जून, 1914 में तिलक की स्वदेश वापसी के बाद राष्ट्रवादी तत्व पुनः सक्रिय हो उठे।
28 अप्रैल 1916 को बाल गंगाधर तिलक ने पूना में इंडियन होमरूल लीग की स्थापना की।
तिलक द्वारा स्थापित होमरूल लीग में जोसेफ बैपटिस्टा (अध्यक्ष), एन०सी० केलकर (सचिव) जी० एस० खापर्ड, बी० एस० मुंजे तथा आर० पी० करंदिकर आदि इसके नेता थे।
इस बीच 1913 ई० में एनी बेसेंट इंगलैंड गईं। वहाँ आयरिश होमरूल लीग ने भारत में भी ऐसा ही आंदोलन चलाने की सलाह दी।
भारत में एनी बेसेंट ने अपने होमरूल लीग की स्थापना मद्रास के बगल में अड्यार में की।
एनी बेसेंट की होमरूल लीग से जुड़ने वाले राष्ट्रवादियों में मोती लाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, खलीकुज्जमा, तेज बहादुरसा, सी० वाई. चिंतामणि, सी०पी० रामास्वामी अय्यर, सुब्रह्मण्यम अय्यर हसन इमाम एवं मजहरूल हक आदि प्रमुख थे।
7 जून, 1916 ई० को टैवीस्टाक स्क्वायर, लंदन में एक भारतीय होमरूल लीग की स्थापना की गई जिसके महासचिव मेजर डी ग्राहम पॉल थे।
1915 ई० में अमेरिका में रह रहे लाला लाजपत राय ने अपनी अध्यक्षता में होमरूललीग की स्थापना की।
होमरूल लीग का एकमात्र लक्ष्य स्वशासन हासिल करना था।
तिलक ने मराठा एवं केसरी तथा एनी बेसेंट ने अपने पत्रों कॉमनवील, न्यू इंडिया तथा यंग इंडिया (बंबई) के माध्यम से होमरूल का व्यापक प्रचार किया।
होमरूल आंदोलनों के प्रति देशी नरेशों का रवैया भी सहानुभूतिपूर्वक रहा।
2 अगस्त, 1917 को इंडिया सेक्रेट्री मांटेग्यू की घोषणा हुई की धीरे-धीरे भारत में उत्तरदायी सरकार की स्थापना की जायेगी। इस घोषणा के बाद होमरूल आंदोलन प्रायः समाप्त हो गया।