एक गाँव में एक साधू रहता था। वह बड़ी अच्छी सोच वाले व्यक्ति थे। एक दिन, उन्होंने एक बच्चे को एक अद्भुत पेड़ के फल दिया। यह फल विचारशीलता और उत्साह से भरा था। अच्छाई का फल: अच्छाई का फल: अच्छाई का फल: अच्छाई का फल:
बच्चा बड़ा खुश हुआ और घर लौट आया। उसने दोस्तों को भी फल बाँटा। लोग अच्छाई के फल को खाकर अत्यधिक प्रसन्न हुए।
बाद में, साधू ने उनसे पूछा, “तुम्हें कैसा लगा यह फल?”
बच्चा बोला, “यह फल न केवल स्वादिष्ट था, बल्कि मुझे एक अच्छा सबक भी सिखाया।”
साधू ने पूछा, “कौनसा सबक?”
बच्चा बोला, “अच्छाई की बुआई से ही खुशियाँ उगती हैं।”
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अच्छाई करने का परिणाम बहुत ही मिठास भरा होता है।
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