1347 ई० में हसन गंगू उर्फ अलाउद्दीन बहमनशाह ने बहमनी साम्राज्यकी स्थापना की।
बहमनी राज्य में आधुनिक महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं उड़ीसा के क्षेत्र आते थे। इनमें देवगिरि (दौलताबाद) का किला प्रमुख था।
बहमनशाह ने गुलबर्गा में अपनी राजधानी स्थापित की एवं इसका नाम बदलकर अहसानाबाद रख दिया। |
बहमनशाह ने शासन में सुविधा के लिए संपूर्ण राज्य को चार तराफों (प्रांतों) में बाँटा एवं प्रत्येक प्रांत के लिए विभिन्न नामों से तराफदारों (गवर्नरों) की नियुक्ति की – दौलताबाद – मसनद-ए-माली, गुलबर्गा – मलिक नायब, बीदर – आजम-ए-हुमाएँ, बरार – मजलिस-ए-आली।
उपरोक्त तराफों में गुलबर्गा का विशेष महत्व था, जिसमें बीजापुर भी शामिल था।
बहमनी का राजवंश
बहमन शाह→ 1347-58 ई०
मुहम्मद शाह-I→ 1358-73 ई०
मुजाहिद शाह-II→ 1373-77 ई०
मुहम्मद शाह-II→ प्रांत 1378-97 ई०
फिरोज शाह- 1397-1422 ई०
अहमद शाह→ 1422-35 ई०
अलाउद्दीन शाह-II→ 1435-57 ई०
हुमायूँ → 1457-61 ई०
निजाम शाह→ 1461-63 ई०
मुहम्मद→ 1463-82 ई०
बहमनी राजवंश के शासक मुहम्मद शाह-I ने विजयनगर पर आक्रमण करके वहाँ के तत्कालीन शासक बुक्का को परास्त कर दिया।
1361 ई० में मिस्र के खलीफा ने मुहम्मद शाह-I को मान्यता प्रदान की तथा दक्षिण भारत का सुल्तान स्वीकार किया।
बहमनी राजवंश के ‘8वें’ शासक ताजुद्दीन फिरोजशाह ने विजयनगर से संघर्ष किया एवं उन्हें संधि करने पर विवश कर दिया।
सुल्तान फिरोज शाह ने गुलबर्गा से थोड़ी दूरी पर फिरोजाबाद नामक नगर बसाया।
बहमनी के सुल्तान अहमद शाह ने राजधानी को गुलबर्गा से बीदर स्थानांतरित कर दिया।
अहमद शाह के शासनकाल में बहमनी का विजयनगर के साथ संघर्ष हुआ (दरअसल रायचूर दोआब के प्रश्न पर बहमनी एवं विजयनगर के बीच अक्सर संघर्ष होता रहता था) तथा विजयनगर का शासक देवराय परास्त हुआ।
बहमनी राजवंश के शासक हुमायूँ को उसकी क्रूरता एवं विलासिता के कारण क्रमशः जालिम हुमायूँ एवं पूर्व का नीरो कहा गया।
बहमनी राजवंश के शासक मुहम्मद शाह-III के शासनकाल में रूसी पर्यटक अथनेसियस निकीतीन ने भारत का भ्रमण किया।
महमूद गवां को मुहम्मद शाह-III के शासनकाल में ख्वाजा जहाँ की उपाधि से विभूषित कर प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया गया। महमूद गवां के पत्रों का संग्रह रियाजुल इन्शा के नाम से किया गया।
बहमनी राजवंश में कुल 18 शासक हुए, जिन्होंने समग्र रूप से 175 वर्षों तक राज किया।
बहमनी राजवंश का अंतिम शासक कलीम उल्लाह था। उसकी मृत्यु के समय बहमनी 5 स्वतंत्र राज्यों में विभक्त हो गया