17 वीं शताब्दी में मराठों का उत्थान हुआ वास्तव में दक्षिण भारत में चलने वाले सामाजिक धार्मिक जागरण का परिणाम था
इस क्षेत्र ने अपनी भौगोलिक क्षेत्रता का लाभ मराठों को प्रदान किया इसके फलस्वरुप कुशल नेतृत्व के निर्देशन में मराठों का उत्थान हुआ
मराठे17 वीं सदी से बीजापुर अहमद नगर तथा गोलकुण्डा की सेना में कार्य करते थे उनके पहाडी किलों को मराठे ही नियंत्रित करते थे
इन मराठो को राजा, नायक, राय आदि की उपाधि दी जाती थी
बीजापुर के शासक इब्राहिम आदिल शाह ने मराठो को बारगीर के रुप में नियुक्त किया उसने अपने लेखा विभाग में भी मराठा ब्राह्मणों की नियुक्ति की
कालांतर मे मराठा राज्य संघ में ग्वालियर के सिंधिया, नागपुर के घोसले, बडौदा के गायकवाड, इंदौर के होलकर तथा पूना के पेशवार सम्मिलित हुए
मराठा राज्य के संस्थापक
इनमें सर्वप्रमुख नाम शिवाजी का आता है शिवाजी मराठा राज्य के संस्थापक थे इनका जन्म 1627 ई. में पूना में हुआ था इनके पिता का नाम शाह जी था जो बीजापुर राज्य में एक अधिकारी थे
शिवाजी का पालन पोषण
इनकी माता का नाम जीजाबाई था शिवाजी का पालन पोषण दादा जी कोणदेव और गुरु रामदास के संरक्षण में हुआ
शिवाजी का राजनैतिक जीवन
आगे चलकर शिवाजी ने अपने राजनैतिक जीवन का शुभारम्भ किया और बीजापुर राज्य की सीमाओं के अंतर्गत पडने वाले दुर्गो पर अधिकार कर लिया
बीजापुर की घटना
बीजापुर के सुल्तान ने अफजल खां के नेतृत्व में 1659 ई. में एक सेना भेजी
शिवाजी ने अफजल खां को मार डाला और बीजापुर की सेना को पराजित कर दिया
बीजापुर के बाद शिवाजी में मुगल सम्राट औरंगजेब का सामना किया औरंगजेब ने शाहिस्ता खां के एक दल को शिवाजी का दमन करने के लिए भेजा
शिवाजी ने गौरिल्ला युध्द पध्दति से पूना मे विश्राम कर रहे शाहिस्ता खां पर रात्रि में ही हमला कर दिया इस में शाहिस्ताखां का पुत्र मारा गया और शाहिस्ता खां भाग गया
सूरत लूट
1664 ई. में शिवाजी ने सूरत शहर को लूटा था सूरत शहर से मुगलों को बहुत अधिक राजस्व की प्राप्ति होती थी
पुरंदर संधि
क्रुध्द होकर औरंगजेब ने राजा जय सिंह के नेतृत्व में सेना भेजी जिससे विवश होकर शिवाजी ने राजा जय सिंह के साथ 1665 में पुरंदर की संधि कर ली
इस संधि के अनुसार शिवाजी ने अपने 35 दुर्गो में से 23 दुर्ग मुगलों को सौंपे
औरंगजेब के दरबार में शिवाजी
जयसिंह के द्वारा सुरक्षा का आस्वासन मिलने के बाद शिवाजी औरंगजेब से मिलने आगरा दरबार में पहुँचे
औरंगजेब ने शिवाजी और उनके पुत्र शम्भा जी को आगरा नगर के जयपुर भवन में कैद कर लिया
शिवाजी वहाँ से भाग निकले और अपने राज्य में पहुँच गये विवश हो कर औरंगजेब ने उन्हें राजा की उपाधि प्रदान की
छत्रपति की उपाधि
1674 ई. में रायगढ में शिवाजी ने अपना राज्याभिषेक कराया और छत्रपति की उपाधि धारण की
उन्होंने अपना राज्याभिषेक बनारस के महान पण्डित विश्वेशर या श्री गंगाधर से कराया
शिवाजी ने रायगढ को अपनी राजधानी बनाया
शिवाजी की मृत्यु
1680 ई. में शिवाजी की मृत्यु हो गई
कर प्रणाली
शिवाजी के समय में दो तरह की कर प्रणाली थी सरदेशमुखी दूसरी चौथ
सरदेशमुखी कर प्रणाली
सरदेशमुखी मालगुजारी के 101 भाग के बराबर होता था महाराष्ट्र में पूरे क्षेत्र से भूराजस्व बसूलने वाले अधिकारी को देशमुख कहते थे तथा एक बडे क्षेत्र के देश प्रमुख को सरदेशमुख कहते थे ये दोनों पदाधिकारी वंशानुगत होते थे तथा अपने पद को वतन कहते थे
शिवाजी स्वयं को समस्त महाराष्ट्र का सरदेशमुख कहते थे
चौथ प्रणाली
चौथ मालगुजारी के 14भाग के बराबर होता था और चौथ के रूप में राजस्व देने वाले क्षेत्र को कभी लूटा नहीं जाता था
शिवाजी के काल में जो मालगुजारी वसूलते थे उन्हें पटेल कहा जाता था
अन्य महत्वपूर्ण बातें
शिवाजी का राज्य 16 प्रांतों में विभक्त था
प्रशासन की सबसे छोटी ईकाई मौजा थी
मराठों के जिलों को तरफ कहा जाता था
केंद्रिय सचिवालय को हुजूर दफ्तर कहा जाता था
शिवाजी की अश्वारोही सेना दो भागों में बँटी होती थी वर्गी और सिलहेदार
मराठो को उस वक्त के साहित्य में गनीम अर्थात शत्रु कहा गया है
सूरत बंदरगाह को मुगल काल में मक्का द्वार कहा जाता था