद्यांश के लाभ
अपठित गद्यांश पढ़ने से हमें कई लाभ मिलते हैं। यह हमारी व्यापक ज्ञान को बढ़ाते हैं, हमारी सोचने की क्षमता को विकसित करते हैं और हमारी शब्दावली को भी मजबूत करते हैं। इसके साथ ही हमारा पठन कौशल भी सुधारता है। इसलिए बच्चों, इन अपठित गद्यांशों को पढ़कर आपको पढ़ाई में मज़ा आएगा।
अपठित गद्यांश को हल करने से पूर्व निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
अपठित गद्यांश को ध्यान से २-३ बार पढ़ना चाहिए जिससे कि इसमें लिखी बातें अच्छी तरह समझ में आ जाए | जब अपठित गद्यांश में दी गयी सारी जानकारी समझ आ जाए तब प्रश्नों के उत्तर ढूंढ़कर लिखना शुरू कर देना चाहिए। प्रश्नों के उत्तर लिखने से पहले उन्हें ध्यान से पढ़ना चाहिए ताकि उनका उत्तर ठीक प्रकार से लिख पाएं।
अपठित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों एवं उत्तरों के अभ्यास से पढ़ने -लिखने और समझने की शक्ति का विकास होता है।
- गद्यांश को २-३ बार ध्यान से पढ़ना चाहिए।
- पूछे गए प्रश्नों को भी २-३ बार ध्यान से पढ़ना चाहिए।
- प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट और संक्षिप्त होना चाहिए।
अपठित गद्यांश – 1
राज के पास किट्टी नाम की एक पालतू बिल्ली है। वह सफेद और भूरे रंग की है । राज को अपने घर के पिछवाड़े में किट्टी के साथ खेलना पसंद है। वे दोनों साथ में तितलियों का पीछा करते हैं और घास में लौटते हैं। जब राज उसे पकड़ता है तो किट्टी उसे घूरने लगती है। राज अपनी बिल्ली से बहुत प्यार करता है।
प्रश्न:
प्रश्न -१. राज की पालतू बिल्ली का नाम क्या है?
प्रश्न -२. किट्टी किस रंग की है?
प्रश्न -३. राज और किट्टी कहाँ खेलते हैं?
प्रश्न-४. जब राज उसे पकड़ता है तो किट्टी क्या करती है?
उत्तर:
१. राज की पालतू बिल्ली का नाम किट्टी है।
२. किट्टी सफेद और भूरे रंग की है।
३. राज और किट्टी अपने घर के पिछवाड़े में खेलते हैं।
४. जब राज उसे पकड़ता है तो किट्टी उसे घूरने लगती है।
अपठित गद्यांश – 2
एक बार एक छोटा सा आम का पेड़ अपनी कहानी सुना रहा था। वह कह रहा था, “मैं पहले छोटा सा बीज था। फिर मैं पानी, मिट्टी और सूरज की मदद से बड़ा हो गया। अब मैं बहुत ऊँचा और खुश हूँ।”
प्रश्न:
प्रश्न – १. आम का पेड़ क्या सुना रहा था?
प्रश्न – २. आम का पेड़ पहले क्या था?
प्रश्न – ३. आम के पेड़ ने बड़ा होने के लिए किन चीजों की मदद ली?
उत्तर:
१. आम का पेड़ अपनी कहानी सुना रहा था।
२. आम का पेड़ पहले छोटा सा बीज था।
३. आम के पेड़ ने बड़ा होने के लिए पानी, मिट्टी और सूरज की मदद ली।
अपठित गद्यांश किसे कहते हैं ?
अपठित गद्यांश -जिसे पहले न पढ़ा गया गद्य के अंश को अपठित गद्यांश कहते हैं।
यह किसी Book या पाठ्यक्रम से नहीं लिया जाता है।बल्कि यह कला, विज्ञान, साहित्य आदि किसी भी
विषय से हो सकता है और इनके कुछ अंश को गद्यांश के रूप में लिया जाता है और इनसे संबंधित कुछ Questions पूछे जाते हैं। इससे छात्र-छात्राओं का मानसिक व्यायाम, तर्कशक्ति में वृद्धि और उनका ज्ञान संवर्द्धन भी होता है ।
Unseen passage – संस्कृत अपठित गद्यांश विग्रह
अपठित – अ + पठ् + क्त (अ उपसर्ग + पठ् धातु + क्त प्रत्यय)
अर्थ (Meaning) – जो पहले न पढ़ा गया हो।
गद्यांश = गद्य + अंश
अर्थ (Meaning) – गद्य विशेष का अंश
Unseen passage – विशेषताएँ एवं निर्देश
Apathit Gadyansh पर आधारित Questions को solve करने के लिए निम्नांकित बातों का ध्यान हमेशा रखा जाना चाहिए:
- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक एक से दो बार पढ़ना चाहिए ।
- गद्यांश को पढ़ते समय मुख्य बातों यानि Points को Underline करना चाहिए ।
- प्रश्न के आलोक में ही Answer देना चाहिए यानि उत्तर जितना पूछा जाए केवल उतना ही लिखना चाहिए ।
- अगर गद्यांश का शीर्षक पूछा जाए तो शीर्षक गद्यांश के शुरू या अंत में छुपा रहता है या gadyansh में जिन विन्दुओं पर अधिक Focus किया गया है , वह शीर्षक हो सकता है।
Unseen passage for class 3rd – Apathit Gadyansh (1)
Apathit Gadyansh आपसे कुछ इस तरह से पूछे जा सकते हैं:
(1) नीचे लिखे गए गद्यांशों को पढ़कर निर्देशानुसार उत्तर दें
संस्कृत भाषा देवानां भाषा अस्ति। एषा भाषा सर्वसाम् भारतीय भाषाणाम् जननी अस्ति। संस्कृतभाषायां एव चत्वारः वेदाः लिखिताः सन्ति। अस्यांभाषायां एव अस्माकं इतिहासः अस्माकं भूतः, भविष्यम् च सर्वं सन्निहितम् अस्ति। संस्कृत सरला भाषा सुबोधा चास्ति। कालिदासः, वाणः, दण्डी, माघः आदि काव्यः तु प्रसिद्धाः सन्ति। आदिग्रंथ: “रामायणम्” संस्कृत भाषायाम् अस्ति। संस्कृतभाषायम् एव अस्माकं संस्कृतिः अस्माकं भविष्यं च अस्ति
(1) एकपदेन उत्तरत
(क) देवानां भाषा का अस्ति?
(ख) आदिग्रन्थः कः अस्ति?
(2) पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) संस्कृतभाषायां किं किं सन्निहितम् अस्ति?
(ख) संस्कृतस्य प्रसिद्धाः काव्यः के सन्ति?
(3) अस्य गद्यांशस्य एकं समुचितं शीर्षकं लिखत।
उपरोक्त प्रश्नानाम् उत्तरं यथा –
(1) (क) संस्कृत भाषा
(ख) रामायणम्
(2) (क) संस्कृतभाषायां अस्माकं इतिहास अस्माकं भूतः, भविष्यं च सर्वम् सन्निहितम् अस्ति।
(ख) संस्कृतस्य प्रसिद्धाकाव्यः कालिदासः बाणः दण्डी, माघश्च, इत्यादय: सन्ति।
(3) अस्य गद्यांशस्य शीर्षक: संस्कृतभाषा/ अस्मांक संस्कृति
Unseen passage for class 4 – अपठित गद्यांश – 2
परिश्रमः सफलतायाः कुंजिकाभवति। कर्मयोगीमानवः एव सफलतां प्राप्नोति। अलसः नरः भाग्यवादीभवति। सः सर्वदा चिन्तयति यत् भाग्येन एव सर्वंफलति। किन्तु एतद् विपरीतं परिश्रमी नरः परिश्रमेण सर्वाणि कार्याणिसाधयति। सः सर्वदापरिश्रमे एवं विश्वसिति। परिश्रमेण तस्य जीवनं सुखमयं, समृद्धं शान्तिपूर्णं च भवति। अतः उच्यते – “उद्यमेनैव सिद्धयन्ति कार्याणि न मनोरथै:।“
(1) एकपदेन उत्तरत
(क) परिश्रमः कस्या कुंजिका भवति?
(ख) कः नरः भाग्यवादी भवति?
(2) पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) भाग्यवादी नरः किं चिंतयति?
(ख) परिश्रमेण जीवनं किदृशं भवति?
(3) अस्य गद्यांशस्य एकं समुचितं शीर्षकं लिखत।
उपरोक्त प्रश्नानाम् उत्तरं यथा
(1) (क) सफलतायाः
(ख) अलसः नरः
(2) (क) सर्वदा चिन्तयति यत्-भाग्येन एवं सर्वं फलति।
(ख) परिश्रमेण जीवनं सुखमयं समृद्धं शांतिपूर्णं च भवति।
(3) अस्य गद्यांशस्य शीर्षक: परिश्रमः
Unseen passage for class 5 – Apathit Gadyansh – 3
संप्रति संपूर्ण विश्वे ऋतुचक्रस्य अनिश्चितता कारणात् पर्यावर्णस्य समस्या विकरालरूपे अस्ति। अतैव पर्यावरणस्य रक्षा अस्माभिः निश्चितमेव करणीय। एतस्कृते अस्माभिः रसायनिकानां, उर्वर्कानां च प्रयोग न्युनः कर्तव्यः। उद्योगेषु धूम-नलिकाः उच्चतरा: भवेयुः। उद्योगादेः यानानां च धूमः परिष्कृतः स्यात्। मलिनानां विषाक्तानां च पदार्थानां निष्कासनं नदीषु न करणीयम्। न केवलं वनं वृक्षाश्च संरक्षणीय अपितु वृक्षारोपणम् अपि करणीयम्।
(1) एकपदेन उत्तरत
(क) संपूर्णविश्वे कस्य अनिश्चितता अस्ति?
(ख) कस्य रक्षा अस्माभिः निश्चितमेव करणीय?
(2) पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) अस्माभिः किं कर्तव्यः?
(ख) अस्माभिः किं न करणीयम्?
(3) अस्य गद्यांशस्य एकं समुचितं शीर्षकं लिखत।
उपरोक्त प्रश्नानाम् उत्तरं यथा –
(1) (क) ऋतुचक्रस्य
(ख) पर्यावरणस्य
(2) (क) अस्माभिः रसायनिकानामोर्वर्कानामश्च प्रयोग न्युनः कर्तव्यः। उद्योगेषु धूम-नलिकाः उच्चतरा: भवेयुः। उद्योगादेः यानानामश्च धूमः परिष्कृतः स्यात्।
(ख) मलिनानां विषाक्तानां च पदार्थानां निष्कासनं नदीषुनकरणीयम्। न केवलं वनं वृक्षाश्च संरक्षणीय अपितु वृक्षारोपणम् अपि करणीयम्।
(3) अस्य गद्यांशस्य शीर्षक: पर्यावरणस्य रक्षा
Unseen passage for class 2nd – अपठित गद्यांश – 4
माघे मासे शुक्ले पक्षे पंचमयां तिथौ देवी सरस्वती सोल्लासं पूज्यते। अद्यैव वसंतोत्सवः क्रियते। वसंतपंचमी नाम्नी इयं तिथि प्रसिद्धः एव। सरस्वती ज्ञानस्य अधिष्ठात्री देवी मन्यते। वीणापाणि इयं यात्रा छात्रेभ्यः विद्यां ददाति। सा हंसवाहिनी शुक्लांबरा सरस्वती भारते सर्वत्र पूज्यते। इति अवसरे छात्राणाम् उत्साहः दर्शनीयः। वसंत पंचमयां तिथौ विद्यालयेषु सोत्सहं सरस्वती पूजन कुर्वन्ति। पूजास्थले दर्शनार्थिभ्यः मिष्ठानि प्रदीयन्ते। षष्ठयां तिथौ प्रतिमायाः विसर्जनं मोक्षे भवति।
(1) एक पदेन उत्तरत
(क) कः उत्सवः क्रियते?
(ख) कस्यां तिथौ सरस्वती पूजनं कुर्वन्ति?
(2) पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) का ज्ञानस्य अधिष्ठात्री देवी अस्ति?
(ख) पुजास्थले किं प्रदीयन्ते?
(3) अस्य गद्यांशस्य एकं समुचितं शीर्षकं लिखत।
उपरोक्त प्रश्नानाम् उत्तरं यथा –
(1) (क) वसंतोत्सव
(ख) वसंत पंचमयां
(2) (क) देवी सरस्वती ज्ञानस्याधिष्ठात्री देवी मन्यते।
(ख) पूजास्थले दर्शनार्थिभ्यः मिष्ठानि प्रदीयन्ते।
(3) अस्य गद्यांशस्य शीर्षक: देवी सरस्वती
Unseen passage for class 6th – अपठित गद्यांश: – 5
अभ्यासेन सर्व प्राप्यते। अभ्यासेन एवं अर्जुनः कुशलः धनुर्धरोऽभवत्। एकदा अर्जुनः अंधकारे भीमं पाकशालायां दृष्ट्वा अपृच्छत्- “कथं ते हस्तः अंधकारेऽपि मुखे एवं याति न इतस्ततः। “ भीमोऽवदत्- “अभ्यासेन सर्वं सिध्यति।“ भीमस्य उत्तरं श्रुत्वा अर्जुनोऽपि अभ्यासेन कुशलः धनुर्धरोऽभवत्।
(i) एकपदेन उत्तरत
(क) केन सर्व सिध्यति?
(ख) अर्जुनः भीमं कुत्र अपश्यत्?
(2) पूर्णवाक्येन उत्तरत्
(क) अर्जुनः भीमं किम् अपृच्छत्?
(ख) भीमस्य उत्तरं श्रुत्वा अर्जुनः कीदृश्योऽभवत्?
(3) अस्य गद्यांशस्य एकं समुचितं शीर्षक लिखत।
उपरोक्त प्रश्नानाम् उत्तरं यथा –
(1) (क) अभ्यासेन।
(ख) पाकशालायां।
(2) (क) “कथं तेहस्तः अंधकारेऽपि मुखे एवं याति न इतस्ततः।
(ख) भीमस्य उत्तरं श्रुत्वा अर्जुन: अपि अभ्यासेन कुशलः धनुर्धर: अभवत्।
(3) अस्य गद्यांशस्य शीर्षक: अभ्यासवान भव
Unseen passage for class 7th – अपठित गद्यांश – 6
उत्तरप्रदेशे अनेकानि तीर्थस्थलानि सन्ति। तेषु वाराणसी नगरी अपि एका अस्ति। वाराणसी नगरी गंगायाः पवित्रतटे विराजमाना अस्ति। अत्र गंगायां स्नानाय श्रीविश्वनाथस्य दर्शनाय च सर्वदा भिन्न-भिन्न स्थानेभ्यः जनाः आगच्छन्ति। वाराणसी शिक्षायाः केन्द्रम् अपि अस्ति।
(i) एकपदेन उत्तरत
(क) कुत्र अनेकानि तीर्थस्थलानि सन्ति?
(ख) वाराणसी नगरी कस्याः तटे विराजमाना अस्ति?
(2) पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) वाराणस्याम् जनाः कुतः किमर्थं च आगच्छन्ति?
(ख) वाराणसी नगरी कस्मिन् प्रदेशे अस्ति?
(3) अस्य गद्यांशस्य एकं समुचितं शीर्षकं लिखत।
उपरोक्त प्रश्नानाम् उत्तरं यथा –
(1) (क) उत्तर प्रदेशे।
(ख) गंगायाः तटे।
(2) (क) वाराणस्याम् भिन्न-भिन्न स्थानेभ्यः जनाः गंगायां स्नानाय श्रीविश्वनाथ दर्शनाय च आगच्छन्ति।
(ख) वाराणसी नगरी उत्तर प्रदेशे स्थितास्ति।
(3) अस्य गद्यांशस्य शीर्षक: पुण्यनगरी वाराणसी।
Unseen passage for class 8th – अपठित गद्यांश – 7
ऐतिहासिक ग्रंथानां पठनेन सम्यग् ज्ञानं भवति यत् सत्संगप्रभावात् नीचाः जनाः अपि महापुरुषाणाम् पदं प्राप्तवन्तः। यथा काष्ठसंगेन लौहम् अपि तरति तथैव सद्गुणैः दुर्गुणः अपि नाशम् अधिगच्छन्ति। सत्यसंगतिः करणीया कुसंगतिः च त्यजनीया।
(1) एकपदेन उत्तरत
(क) कस्य संगेन लौहम् अपि तरति?
(ख) कैः दुर्गुणाः नाशं यान्ति?
(2) पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) ऐतिहासिकग्रंथानां पठनेन किदृशं ज्ञानं भवति?
(ख) का करणीया का च त्यजनिया?
(3) अस्य गद्यांशस्य एकं समुचितं शीर्षक लिखत।
उपरोक्त प्रश्नानाम् उत्तरं यथा –
(1) (क) काष्ठसंगेन।
(ख) सद्गुणैः।
(2) (क) ऐतिहासिकग्रंथानां पठनेन सत्सङ्गत्याः प्रभावस्य सम्यक ज्ञान भवति।
(ख) सत्सङ्गतिः करणीया कुसङ्गतिः च त्यजनीया।
(3) अस्य गद्यांशस्य शीर्षक: सत्यसंगतिः
Unseen passage for class 9th – अपठित गद्यांश – 8
प्राचीनकाले एतादृशाः बहवो गुरुभक्ताः अभवन् येषाम् उपाख्यानं श्रुत्वा पठित्वा च महत् आश्चर्य जायते। यथा-एकलव्यः गुरोः मृत्तिकाम्यं मूर्तिमग्रे निधाय अभ्यासं कृत्वा शस्त्रचालने महतीं कुशलतां प्राप्तवान्।
(1) एकपदेन उत्तरत
(क) किं श्रुत्वा पठित्वाश्च महताश्चर्य जायते?
(ख) कः कुशलतां प्राप्तवान्?
(2) पूर्णवाक्येन उत्तरत्
(क) प्राचीने काले किदृशाः गुरुभक्ताः अभवन्?
(ख) एकलव्यः कथं महतीं कुशलतां प्राप्तवान्?
(3) अस्य गद्यांशस्य एकं समुचितं शीर्षक लिखत।
उपरोक्त प्रश्नानाम् उत्तरं यथा –
(1) (क) गुरुभक्ताः उपाख्यानं।
(ख) एकलव्यः।
(2) (क) प्राचीनकाले एकलव्यः सदृशाः गुरुभक्ताः अभवन्।
(ख) एकलव्यः गुरोः मृत्तिकाम्यं मूर्तिमग्रे निधायाभ्यासं कृत्वा शस्त्रचालनेमहतीं कुशलतां प्राप्तवान्।
(3) अस्य गद्यांशस्य शीर्षक: एकलव्यः
Unseen passage for class 10th – अपठित गद्यांश – 9
यदा मेघाः आकाशे गर्जन्ति तदा मयूराः प्रसन्नाः भवन्ति नृत्यन्ति च। वर्षायां मण्डूकाः अपि प्रसन्नाः भवन्ति। यदा वर्षाया: आगमनं भवति तदा तु सर्वे जनाः एव प्रसन्नाः भवन्ति। सर्वत्र वर्षाजलं दृष्टिगोचरं भवति। तत्र खगाः अपि उच्चै: कुजन्ति।
(1) एकपदेन उत्तरत
(क) मयूराः वर्षाकाले किम् कुर्वन्ति?
(ख) के कूजन्ति?
(2) पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) सर्वत्र किं दृष्टिगोचरं भवति?
(ख) वर्षाकाले के के प्रसन्नाः भवन्ति?
(3) अस्य गद्यांशस्य एकं समुचितं शीर्षक लिखत।
उपरोक्त प्रश्नानाम् उत्तरं यथा –
(1) (क) नृत्यन्ति
(ख) खगाः
(2) (क) सर्वत्र वर्षाजलं दृष्टिगोचरं भवति।
(ख) वर्षाकालेमधूराः मण्डूकाः जनाः आद्यः प्रसन्नोः भवन्ति।
(3) अस्य गद्यांशस्य शीर्षकः – वर्षाकाल
Unseen passage in Sanskrit with question-answer – अपठित गद्यांश – 10
मोक्षः चतुर्थः पुरुषार्थः। समान्यतया मनुष्यः धर्म अर्थ कामान् त्रीन पुरुषार्थात् सम्यगरूपेण अनुभूय मोक्षस्य अधिकारी भवति। मोक्षो नाम त्रिविध दुखेभ्यः सर्वथा मुक्ति। निर्वाणम् अति मोक्षस्यापरः पर्याय:। यदा मानवस्य सकलाः कामना: शान्तोभवन्ति, यदा स: मान अपमानयोः समानः तिष्ठति, यदा स: रागं द्वेषं च अतिक्रमति तदा स: मोक्षं प्राप्नोति।
(1) एकपदेन उत्तरत
(क) मोक्षस्य अपरः पर्याय: लिख्यताम्?
(ख) क: चतुर्थ: पुरुषार्थ:?
(2) पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) अन्येषां त्रयाणाम् पुरुषार्थानाम् नामानि लिख्यन्ताम्।
(ख) मानव कदा मोक्षं प्राप्तनोति?
(3) अस्य गद्यांशस्य एकं समुचितं शीर्षक लिखत।
उपरोक्त प्रश्नानाम् उत्तरं यथा –
(1) (क) निर्वाणम्
(ख) मोक्षः
(2) (क) धर्म अर्थ कामान् त्रयानाम् पुरुषार्थानां नामानि सन्ति।
(ख) यदा मानवोरागं द्वेषश्च अतिक्रमति तदा स: मोक्ष प्राप्तिनोति।
(3) अस्य गद्यांशस्य शीर्षकः मोक्षः
अपठित गद्यांश – 11
Apathit Gadyansh with Answer – अपठित गद्यांश – 11
पुरा धारा नगरे प्रजावत्सलो सिन्धुलो नाम राजा आसीत्। तस्य वृद्धावस्थायां भोज इति पुत्रः जातः। यदा स पंचवर्षीयः तदा पिता जरावस्थाम् ज्ञात्वा मुख्यामात्यम् आहूय मुन्जम् मुज्जे, महाबलम् अवलोक्य पुत्रं च बालम् वीक्ष्य विचारितवान् यदि अहं राज लक्ष्मीभारधारणसमर्थं सोदरं असहाय राज्यं पुत्राय प्रयच्छामि तदा लोकापवादः भविष्यति। अथवा बालं मे पुत्रं द्वेषादिना मुञ्जः मारिष्यति तदा दत्तमपि राज्यं वृथा। इति विचार्य राज्यं मुञ्जाय दत्तवान। तस्याङके आत्मजं भोज च रक्षायै समर्पितवान्।
(1) एकपदेन उत्तरत
(क) धारानगरे कः राजा आसीत्?
(ख) राजा राज्यं कस्मै दत्तवान्?
(2) पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) स्वकीयां जरावस्थां ज्ञात्वा राजा किं कृतवान्?
(ख) राजा किं विचारितवान्?
(3) अस्य गद्यांशस्य एकं चरित्रं शीर्षक लिखत।
उपरोक्त प्रश्नानाम् उत्तरं यथा –
(1) (क) सिन्धुला
(ख) मुञ्जाय
(2) (क) राजा जरावस्थाम् ज्ञात्वा मुख्यामात्यम् आहूय मुन्जम् मुज्जे, महाबलमावलोक्य पुत्रमश्च बालम् वीक्ष्य विचारितवान्
(ख) राज विचारितवान् लक्ष्मीभारधारणसमर्थं सोदरं असहाय राज्यं पुत्राय प्रयच्छामि तदा लोकापवादः भविष्यति। अथवा बालं मे पुत्रं द्वेषादिना मुञ्जः मारिष्यति तदा दत्तमपि राज्यं वृथा भविष्यति।
(3) अस्य गद्यांशस्य शीर्षक: – भोजस्य रक्षा।
Sanskrit apathit gadyansh – अपठित गद्यांश – 12
क्रोधः मनुष्यस्य महान् शत्रुः। क्रुद्धः जनः गुरून् अपि निन्दति, अपभाषणं करोति, ज्येष्ठानां हितवचनानि अपिच न श्रृणोति। तस्माद् वयं क्रोधात् सावधानाः भवेम्। यदि क्रोधः आगच्छति तदा तस्मिन्नेव क्षणे मौनं धारणीयम्। मौनेन मनः शान्तं भवति। वाणी अपि नियंत्रिता भवति। ईदृशे काले किञ्चित् पुस्तकं गृहीत्वा पठेम। कोपात् सर्वदा आत्मानं रक्षेम।
(1) एकपदेन उत्तरत
(क) मनुष्यस्य महान् शत्रुः कः?
(ख) क्रोधे आगते किं धारणीयम्?
(2) पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) क्रुद्धः जनः किं करोति?
(ख) मौनेन किं भवति?
(3) अस्य गद्यांशस्य एकं चरित्रं शीर्षक लिखत।
उपरोक्त प्रश्नानाम् उत्तरं यथा –
(1) (क) क्रोधः
(ख) मौनम्।
(2) (क) क्रुद्धः जनः गुरुन् अपि निन्दति, अपभाषणं करोति, ज्येष्ठानां हितवचनानि अपि च न शृणोति।
(ख) मौनेन मनः शान्तं भवति।
(3) अस्य गद्यांशस्य शीर्षक: क्रोधः मनुष्यस्य महान् शत्रुः भवति।
Unseen passage with Question – अपठित गद्यांश 13
दुःखानां मूलम् अज्ञानम् अस्ति इति महापुरुषैः कथितम्। यदि संसारात् अज्ञानस्य नाशः भवेत् तर्हि दुःखानां नाशः स्वयमेव भविष्यति इति तेषां मतम्। वस्तुतः अज्ञानात् एव लोके अनेके विकाराः अंधविश्वासादयः च उत्पन्ना भवन्ति। अज्ञानी जनः सर्वत्र दुःखित शोषितः अपमानितः च भवति। अतः शिक्षा एव तस्य दुःखानि नाशयितुम् शक्नोति। अस्मात् अस्माभिः सर्वदा शिक्षा दानेन अशिक्षितानां जनानां सहायता कर्त्तव्या।
(2) एकपदेन उत्तरात
(क) दुःखानां मूलं किम् अस्ति?
(ख) दुःखानि का नाशयति?
(2) पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) अनेके विकाराः कथम् उत्पन्नाः भवन्ति?
(ख) अस्माभिः केषां सहायता कर्तव्या
(3) अस्य गद्यांशस्य एकं चरित्रं शीर्षक लिखत।
उपरोक्त प्रश्नानाम् उत्तरं यथा –
(1) (क) अज्ञानम्
(ख) शिक्षा।
(2) (क) अनेके विकाराः अज्ञानात् उत्पन्नाः भवन्ति।
(ख) अस्माभिः अशिक्षितानां जनानां सहायता कर्त्तव्या।
(3) अस्य गद्यांशस्य शीर्षक: शिक्षा / अज्ञानस्य नाशः
Unseen passage for All Board Exams – Apathit Gadyansh (14)
ऋतुनां श्रेष्ठ वसंतः अस्ति। मूलतः सऋतुराज इति कथ्यते। सर्वे कवयः वसंतं वर्णयन्ति। संस्कृतस्य महाकवेः कालिदासस्य काव्ये वसंतस्य शोभा अतिव रमणीया अस्ति। तस्य ‘ऋतुसंहार’ नाम्नि काव्ये षड् ऋतुनां वर्णनं विद्यते। चैत्र वैशाखयोः वसंतः इति संज्ञा वर्तते। वसंत ऋतौ पादपेषु लतासु च नूतनानि किसलयानि प्रस्फुटन्ति। आम्र वृक्षेषु मंजर्यः जायन्ते। बहुविधानि पुष्पाणि वृक्षेषु लतासु च विकसन्ति। आम्राणाम् उद्यानेषु कोकिलाः कुजन्ति। विकसितेषु कुसुमेषु भ्रमराः गुण्जन्ति।
(1) एकपदेन उत्तरत
(क) ऋतूनां श्रेष्ठः कः?
(ख) कस्मिन् काव्ये षडऋतूनां वर्णनं विद्यते?
(2) पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) कयोः मासयोः संज्ञा वसंतः वर्तते?
(ख) वसन्ततौ किं किं भवति?
(3) अस्य गद्यांशस्य एकं समुचितं शीर्षकं लिखत।
उपरोक्त प्रश्नानाम् उत्तरं यथा –
(1) (क) वसंतः
(ख) ऋतुसंहारकाव्ये।
(2) (क) चैत्र-वैशाखयोः मासयोः वसंतः वर्तते।
(ख) वसंत ऋतौपादपेषु लतासुश्च नूतनानि किसलयानि प्रस्फुटन्ति।
(3) अस्य गद्यांशस्य शीर्षक: ऋतुराज वसंतः।
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