मुबारक खिलजी व खिलजी वंश Mubarak Khilji
- अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के बाद मलिक काफूर ने अलाउद्दीन के 6 वर्षीय पुत्र उमर को गद्दी पर बैठाया ज़ाहिर है कि 6 वर्ष के बच्चे से तो शासन चलता नहीं तो वास्तविक बागडोर तो मलिक काफूर के हाथों में ही थी इसके साथ ही मलिक काफूर ने अलाउद्दीन की विधवा से शादी कर ली
- मलिक काफूर ने अलाउद्दीन खिलजी के दो अन्य पुत्रों खिज्र खाँ व शादी खाँ को अंधा करवाकर उनकी माता मल्लिका-ए-जहाँ के साथ ग्वालियर के किले में कैद करवा दिया तथा अलाउद्दीन के एक अन्य पुत्र मुबारक शाह को सीरी के किले में कैद करवाया ( सीरी अलाउद्दीन खिलजी की राजधानी थी) परंतु मुबारक खाँ ने मलिक काफूर को मरवा डाला और उसको ही अंधा करवाकर ग्वालियर के किले में कैद करवा दिया
- इसके पश्चात “मुबारक खाँ “ (कुतुबुद्दीन मुबारक खाँ खिलजी) 13 अप्रैल 1316 में 16-17 वर्ष की आयु में शासक बना इसने स्वयं को खलीफा घोषित किया तथा “मुबारक खाँ” के नाम से गद्दी पर बैठा
- मुबारक खाँ ने अलाउद्दीन के आर्थिक सुधारों जो बाजार नियंत्रण प्रणाली थी उसको हटवा दिया तथा इसने जागीर व्यवस्था पुन: लागू करवा दी
- परंतु यह बहुत विलासी पृवृत्ति का शासक था तथा कभी –कभी वह स्त्री की वेश-भूषा में भी दरबार में आ जाता था यहाँ तक कि कुछ समकालीन लेखकों के अनुसार वह निवस्त्र होकर दरबारीयों के बीच दौडा करता था !
- खुसरो खाँ 1320 ई0 में मुबारक खाँ खिलजी की हत्या करवाकर गद्दी पर बैठा अब ये कौन था ??
- खुसरव शाह मूलत: गुजराती हिंदू बरादू जाति का व्यक्ति था जो धर्म परिवर्तन करके मुसलमान बना था इसने ‘पैगम्बर की उपाधि धारण की इसने “इस्लाम खतरे में है” का नारा दिया और अपने नाम के खुतबे भी पढवाये
- नसिरुद्दीन “खुसरव शाह” की हत्या गाजी मलिक ने इंद्रप्रस्थ के पास सितम्बर 1320 करावा दी जो कि उस समय लाहौर के निकट दीपालपुर का गवर्नर था
- गाजी मलिक 8 सितम्बर 1320 ई0 को अलाउद्दीन खिलजी द्वारा बनबाये गये हजारों स्तम्भ वाले सीरी के महल में प्रवेश कर दिल्ली तख्त का मालिक बना और इस तरह खिलजी वंश का अंत हो गया