वाक्य की परिभाषा
शब्दों का व्यवस्थित रूप जिससे मनुष्य अपने विचारों का आदान प्रदान करता है उसे वाक्य कहते हैं एक सामान्य वाक्य में क्रमत्ता कर्ता, कर्म और क्रिया होते हैं। Vakya के मुख्यतः दो अंग माने गये हैं, उद्देश्य और विधेय।
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दो या दो से अधिक पदों के सार्थक समूह को, जिसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है, वाचा कहते हैं। उदाहरण के लिए ‘सत्य की विजय होती है।’ एक वाक्य है क्योंकि इसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है किन्तु ‘सत्य विजय होती।’ वाक्य नहीं है क्योंकि इसका अर्थ नहीं निकलता है।
वाक्यांश
शब्दों के ऐसे समूह को जिसका अर्थ तो निकलता है किन्तु पूरा पूरा अर्थ नहीं निकलता, वाक्यांश कहते हैं। उदाहरण के लिए-
- दरवाजे पर,
- कोने में,
- वृक्ष के नीचे
कर्ता और क्रिया के आधार पर वाक्य के भेद
कर्ता और किया के आधार पर वाक्य के दो भेद होते हैं-
1. उद्देश्य
2. विधेय
जिसके बारे में बात की जाय उसे उद्देश्य कहते हैं और जो बात की जाय उसे विधेय कहते हैं।
उदाहरण के लिए
- ‘मोहन प्रयाग में रहता है।
इसमें उद्देस्य है- मोहन,
और विथेय है – प्रयाग में रहता है।‘
वाक्य के भेद एवं प्रकार
वाक्य भेद दो प्रकार से किए जा सकते है
1. अर्थ के आधार पर वाक्य मेव
2. रचना के आधार पर बाक्य मेद
अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद |
अर्थ के आधार पर 8 प्रकार के वाक्य होते हैं-
अर्थ के आधार पर 8 प्रकार के वाक्य होते हैं-
1. विधान वाचक कक्य
2. निषेधवाचक वाक्य
3. प्रभवाचक वाक्य
4. विस्म्यादिवाचक वाक्य
5. आज्ञावाचक वाक्य
6. इच्छावाचक वाक्य
7. संकेतवाचक वाक्य
8. संदेहवाचक वाक्य
1. विधानवाचक सूचक वाक्य –
यह वाक्य जिससे किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है, यह विधानवाचक बाक्य कहलाता है।
उदाहरण –
- भारत एक देस है।
- राम के पिता का नाम दशरथ है।
- दशरथ अयोध्या के राजा है।
2. निषेधवाचक वाक्य:
जिन वाक्यों से कार्य न होने का भाव प्रकट होता है, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं।जैसे
- मैंने दूध नहीं पिया।
- मैंने खाना नहीं खाया।
3. प्रश्नवाचक वाक्य –
यह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार प्रश्न किया जाता है, यह प्रभवाचक वाक्य कहलाता है।
उदाहरण –
- भारत क्या है?
- राम के पिता कौन है?
- दशरथ कहां के राजा है?
4. आज्ञावाचक वाक्य –
यह बाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार की आज्ञा दी जाती है या प्रार्थना किया जाता है, यह विधिसूक्क वाक्य कहलाता है।
उदाहरण-
- बैठो।
- बैठिये।
- कृपया बैठ जाइये।
- शांत रही।
- कृपया शांति बनाये रखें।
5. विस्मयादिवाचक वाक्य –
चह बाक्य जिससे किसी प्रकार की गहरी अनुभूति का प्रदर्शन किया जाता है, यह विस्मयादिवाचक বারুণ कहलाता है।
उदाहरण –
- अहा। कितना सुन्दर उपवन है।
- ओह! कितनी ठंडी रात है।
6. इच्छावाचक वाक्य –
जिन वाक्यों में किसी इच्छा, आकांक्षा या आशीर्वाद का बोथ होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं।
उदाहरण-
भगवान तुम्हें दीर्घायु करे।
नववर्ष मंगलमय हो।
7. संकेतवाचक वाक्य-
जिन वाक्यों में किसी संकेत का बोध होता है, उन्हें संकेतवाचक बाक्य कहते हैं।
उदाहरण
राम का मकान उधर है।
सोनू उधर रहता है।
8. संदेहवाचक वाक्य –
जिन वाक्यों में संदेह का बौध होता है, उन्हें संदेहवाचक बाल्य कहते हैं।
उदाहरण-
क्या यह यहाँ आ गया ?
क्या उसने काम कर लिया?
रचना के आधार पर वाक्य के भेद |
स्चना के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित ३ भेद होते हैं-
1. सरल वाक्य/साधारण वाक्य
जिन वाक्यों में एक ही विधेय होता है, उन्हें सरल वाक्य या साधारण वाक्य कहते हैं, इन वाक्यों में एक ही किया होती है।
- मुकेश पढ़ता है।
- राकेश ने भोजन किया।
2. संयुक्त वाक्य –
दी अथवा दो से अधिक साधारण वाक्य जब सामानाधिकरण समुच्चयर्वाधकों जैसे (पर, किन्तु, और, या आदि से जुड़े होते हैं, तो ये संयुक्त वाक्य कहलाते हैं।
में चार प्रकार के होते हैं-
(i) संयोजक-
जब एक साधारण वाक्य दूसरे साधारण या मिश्रित वाक्य से संयोजक अव्यय द्वास जुदा होता है
- गीता गई और सीता आई।
(ii) विभाजक-
“जब साधारण अथवा मिश्र वाल्यों का परस्पर भेद का विरोध का संबंध रहता है।
- यह मेहतत तो बहुत करता है पर फल नहीं मिलता।
(iii) विकल्पसूचक-
जब दो बातों में से किसी एक को स्वीकार करना होता है।
जैसे
- या तो उसे में अखाड़े में पछाहूँगा या अखाड़े में उतरना ही छोड़ दूंगा।
(iv) परिणामबोधक-
जब एक साधारण चाक्य दसूरे साधारण या मिश्रित बाक्य का परिणाम होता है।
जैसे
- आज मुझे बहुत काम है इसलिए में तुम्हारे पास नहीं आ सकूँगा।
3. मिश्रित/मिश्र वाक्य –
जिन वाक्यों में एक मुख्य या प्रधान वाक्य हो और अन्य आश्रित उपवाक्य हाँ, उन्हें मिश्रित वाक्य कहते हैं। इनमें एक मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक से अधिक समापिका क्रियाएँ होती हैं।
- ज्यों ही उसने दया पी, वह सो गया।
- यदि परिश्रम करोगे तो, उत्तीर्ण हो जाओगे।
- में जानता हूँ कि तुम्हारे अक्षर अच्छे नहीं बनते।
विशेष-
इन वाक्यों में एक मुख्य या प्रधान उपया और एक अधवा अधिक आश्रित उपाय होते हैं जी समुच्चयबोधक अव्यय से जुड़े होते हैं।
मुख्य उपवाल्य की पुष्टि, समर्थन, स्पष्टता अथवा बिस्तार हेतु ही आश्रित बाक्य आते है।
आश्रित वाक्य 3 प्रकार के होते हैं
1. संज्ञा उपवाक्या
2. विशेषण उपवाक्य।
3. क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
1. संज्ञा उपवाक्य-
जब आश्रित उपवाक्य किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम के स्थान पर आता है तब वह संज्ञा उपवाक्य कहलाता है।
जैसे–
- यह चाहता है कि मैं यही कभी न आऊं।
- यहीं कि मैं कमीन आऊ,
- ये संज्ञा उपवाक्य है।
2. विशेषण उपवाक्य-
जो आश्रित उपवाक्य मुख्य उपवाक्य की संज्ञा शब्द अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बतलाता है यह विशेषण
उपगक्य कहलाता है।
जैसे
- जो घड़ी मेज पर रखी है वह मुझे पुरस्कार सारूप मिली है।
- यहाँ जो घड़ी मेज पर रखी है यह विशेषण उपवाक्य है।
3. क्रिया-विशेषण उपवाक्य-
जब आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की किया की विशेषता बतलाता है तब वह किया-विशेषण उपवाक्य कहलाता है।
- जब वह मेरे पास आया तब में सो रहा था।