राज्यों की मंत्रिपरिषद में भी मंत्रियों की तीन श्रेणियां होती हैं –
- कैबिनेट मंत्री मंत्रिमंडल के सदस्य
- राज्य मंत्री
- उपमंत्री
- कैबिनेट के सदस्य सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते हैं और कैबिनेट के द्वारा ही सामूहिक रुप से शासन की नीति का निर्धारण किया जाता है |
- दूसरे स्तर पर राज्य मंत्री होते हैं कुछ राज्य मंत्रियों को तो स्वतंत्र रूप से किसी विभाग के प्रधान की स्थिति प्राप्त हो जाती है और कुछ राज्य मंत्री कैबिनेट मंत्री के कार्य में हाथ बटाते हैं |
- राज्य मंत्री के बाद उपमंत्री आते हैं जो कि कैबिनेट मंत्री के सहायक के रूप में कार्य करते हैं |
- मंत्रियों की श्रेणियों के आधार पर ही मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल में अंतर समझा जा सकता है |
- प्रथम स्तर के मंत्रियों को सामूहिक रुप से मंत्रिमंडलीय या कैबिनेट कहते हैं और तीनों ही स्तरों के मंत्रियों को सामूहिक रुप से मंत्रिपरिषद कहते हैं इस प्रकार मंत्रिमंडलीय या कैबिनेट एक छोटी लेकिन एक बहुत अधिक महत्वपूर्ण इकाई है, मंत्रिपरिषद एक बड़ी इकाई है |
मंत्रीपरिषद का कार्यकाल
- मंत्री परिषद का कार्यकाल विधानसभा के विश्वास पर निर्भर करता है | सामान्य तौर पर मंत्रिपरिषद का अधिकतम कार्यकाल 5 वर्ष की हो सकता है क्योंकि विधानसभा का कार्यकाल भी 5 वर्ष ही है| व्यक्तिगत रूप में किसी मंत्री का कार्यकाल मुख्यमंत्री के उसमें विश्वास पर निर्भर करता है |
मंत्री परिषद की कार्यप्रणाली
- मंत्रिमंडल, मंत्रीपरिषद की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है जो मंत्रीपरिषद के सभी महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय लेता है |
- मंत्रिमंडल की बैठक प्राय: सप्ताह में दो बार होती है वैसे मुख्यमंत्री जब चाहे तब इसकी बैठक बुला सकता है इन बैठकों की अध्यक्षता मुख्यमंत्री करता है और मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में वरिष्ठतम मंत्री करता है|
- बैठक का कोई कोरम (गणपूर्ति) नहीं होता मंत्रिमंडल की कार्यवाही के दो प्रमुख नियम है सामूहिक उत्तरदायित्व तथा गोपनीयता |
- मंत्रिमंडल की बैठकों में सामान्यतः सभी निर्णय एकमत से लिए जाते हैं मतभेद की स्थिति में पारस्परिक विचार विमर्श के आधार पर निर्णय लिया जाता है और यह निर्णय सभी मंत्रियों का संयुक्त निर्णय माना जाता है यदि कोई मंत्री इसे स्वीकार करने में स्वयं को असमर्थ पाता है तो उसे त्यागपत्र देना होता है |
- मंत्री परिषद के प्रत्येक सदस्य द्वारा गोपनीयता की शपथ ली जाती है और मंत्रिमंडल की कार्यवाही तथा निर्णय गुप्त रखे जाते हैं यदि कोई मंत्री गोपनीयता भंग करता है तो उसे त्यागपत्र देना होता है बजट के संबंध में इस नियम का और अधिक कड़ाई से पालन किया जाता है |
कैबिनेट समितियां (Cabinet committees)
- कैबिनेट विभिन्न प्रकार की समितियों के माध्यम से कार्य करती है जिन्हें कैबिनेट समितियां कहा जाता है यह दो तरह की होती हैं – स्थाई और अल्पकालिक |
- परिस्थितियों और आवश्यकतानुसार इन्हें मुख्यमंत्री गठित करता है| अतः इसकी संख्या संरचना समय-समय पर अलग-अलग होती है |
- यह मुद्दों का समाधान करने के साथ-साथ कैबिनेट के सामने सुझाव भी रखती है और निर्णय भी लेती है हालांकि कैबिनेट उनके फैसलों की समीक्षा कर सकती है |
सामूहिक उत्तरदायित्व (Collective liability)
- मंत्री परिषद सामूहिक रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदाई होती है यदि विधानसभा किसी मंत्री के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दे या किसी मंत्री द्वारा रखे गए विधेयक को अस्वीकार कर दे तो समस्त मंत्री परिषद को त्यागपत्र देना होता है |
- इस प्रकार मंत्री परिषद के द्वारा जो भी निर्णय लिए जाते हैं, सभी मंत्रियों को उनका समर्थन करना होता है चाहे व्यक्तिगत रुप में भी इस निर्णय से सहमत हो या ना हो|
- नीति संबंधी मामलों में दी परिषद का सामूहिक उत्तरदायित्व होता है लेकिन किसी मंत्री के भ्रष्ट आचरण या व्यक्तिगत दोष के लिए संबंधित मंत्री उत्तरदाई होता है समस्त मंत्री परिषद नहीं|