उपसर्ग

उपसर्ग (upsarg)

उपसर्ग (upsarg)

जो शब्दांश शब्दों के शुरुआत में जुड़कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता या परिवर्तन लाते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं। उपसर्ग शब्द ‘उप‘ (समीप) तथा ‘सर्ग‘ (सृष्टि करना) शब्द के संयोग से बना है। हिंदी व्याकरण में प्रमुख उपसर्ग की संख्या 13 है, जबकि संस्कृत में प्रमुख उपसगों की संख्या 22 है।

उपसर्ग upsarg की परिभाषा

उपसर्ग – किसी भी भाषा में उस अव्यय या शब्दांश को उपसर्ग कहते हैं जो मूल शब्दों के आरंभ में लगकर उनके अर्थों का विस्तार, परिवर्तन या उनमें कोई विशेषता उत्पन्न करता है। जैसे- अ, अनु, अप, वि आदि हिन्दी के उपसर्ग है।

उपसर्ग का अर्थ

उपसर्ग शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- उप (समीप) सर्ग (सृष्टि करना)। अतः उपसर्ग का शाब्दिक अर्थ है “किसी शब्द के समीप आ कर नया शब्द बनाना।” अर्थात ऐसे शब्दांश जो शब्दों के आदि में जुड़ कर उनके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं, वे उपसर्ग कहलाते हैं। जैसे-
हार‘ शब्द का अर्थ है पराजय। परंतु इसी शब्द के आगे ‘प्र’ शब्दांश को जोड़ने से नया शब्द बनेगा ‘प्रहार(प्र + हार) जिसका अर्थ है चोट करना।

  • प्र + हार = प्रहार

इसी तरह ‘‘ जोड़ने से आहार (भोजन), ‘सम्’ जोड़ने से संहार (विनाश) तथा ‘वि’ जोड़ने से विहार’ (घूमना) इत्यादि शब्द बन जाएंगे।

  • आ + हार = आहार
  •  वि+ हार विहार

उपर्युक्त उदाहरण में ‘प्र‘ ‘आ, सम्’ और ‘वि‘ का अलग से कोई अर्थ नहीं है, ‘हार’ शब्द के आदि में जुड़ने से उसके अर्थ में इन्होंने परिवर्तन कर दिया है। इसका मतलब हुआ कि ये सभी शब्दांश हैं और ऐसे शब्दांशों को उपसर्ग कहते हैं।

एक उपसर्ग के कई अर्थ हो सकते हैं। अर्थात उपसर्ग का कोई निश्चित अर्थ नहीं होता है, वे शब्द में जुड़ने के पश्चात ही अर्थ देते हैं, और ये अर्थ मिन्न-भिन्न शब्दों में अलग-अलग होते हैं। जैसे-

  • अ + मन = अमन (यहाँ पर ‘अ’ उपसर्ग ‘शांति’ के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है)
  • अ + चल = अचल (यहाँ पर ‘नहीं’ के अर्थ में)

उपसर्ग के उदाहरण (Upsarg Examples)

अ + छूता – अछूता
अन + पढ़ – अनपढ़
भर + पेट – भरपेट
अध+ पका – अधपका 
बिन + बादल –बिनबादल
सम + तल – समतल

उपसर्ग का कोई स्वतंत्र अर्थ नहीं होता है। जैसे- उपर्युक्त प्रथम उदाहरण में ‘‘ का प्रयोग ‘अभाव, हीन, नहीं के अर्थ में
हुआ है, परंतु इसी अर्थ में “” का प्रयोग हम वाक्य में शब्द के रूप में नहीं कर सकते हैं। ये किसी शब्द में जुडने पर
उस शब्द को नया अर्थ देते हैं।

उपसर्ग की पहिचान

उपसर्ग हमेशा मूल शब्द के आरंभ में प्रयुक्त होते हैं। जैसे-
परलोक = पर + लोक
पराजय = परा + जय
अनमोल = अन + मोल

यहाँ पर पर, परा तथा अन उपसर्ग प्रयुक्त हुए हैं।

कुछ शब्दों के पूर्व एक से अधिक उपसर्ग भी लग सकते हैं। जैसे-
प्रति + अप + वाद = प्रत्यपवाद
सम + आ + लोचन = समालोचन
वि + आ + करण = व्याकरण
वि + अव + हार = व्यवहार

यहाँ पर प्रत्यपवाद में प्रति, अप, समालोचन में समु, आ, व्याकरण में ‘वि, आ और व्यवहार में वि, अव दो-दो उपसर्ग प्रयुक्त हुए हैं।

उपसर्ग का वर्गीकरण

उपसर्ग को निमलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है-

1. हिन्दी के उपसर्ग
2. संस्कृत के उपसर्ग
3. अरबी, उर्दू और फ़ारसी के उपसर्ग
4. अंग्रेज़ी के उपसर्ग
5. उपसर्ग के समान प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय शब्द

नोट:- उपसगों की कोई निश्चित संख्या नहीं है, यहीं जो संख्याये दी जा रही हैं वे उनके उपयोग के आधार पर दी जा रहीं हैं।

हिन्दी के उपसर्ग

हिन्दी में प्रमुख उपसर्ग की संख्या 13 है अ, अन, क, कु, दु, नि, औं/अव, भर, सु, अध, उन, पर, बिन आदि। हिन्दी के प्रमुख उपसर्ग के उदाहरण अर्थ सहित निम्न हैं

1. अ- (अभाव, निषेध) अछूता, अथाह, अटल
2. अध- (आधा) अधपका, अधकच्चा, अधमरा, अधकचरा
3. अन- (अभाव, निषेध) अनमोल, अनबन, अनपढ़
4. उन- (एक कम) उनतीस, उनसठ, उनहत्तर, उंतालीस
5. औ/अव- (हीन, निषेध) औगुन, औघर, औसर, औसान
6. क- (बुरा, होन) – कपूत, कचोट
7. कु- (बुरा) – कुचाल, कुचैला, कुचक्र
8. दु- (कम, बुरा, दो) दुबला, दुलारा, दुधारू, दुरंगा, दुलत्ती, दुभाषिया
9. नि- (कमी) – निगोड़ा, निडर, निहत्था, निकम्मा

इनमें से कुछ उपसर्ग का प्रयोग समास में भी होता है। उदाहरण के लिए तिराहा तिराहा (तीन रास्तों का संगम), इसमें प्रथम पद (ति-उपसर्ग) संख्यावाची है, अतः इसमें द्विगु समास है।

उपसर्ग के भेद/प्रकार

हिन्दी में उपसर्ग के मुख्यतः तीन प्रकार के भेद होते हैं-
1. तत्सम उपसर्ग
2. तद्भव उपसर्ग
3. आगत उपसर्ग

तत्सम उपसर्ग- जो उपसर्ग संस्कृत भाषा के शब्दों के साथ ही हिंदी भाषा में भी आ गए हैं, तत्सम उपसर्ग कहलाते हैं। जैसे-
अधि + कार = अधिकार
आ + गम = आगम

तद्भव उपसर्ग- ये मूलतः संस्कृत से विकसित हैं। इनका प्रयोग हिंदी के मूल शब्दों के साथ होता है, जैसे-
अ + टल = अटल
क + पूल = कपूत

आगत उपसर्ग- अरबी-फारसी एवं अंग्रेजी आदि विदेशी भाषाओं से लिए गए शब्दांशों को आगत उपसर्ग कहते हैं। जैसे-

बद + दिमाग = बददिमाग
खुश + मिजाज = खुशमिजाज

तत्सम उपसर्ग के उदाहरण-
उपसर्ग उपसर्ग का अर्थ उपसर्ग का उदाहरण
अति अधिक अत्याचार, अत्यंत, अतिरिक्त, अत्यधिक
अधि ऊँचा, श्रेष्ठ अधिकार, अध्यक्ष, अधिकरण
अनु पीछे, समान अनुचर, अन्वय, अनुसार, अनुभव
अप बुरा, हीन अपमान, अपयश, अपव्यय, अपशकुन
नहीं अहिंसा, अमर, अधर्म, अन्याय
अभि सामने, ओर अभियोग, अभिमान, अभिलाषा, अभिनव
पूर्ण आगमन, आगम, आजन्म, आचरण
उप निकट, छोटा उपवन, उपकार, उपयोग, उपदेश
निर् रहित नहीं निर्भर, निर्दोष, निर्गुण, निर्विकार

संस्कृत के उपसर्ग

संस्कृत के प्रमुख उपसर्ग की संख्या बाइस (22) हैं- अति, अधि, अनु, अन्, अप, अपि, अभि, अव, आ, उत्, उद्, उप, दुर्/ दुस्, नि, निर्/निस्, परा, परि, प्र, प्रति, वि, सम्, सु आदि।

प्रमुख संस्कृत के उपसर्ग और उनके उदाहरण अर्थ सहित निम्नलिखित हैं-

‘अति’ उपसर्ग-

अति उपसर्ग का अर्थ: अधिक, परे, उस पार, ऊपर;
अति उपसर्ग के उदाहरण: अतिशय, अतिरेक, अतिमानव, अत्याचार, अत्यन्त, अतिक्रमण, अतिवृष्टि, अतिरिक्त, अत्यधिक

‘अधि’ उपसर्ग-

अधि उपसर्ग का अर्थः ऊपर, श्रेष्ठ;
अधि उपसर्ग के उदाहरण: अधिकरण, अधिकार, अधिगम, अधिनायक, अधिपति, अधिसूचना, अधीन, अध्यक्ष, अध्ययन, अध्यादेश, अध्यापन।

‘अनु’ उपसर्ग-

अनु उपसर्ग का अर्थ: पीछे, समान;
अनु उपसर्ग के उदाहरण: अनुकरण, अनुकूल, अनुक्रम, अनुच्छेद, अनुज, अनुताप, अनुदान, अनुभव, अनुमोदन, अनुराग, अनुवाद, अनुसार, अन्वय।

‘अन्’ उपसर्ग-

अन् उपसर्ग का अर्थ: अभाव, रहित;
अन् उपसर्ग के उदाहरण: अनादि, अनन्त, अनेक

‘अप’ उपसर्ग-

अप उपसर्ग का अर्थ: बुरा, हीन;
अप उपसर्ग के उदाहरण: अपकर्ष, अपमान, अपकार, अपशकुन, अपयश, अपकीर्ति, अपराध, अपहरण, अपव्यय, अपकर्ष, अपशब्द, अपभ्रंश।

‘अपि’ उपसर्ग-

अर्थ: आवरण, अच्छादन; उदाहरणः अपिधान।

‘अभि’ उपसर्ग-

अभि उपसर्ग का अर्थ: सामने, चारों ओर, पास;
अभि उपसर्ग के उदाहरण: अभिनंदन, अभिलाप, अभिमुख, अभिनय, अभ्युत्थान, अभ्युदय, अभिमान, अभिसार, अभिप्राय, अभियान, अभिज्ञान।

‘अव’ उपसर्ग-

अव उपसर्ग का अर्थ: हीन, नीच;
अव उपसर्ग के उदाहरण: अवगणना, अवतरण, अवकृपा, अवगुण, अवसाद, अवगत, अवकाश, अवसर, अवलोकन, अवस्था, अवज्ञा। 

‘आ’ उपसर्ग-

आ उपसर्ग का अर्थ: तक, समेत;
आ उपसर्ग के उदाहरण: आकंठ, आजन्म, आरक्त, आगमन, आदान, आक्रमण, आकलन

‘उत्’ उपसर्ग-

उत् उपसर्ग का अर्थ: ऊँचा, श्रेष्ठ, ऊपर;
उत् उपसर्ग के उदाहरण: उत्कर्ष, उत्तीर्ण, उत्पन्न, उत्पत्ति, उन्नति, उत्कृष्ट, उत्तम, उत्थान, उत्कण्ठा, उल्लेख, उन्मत्त, उत्सर्ग

‘उद्’ उपसर्ग-

उद् उपसर्ग का अर्थः ऊपर, उत्कर्ष;
उद् उपसर्ग के उदाहरण: उद्गम, उद्भव, उद्भिज्न, उद्‌द्घाटन, उद्बोधन

‘उप’ उपसर्ग-

उप उपसर्ग का अर्थ: निकट, सदृश, गौण;
उप उपसर्ग के उदाहरण: उपदेश, उपवन, उपमंत्री, उपहार, उपाध्यक्ष, उपदिशा, उपग्रह, उपवेद, उपनेत्र।

दूर/दुस्‘ उपसर्ग- मूल उपसर्ग ‘दुः होता है संधि के पश्चात “दुर, दुस्, दूष, दुश्” आदि उपसर्ग बनते हैं।

उदाहरण: दुर्– दुर्जन, दुर्गम, दुर्दशा, दुराचार, दुर्लभ, दुर्गुण, दुर्गति, दुर्योधन, दुर्गंध, दुर्भावना; दुस्– दुस्साहस; दूष- दुष्परिणाम, दुष्कर्म, दुष्कर; दुश्– दुश्चरित्र, दुश्वम्।

अरबी, उर्दू और फ़ारसी के उपसर्ग

हिन्दी में प्रमुख रूप से प्रयोग होने वाले अरबी, उर्दू और फ़ारसी के उपसर्ग की संख्या 19 है। अरबी, उर्दू और फ़ारसी के उपसर्ग उदाहरण अर्थ सहित निम्नलिखित हैं-
1. अल-निश्चित – अलबत्ता, अलगरज
2. कम- (थोड़ा, हीन) कमज़ोर, कमबख्त, कमअक्ल
3. खुश – (अच्छा) – खुशनसीब, खुशखबरी, खुशहाल, खुशबू
4. गैर- (निषेध) – गैरहाज़िर, गैरकानूनी, गैरमुल्क, गैरज़िम्मेदार
5. दर-में – दरअसल, दरहकीकत
6. ना- (अभाव) – नापसंद, नासमझ, नाराज़, नालायक
7. फिल-में- फिलहाल
8. फी-प्रति – फ़ीआदमी
9. ब- (और, अनुसार) – बनाम, बदौलत, बदस्तूर, बगैर
10. बद- (बुरा) – बदमाश, बदनाम, बदकिस्मत, बदबू
11. बर- ऊपर, पर, बाहर- दरदाश्त, बर्खास्त
12. बा- (सहित) – बाकायदा, बाइज़्ज़त, बाअदब, बामौका
13. बे- (बिना) – बेईमान, बेइज्ज़त, बेचारा, बेवकूफ़

अंग्रेज़ी के उपसर्ग
हिन्दी में मुख्य रूप से प्रयोग होने वाले अंग्रेज़ी के उपसगों की संख्या 6 है- सब, डिप्टी, वाइस, जनरल, चीफ़ और हेड। अंग्रेज़ी के उपसर्ग उदाहरण अर्थ सहित निम्नलिखित हैं-

उपसर्ग उपसर्ग का अर्थ उपसर्ग का उदाहरण
सब अधीन, नीचे सब-जज, सब-कमेटी, सब-इंस्पेक्टर
डिप्टी सहायक डिप्टी कलेक्टर, डिप्टी-मिनिस्टर, डिप्टी- रजिस्ट्रार,
वाइस सहायक वाइसराय, वाइस चांसलर, वाइस प्रेसीडेंट
जनरल प्रधान जनरल मैनेजर, जनरल सेक्रेटरी
चीफ़ प्रमुख चीफ मिनिस्टर, चीफ इंजीनियर, चीफ सेक्रेटरी
हेड मुख्य हेडमास्टर, हेड क्लर्क

उपसर्ग किसे कहते हैं?

उपसर्ग मूल शब्द के आरंभ में जुड़ने वाले शब्दांश होते हैं। अर्थात ऐसे शब्दांश जो मूल शब्द के आगे जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता या परिवर्तन कर देते हैं, उसे उपसर्ग कहते हैं। उपसर्ग का स्वतंत्र प्रयोग नहीं होता है। जैसे- सम+ तल = समतल, अन + पढ़ = अनपढ़ आदि।

हिन्दी में मूल उपसगों की संख्या कितनी है?

उपसर्गों की कोई निश्चित संख्या नहीं है, परंतु हिन्दी में प्रमुख उपसर्गों की संख्या 13 है अ, अन, क, कु, दु, नि, औ/ अव, भर, सु, अध, उन, पर, बिन

उपसर्ग के कितने भेद हैं?

हिन्दी में उपसर्ग मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं- 1. तत्सम, 2. तद्भव 3. आगत (विदेशी)।

संस्कृत के प्रमुख उपसर्ग कितने हैं?

संस्कृत के प्रमुख उपसर्ग बाइस (22) हैं- अति, अधि, अनु, अन्, अप, अपि, अभि, अव, आ, उत्, उद्, उप, दुर/दुस्, नि, निर्/निस्, परा, परि, प्र, प्रति, वि, सम्, सु

अति उपसर्ग से बनने वाले पाँच शब्द लिखिए?

अति उपसर्ग से बनने वाले शब्द अतिशय, अतिरेक, अतिमानव, अत्याचार, अत्यन्त, अतिक्रमण, अतिवृष्टि, अतिरिक्त, अत्यधिक

प्रति उपसर्ग से बनने वाले 10 शब्द लिखिए?

प्रति उपसर्ग से बनने वाले शब्द- प्रति, प्रतिकार, प्रतिकूल, प्रतिक्रिया, प्रतिक्षण, प्रतिक्षण, प्रतिघात, प्रतिच्छाया, प्रतिज्ञा, प्रतिदिन, प्रतिध्वनि, प्रतिनिधि, प्रतिबन्ध, प्रतिरूप, प्रतिवर्ष, प्रतिवाद, प्रतिवादी, प्रतिस्पर्धा, प्रतिहिंसा, प्रतीक्षा, प्रत्यक्ष, प्रत्येक

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