द्वितीय आंग्ल मराठा युध्द

आंग्ल मराठा युध्द – द्वितीय

द्वितीय आंग्ल मराठा युध्द

  • द्वितीय आंग्ल मराठा युध्द 1803 ई0 से 1806 ई0 तक चला
  • आंग्ल माराठा युध्द का दूसरा दौर फ्रांसीसी भय से संलग्न था

लार्ड वेलेजली का निर्णय

  •  लार्ड वेलेजली ने इससे बचने के लिए सभी भारतीय प्रांतों को अपने अधीन करने का निश्चय किया

द्वितीय आंग्ल मराठा युध्द का कारण

  • लार्ड वेलेजली के मराठों केआंतरिक मामलों में हस्तक्षेप की नीति और सहायक संधि थोपने के चलते द्वितीय आंग्ल मराठा युध्द प्रारंभ हुआ

बेसिन की संधि

  • 1802 ई0 में पेशवा ने अंग्रेजों के साथ बेसिन की संधि की जिसके अंतर्गत पेशवा ने अंग्रेजों का संरक्षण स्वीकार कर लिया वह पूर्णरुपेण अंग्रेजों पर निर्भर हो गया था

राजघाट की संधि

  •  इससे क्रोधित होकर मराठा सरदारों ने अंग्रेजों को चुनौती दी इसके अंतर्गत अनेक युध्द हुए और अंत में 1806 में होलकर व अंग्रेजों के मध्य राजघाट की संधि हुयी और युध्द समाप्त हो गया

तृतीय आंग्ल मराठा युध्द

  • तृतीय आंग्ल मराठा युध्द 1817 ई0 से 1818 ई0 तक चला
  • इसमें मराठों सरदारों द्वारा अपनी खोई हुई स्वतंत्रता को पुन: प्राप्त करने का प्रयास किया गया
 

तृतीय आंग्ल मराठा युध्द के कारण 

  • अंग्रेज रेजीडेंट द्वारा मराठा सरदारों पर कठोर नियंत्रण प्रयासों के चलते ये युध्द हुआ
  • लार्ड हेंगस्टिंग के पिण्डारियों के अभियान से मराठों के प्रभुत्व को चुनौती मिली तथा दोनों पक्षों के मध्य युध्द आरम्भ हो गया

बाजीराव द्वितीय का आत्मसमर्पण

  • 1818 ई0 को बाजीराव द्वितीय ने सर जॉन मेलकन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया

पेशवा पद की समाप्ति

  • इसके बाद पेशवा का पद समाप्त कर दिया गया और पेशवा विठूर भेज दिया गया
  • पूना पर अंग्रेजों का अधिकार स्थापित हो गया

सतारा राज्य की स्थापना 

  • मराठों के आत्मसम्मान की तुष्टि के लिए सतारा नामक एक छोटे राज्य का अंग्रेजों द्वारा निर्माण किया गया तथा इसे शिवाजी के वंशज को सौंप दिया गया

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *