द्वितीय आंग्ल मैसूर युध्द 1780 से 1784 तक हुआ 1779 में अंग्रेजों ने पश्चिमी तट पर फ्रेंच व्यापारिक बस्ती माहे पर अधिकार कर लिया
इस फ्रांसिसी उपनिवेश से हैदरअली के सामरिक सम्बंध (युध्द में एक दूसरे की मदद करना) थे
हैदर अली का कर्नाटक के नबाब पर हमला
हैदर अली ने निजाम और मराठों के साथ मिल कर 1780 में एक संयुक्त सेना ली और अंग्रेजों के मित्र कर्नाटक के नबाब पर हमला कर दिया
अर्काट पर अधिकार
नबाब की ओर से लडने वाली अंग्रेज सेना को हैदर अली ने बहुत बुरी तरह परास्त कर दिया और कर्नाटक की राजधानी अर्काट पर अधिकार कर लिया और अंगेर्जी सेनापति था कर्जन वेली उसे भी कैद कर लिया
उस समय बंगाल के गवर्नर वॉरेंग हेगटिंग्स थे इन्होंने भारत में अंग्रेजों के प्रधान सेनापति आयरकूट को एक विशाल सेना लेकर लडने के लिए भेजा
पोर्टोनोवा युध्द
आयरकूट ने हैदर अली को पोर्टोनोवा के युध्द में पराजित कर दिया और कई स्थानों पर मैसूर की सेना ने भी अंग्रेजों को पीछे हटने पर विवश कर दिया
आयरकूट की मृत्यु
युध्द के निर्णय न होने के बीच हैदर अली 7 सितम्बर 1782 को एवं सर आयरकूट अप्रैल 1782 को स्वर्गवासी हो गये
इनकी मृत्यु के बाद अब युध्द में मैसूर की ओर से हैदर अली का पुत्र टीपू सुल्तान था और अंग्रेजों की ओर से जनरल स्टोअर्ड
अंग्रेजों और फ्रांसिसियों की संधि
टीपू ने एक वर्ष तक युध्द जारी रखा परंतु दोनों में से कोई भी एक निश्चित विजय प्राप्त नहीं कर पाया इसी बीच यूरोप में अंग्रेजों और फ्रांसिसियों के बीच संधि हो गई
मंगलौर की संधि
भारत में भी अंग्रेजों और फ्रांसिसियों के बीच 1784 में मंगलौर की संधि हो गयी
दोनों पक्षों ने एक दूसरे के जीते हुए प्रदेश लौटा दिये परंतु युध्द का दूसरा दौर भी निर्णायक साबित नहीं हो पाया