गवर्नर जनरल लॉर्ड कॉर्नवालिस ने निजाम तथा मराठों के टीपू भावनाओं से प्रेरित हो कर 1790 ई. में टीपू के विरुध्द त्रिदलीय संगठन की रचना की
टीपू ने भी 1784 से 1785 में तुर्को का सहयोग हासिल करने के लिए कुतुस्तूनिया में एक राजदूत भेजा
टीपू ने 1787 में एक द्वीप मण्डल फ्रांस भेजा त्रावणकोण के राजा ने डचों से कोचीन रियासत जिसे टीपू अपने अधिकार क्षेत्र में समझता था में स्थित जयगोट और क्रगालूर खरीदने का प्रयास किया
टीपू का त्रावणकोण पर आक्रमण
इसे अपने राज्य में हस्तक्षेप मानते हुये अप्रैल 1790में टीपू ने त्रावणकोण पर आक्रमण कर दिया
त्रावणकोण के राजा की ओर से लडते हुए कॉर्नवालिस ने मार्च 1791में बंगलौर जीत लिया और श्रीरंगपट्टनम तक पहुँच गया
श्रीरंगपट्टनम की संधि
टीपू ने अंग्रेजों के साथ मार्च 1792 में श्रीरंगपट्टनम की संधि की यह संधि टीपू के लिए बहुत अपमानजनक संधि थी
इसके तहत टीपू को अपना आधा राज्य अंग्रेजों और उसके मित्रों को देना पडा
उपरोक्त संधि के तहत टीपू को जमानत के तौर पर अपने दो पुत्रों को भी कॉर्नवालिस को दे दिया