गठबंधन सरकार और मुख्यमंत्री

गठबंधन सरकार और मुख्यमंत्री

गठबंधन सरकार और मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री की राज्य में शासन की वास्तविक अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की स्थिति अनेक बातों पर निर्भर करती है जैसे –

  • मुख्यमंत्री केंद्र में सत्तारूढ़ दल का ही है तो मुख्यमंत्री प्रभावी रूप से कार्य कर पाता है यदि केंद्र के विपक्षी दल का है तो केंद्र से उसे पर्याप्त सहायता न मिल पाने के कारण उसकी स्थिति सुदृढ़ नहीं रह पाती है |
  • अपने केंद्रीय दल में मुख्यमंत्री का प्रभावी स्थान है तभी वह अपने कर्तव्यों का पालन सुदृढ़ता से कर पाता है |
  • गठबंधन सरकार की स्थिति राज्यों में 1967 के चौथे आम चुनावों से उत्पन्न हुई है जिसके कारण मुख्यमंत्री पद का ह्यस हुआ है जिसकी विवेचना निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत की जा सकती है –
  1. गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री मंत्री पदों का बंटवारा स्वयं न कर गठबंधन सरकार की समिति के अनुसार करता है |
  2. इस स्थिति में वह मंत्रियों को अपनी इच्छा अनुसार हटा भी नहीं सकता है |
  3. मुख्यमंत्री राज्यपाल व मंत्रिपरिषद के बीच कड़ी का कार्य भली-भांति भी नहीं कर पाता है क्योंकि गठबंधन दलों के नेता सीधे राज्यपाल से संपर्क करते रहते हैं |
  4. मुख्यमंत्री विकास संबंधी निर्णय भी गठबंधन समिति के परामर्श से ही करता है |
  5. गठबंधन सरकार की स्थिति में प्रभावशाली व्यक्ति के स्थान पर सामान्य व्यक्ति को ही अनेक बार मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया जाता है |
  6. गठबंधन सरकार की स्थिति में यह भी आवश्यक नहीं है कि मुख्यमंत्री जनता व विधानसभा का नेता हो |

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