एक जंगल में एक आलसी बंदर रहता था। वह दिनभर सोता रहता था और कभी-कभी ही कुछ काम करता था। जंगल के अन्य जानवर उसे बहुत ही निन्दा करते थे, परंतु बंदर उनकी बातों को समझता तक नहीं था।
एक दिन, उसने एक पेड़ पर बैठे हुए एक गीदड़ को देखा। गीदड़ लगातार कुछ खोज रहा था। बंदर ने गीदड़ से पूछा, “तुम यहाँ क्या खोज रहे हो?”
गीदड़ ने कहा, “मैं अपने लिए भोजन ढूंढ रहा हूँ।”
बंदर ने हंसते हुए कहा, “तुम्हें इतना काम करने की क्या जरूरत है? जंगल में इतना ही खाना है, बस लेट आओ और सो जाओ।“
गीदड़ ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “हाँ, परंतु तुम्हें यह समझने की जरूरत है कि कुछ पाने के लिए भी मेहनत की जाती है।”
बंदर ने गीदड़ की बातों को ध्यान में रखकर जीवन में मेहनत की महत्वकांक्षा जागृत की। उसने भी अब से मेहनत करने का निर्णय किया और उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि आलसीता हमें हमेशा नुकसान पहुंचा सकती है, और मेहनत से ही हम सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं। आलसी बंदर आलसी बंदर