प्रोटेम स्पीकर (Protem Speaker)
आम चुनावों के बाद जब लोक सभा की प्रथम बैठक आमंत्रित की जाती है, तो राष्ट्रपति लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोमोट स्पीकर के रूप में नियुक्त करता है प्रोटेम स्पीकर के निम्न कार्य हैं –
- नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाना
- स्पीकर का चुनाव करना
- प्रोटेम स्पीकर नए स्पीकर के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
- सर्वप्रथम वह बहुमत दल के उम्मीदवार को स्पीकर के रूप में प्रस्ताव रखता है |
- यदि इस प्रस्ताव को लोकसभा बहुमत से स्वीकार कर लेती है तो लोकसभा स्पीकर का चुनाव हो जाता है अन्यथा प्रोटेम स्पीकर दूसरे सदस्य का प्रस्ताव रखता है |
लोकसभा अध्यक्ष / स्पीकर (speaker)
- भारत में संसदीय प्रणाली अपनाने के कारण निम्न सदन लोकसभा को राजनीतिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त होता है |
- इसी कारण लोकसभा अध्यक्ष को पद सूची के वरीयता क्रम में स्थान प्राप्त है |
- हमारे यहां लोकसभा स्पीकर को लगभग वही शक्तियां प्राप्त हैं जो ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमंस के स्पीकर को|
- परंतु जहां बिट्रिश हाउस ऑफ कॉमन स्पीकर निर्दलीय व्यक्ति होता है वही भारत में स्पीकर अपनी दलीय सदस्यता का त्याग नहीं करता है इसके बावजूद वह निष्पक्ष कार्य करता है |
- लोकसभा में उसके आचरण पर हटाने के मूल प्रस्ताव के अतिरिक्त चर्चा नहीं की जा सकती |
स्पीकर के कार्य एवं शक्तियाँ (Speaker works and powers)
-
- नियम 333 के तहत वह संसदीय कार्यवाही के किसी अंश को प्रकाशन प्रसारण से निकाल सकता है |
- नियम 222 के तहत अध्यक्ष इस बात का निर्णय करता है, कि किसी विषय में प्रथम दृष्टया विशेषाधिकार भंग या अवमानना का मामला बनता है या नहीं, अध्यक्ष की सहमति के बाद ही कार्यवाही की जा सकती है |
- सदन स्थगन की शक्ति अध्यक्ष में निहित परंतु स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान यह शक्ति अध्यक्ष की जगह पूरे सदन में स्थानांतरित हो जाती है |
- किसी विधेयक के धन विधेयक होने या ना होने के निर्णय का अधिकार स्पीकर को ही है |
- 52वें व 91 वें संशोधन अधिनियम के अनुसार दलबदल के अंतिम निर्णय की शक्ति स्पीकर में निहित है |
- अध्यक्ष किसी भी सदस्य को भाषण समाप्त कर बैठने का निर्णय दे सकता है इसे फ्लोरिंग सिस्टम कहते हैं
- कोई भी सदस्य सदन में तब तक नहीं बोल सकता है, जब तक स्पीकर अनुमति नहीं देता इस बात का निर्णय भी अध्यक्ष ही करता है कि सदस्य किस क्रम में व कितने समय में बोलेंगे |
- राष्ट्रपति के पास कोई भी विधेयक को उसके हस्ताक्षर के बाद ही भेजा जाता है |
- किसी भी सांसद को गिरफ्तार करने के पूर्व अध्यक्ष को सूचित करना आवश्यक है
- संसदीय दलों को मान्यता देने के लिए मार्गदर्शी सिद्धांत निर्धारित करता है, विपक्षी नेता को भी मान्यता यही देता है
- लोकसभा महासचिव व समस्त पदाधिकारी उसी के अधीन कार्य करते हैं वह उसी के प्रति उत्तरदाई होते हैं |
- वह किसी भी सदस्य पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए उसकी सदस्यता को निलंबित कर सकता है |
- वह संसद की तीनों समितियों नियम समिति कार्यमंत्रणा समिति सामान्य प्रयोजन समिति की अध्यक्षता करता है |
- स्पीकर संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में पीठासीन होता है (अनुच्छेद 118 (4)) |
- सदन की अवमानना के लिए जब दंड का प्रस्ताव सदन में पारित हो जाता है, तो गिरफ्तारी का वारंट भी अध्यक्ष ही जारी करता है |
- सदन की प्रक्रिया विनियमित करने या सदन में व्यवस्था बनाए रखने में अध्यक्ष का आचरण न्यायालय की अधिकारिता के अधीन नहीं होगा (अनुच्छेद 122)|
1919 के अधिनियम के पूर्व वायसराय ही विधान परिषद की अध्यक्षता करता था सर्वप्रथम 1919 के अनुच्छेद में ही निर्वाचित अध्यक्ष पद की रचना की गई और इस अधिनियम के तहत पहली बार 1931 में विधान परिषद गठित की गई और ‘सर फ्रेडरिक वाइट‘ को अध्यक्ष बनाया गया 1925 में स्वराज्य पार्टी के प्रयासों से प्रथम गैर सरकारी का प्रथम भारतीय नेता विट्ठल भाई पटेल विधान परिषद के अध्यक्ष बनाए गए और इसके बाद 1930 में मोहम्मद याकूब स्पीकर बने |
लोकसभा के कार्य एवं शक्तियां (Functions and Powers of the Lok Sabha in Hindi)
- भारत में संसदीय प्रणाली को अपनाने के कारण लोकसभा को अधिक शक्तियां प्रदान की की गई |
- भारत की लोकसभा अमेरिका के प्रथम प्रतिनिधि सदन से तो अधिक शक्तिशाली है लेकिन ब्रिटेन की कॉमन सभा से कम शक्तिशाली है |
- लोकसभा के प्रति की कार्यपालिका उत्तरदाई रहती है वित्त संबंधी शक्ति भी लोकसभा के पास ही है
- सरकार में संसद के अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा द्वारा इस प्रकार से व्यक्त किया जाता है –
- मंत्रिपरिषद में मूल प्रस्ताव का अविश्वास प्रस्ताव पारित कर |
- नीति संबंधी बड़े मामले में सरकार को हटाकर |
- वित्तीय मामले में सरकार को हटाकर |
वित्तीय शक्तियां (Financial powers)
- लोकसभा को भारतीय संघ के वित्त पर पूरा नियंत्रण प्राप्त है वही वार्षिक बजट पास करती है तथा सब प्रकार के खर्चो की स्वीकृति देती है |
- बजट तथा वित्तीय विधायकों को केवल लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है |
- लोकसभा में पास होने के पश्चात ऐसे विधेयक राज्यसभा में भेजे जाते हैं राज्यसभा को 14 दिन के अंदर ऐसे विधेयकों को अपनी सिफारिश सहित वापस करना पड़ता है यदि राज्य सभा इन को 14 दिन के अंदर वापस ना करें, या किन्हीं ऐसी सिफारिशों के साथ वापस करें जो लोकसभा स्वीकार ना हो तो लोकसभा उन विधेयकों को उसी रूप में जिसमें उसने पहले पास किया था राष्ट्रपति को स्वीकृत के लिए भेजती है|
- राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने पर यह विधेयक दोनों सदनों में पास किया हुआ समझा जाता है |
वैधानिक शक्तियां (Statutory powers)
- संसद की वैधानिक शक्तियों का व्यवहार मैं प्रयोग लोकसभा ही करती है क्योंकि लोकसभा की इच्छा के विरुद्ध कोई कानून पास नहीं हो सकता है |
- लोकसभा संघीय सूची एवं समवर्ती सूची में दिए गए विषयों पर राज्य सभा के साथ मिलकर कानून बनाती है यदि किसी राज्य में संवैधानिक व्यवस्था फेल हो जाए तो उस राज्य के लिए कानून लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकते हैं|
- साधारण विधेयक को संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है, परंतु प्राय: सभी महत्वपूर्ण विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत किए जाते हैं: |
- विधेयक लोकसभा में पास होने के पश्चात राज्यसभा में भेजे जाते हैं तथा वहां पास हो जाने के पश्चात राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजे जाते हैं |
- यदि राज्यसभा विधेयक को पास ना करें या छह माह तक उस पर कोई कार्यवाही ना करे तो राष्ट्रपति पार्लियामेंट के दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुलाता है |
- जिसमें संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता सभापति करता है, ऐसे अधिवेशन में लोकसभा की ही विजय होती है परंतु संयुक्त अधिवेशन में ऐसे कई संशोधन भी पास हुए हैं जिन पर राज्यसभा जोर दे रही थी |
कार्यकारिणी पर नियंत्रण (Control of the executive)
- प्रधानमंत्री लोकसभा में बहुमत वाले दल का नेता होने के कारण लोकसभा का नेता कहलाता है संसदीय शासन प्रणाली के अधीन मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जिम्मेदार होती है |
- लोकसभा के सदस्य मंत्रियों एवं उनके कार्यों के संबंध में प्रश्न पूछ सकते हैं तथा संबंधित मंत्री को उन प्रश्नों का जवाब देना पड़ता है |
- लोकसभा के सदस्य मंत्रिपरिषद की आलोचना करने के साथ उसके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव भी पास कर सकते हैं जिससे मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है |
- मंत्रिपरिषद में अधिकांश सदस्य लोकसभा से लिए जाते हैं, लोकसभा निम्न साधनों द्वारा कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है |
- प्रश्न लोक सभा के अधिवेशन के दिनों में प्रतिदिन प्रश्नों का एक घंटा निश्चित होता है सदस्य नियमानुसार मंत्रियों से कोई प्रश्न पूछ सकते हैं मंत्रियों को इन प्रश्नों का उत्तर देना पड़ता है |
- बहस सदस्य किसी भी विषय पर बहस में भाग लेकर कार्यपालिका की नीतियों की आलोचना कर सकते हैं और कार्यपालिका को भी प्रभावित कर सकते हैं |
- ध्यानाकर्षण यदि सदन का कोई सदस्य सदन का ध्यान किसी महत्वपूर्ण घटना की ओर आकर्षित करना चाहता है तो वह ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश कर सकता है ऐसे प्रस्ताव प्रायः मंत्रियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रस्तुत किए जाते हैं |
- स्थगन प्रस्ताव यदि कोई 20 सदस्य किसी सार्वजनिक महत्व वाले विषय पर बहस करने के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश कर सकता है ऐसी बहस के समय मंत्रियों की आलोचना की जाती है |
- निंदा प्रस्ताव यदि लोकसभा निंदा प्रस्ताव पास कर दे तो मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना आवश्यक नहीं है
- अविश्वास प्रस्ताव यदि लोकसभा समस्त मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास कर दे तो सारी मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है 8 नवंबर, 1990 को प्रधानमंत्री वीपी सिंह और 1999 में अटल जी को विश्वास मत प्राप्त करने के कारण त्यागपत्र देना पड़ा था |
चुनाव संबंधी कार्य (Election work)
- लोकसभा अपने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करती है |
- लोकसभा राज्य सभा के साथ मिलकर उपराष्ट्रपति का चुनाव करती है |
- लोकसभा के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं |
विविध शक्तियां (Miscellaneous powers)
- लोकसभा राज्यसभा के साथ मिलकर राष्ट्रपति द्वारा घोषित आपातकालीन घोषणा को स्वीकार एवं रद्द करती है, आपातकालीन घोषणा को 1 महीने के अंदर दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग समर्थन मिलना आवश्यक है |
- 44 वें संशोधन के अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि यदि लोकसभा आपातकाल की घोषणा लागू रहने के विरुद्ध प्रस्ताव पास कर दे तो आपातकाल की घोषणा लागू नहीं रह सकती लोकसभा के 10% सदस्य अथवा अधिक सदस्य घोषणा की अस्वीकृत प्रस्ताव पर विचार करने के लिए लोक सभा की बैठक बुला सकते हैं |
- लोकसभा राज्यसभा के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय समझौतों को लागू करने के लिए कानून बनाती है |
- लोकसभा राज्यसभा के साथ मिलकर संघ में नए राज्यों को सम्मिलित करती है राज्यों के क्षेत्रों सीमाओं तथा नामों में परिवर्तन करती है |
- लोकसभा राज्यसभा के साथ मिलकर दो या दो से अधिक राज्यों के लिए संयुक्त लोक सेवा आयोग या उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकती है |
संसद सदस्यों के स्थानों का रिक्त होना (Vacancy of seats of Members of Parliament)
सदस्यों के स्थानों के रिक्ति संबंधी प्रावधान निम्न है –
(अनुच्छेद 101)
-
- यदि कोई व्यक्ति संसद के दोनों सदनों का सदस्य निर्वाचित हो जाता है, तो उसे 10 दिन के अंदर राष्ट्रपति को सूचना देनी होगी कि वह किसी सदन की सदस्यता ग्रहण करना चाहता है, अन्यथा उसकी पहले वाली सदस्यता निरस्त हो जाएगी |
- यदि कोई संसद का सदस्य है और राज्य विधानमंडल के लिए निर्वाचित हो जाता है तो 14 दिन के अंदर यदि त्यागपत्र नहीं दिया तो संसद से उसका स्थान रिक्त माना जाएगा |
- यदि कोई सदस्य से 60 दिन बिना सूचित किए अनुपस्थित रहता है तो संबंधित सदन उसके स्थान को रिक्त घोषित कर सकता है |
- अनुच्छेद 101 (4) के अनुसार 60 दिन की अवधि में सत्रावसान के दिनों को नहीं गिना जाएगा ना ही 4 दिन से अधिक स्थगन में इसे गिना जाएगा |
- अनुच्छेद 101 (3) के अनुसार कोई भी सदस्य स्पीकर या सभापति को अपना लिखित स्वैच्छिक त्याग-पत्र दे सकता है |
35 वें संशोधन अधिनियम के अनुसार स्पीकर /सभापति इस बात का अंतिम निर्णय लेगा कि सदस्य का त्यागपत्र स्वैच्छिक है या बलपूर्वक | यदि त्यागपत्र बलपूर्वक है तो अध्यक्ष /सभापति त्यागपत्र लेने से इंकार कर सकता है
सदस्यों की अयोग्यता एवं निरहर्ताएँ (Disqualification and Disqualification of Members)
संविधान के अनुच्छेद 102 के अनुसार निम्न निरहर्ताएँ हैं
- कोई लाभ का पद धारण करता है |
- दिवालिया घोषित होने पर |
- पागल हो जाए और उच्च न्यायालय इसकी घोषणा कर दे |
- विदेशी राज्य की नागरिकता ग्रहण करने पर |
- अनुच्छेद 102 (2) के अनुसार दसवीं सूची के आधार पर दल परिवर्तन करके |
अनुच्छेद 103 और विवाद अनुच्छेद 102 के अंतर्गत दलबदल को छोड़कर अन्य सभी मामलों में राष्ट्रपति आयोग से परामर्श करने के बाद निर्णय लेगा और उसका (राष्ट्रपति) निर्णय अंतिम होगा |
निर्वाचन संबंधी विवाद (Election dispute)
- संसद सदस्य के निर्वाचन मामले में अंतिम निर्णय संबंधी राज्य का उच्च न्यायालय करेगा |
- उच्च न्यायालय किसी भी निर्वाचन को शून्य घोषित कर सकता है, लेकिन राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति संबंधी अंतिम निर्णय सर्वोच्च न्यायालय लेता है |
संसद का सत्र (Session of parliament)
- दोनों सदनों को आहूत करने, सत्रावसान करने और लोकसभा का विघटन करने की शक्ति राष्ट्रपति को प्राप्त है |
- अनुच्छेद 85 (1) के अंतर्गत राष्ट्रपति दोनों सदनों को ऐसे अंतराल पर आहूत करेगा कि एक सत्र की अंतिम बैठक और उसके बाद के सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच 6 माह से अधिक का अंतराल नहीं होगा|
संसदीय सत्र (Parliamentary session)
- सामान्यतः प्रतिवर्ष संसद के 3 सत्र या अधिवेशन होते हैं,यथा – बजट अधिवेशन (ग्रीष्मकालीन) (फरवरी-मई), वर्षाकालीन अधिवेशन (मानसून सत्र) (जुलाई-सितंबर) एवं शीतकालीन अधिवेशन (नवंबर-दिसंबर) |
- किंतु राज्यसभा के मामले में बजट अधिवेशन को दो अधिवेशनों में विभाजित कर दिया जाता है, इन दो अधिवेशनों के मध्य 3 से 4 सप्ताह का अवकाश होता है, इस प्रकार राज्यसभा के 1 वर्ष में 4 अधिवेशन होते हैं बजट सत्र सबसे लंबा तथा शीत कालीन सत्र सर्वाधिक छोटा सत्र होता है|
सत्र (The session)
- संसद के प्रथम अधिवेशन और उसका सत्रावसान अथवा विघटन के बीच की अवधि को सत्र कहा जाता है |
- दीर्घावकाश संसद के सत्रावसान होने और नए सत्र में उसके संबेत होने के बीच के समय को कहते हैं |
- संसद की बैठक विघटन, सत्रावसान, स्थगन द्वारा समाप्त की जा सकती है |
- लोकसभा का विघटन दो प्रकार से हो सकता है –
- 5 वर्ष की अवधि की समाप्ति पर,
- राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 85(2) के अधीन शक्ति के प्रयोग द्वारा |
संयुक्त बैठक (joint meeting)
- संविधान के अनुच्छेद 108 के अनुसार, राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदन राज्यसभा व लोकसभा की संयुक्त बैठक बुलाने का अधिकार है |
- यदि एक सदन द्वारा पारित किया विधेयक दूसरे सदन द्वारा अस्वीकार कर दिया जाए |
- विधेयक में किए जाने वाले संशोधनों के बारे में दोनों सदन अंतिम रूप से असहमत हो गए हो |
- दूसरे सदन को विधेयक प्राप्त होने की तारीख से उसके द्वारा विधेयक किए बिना 6 माह से अधिक बीत गए हो |
- इस प्रकार की संयुक्त बैठकों की अध्यक्षता लोकसभा के स्पीकर द्वारा की जाती है तथा सभी निर्णय उपस्थित सदस्यों के बहुमत से लिए जाते हैं |
- संविधान के लागू होने से अभी तक केवल 3 बार 1961, 1978 एवं 2002 में संयुक्त अधिवेशन आहूत किया गया है |
लोकसभा
- लोकसभा भारतीय संसद का निम्न सदन है जो अस्थाई है अर्थात, यह विघटित हो सकती है |
- लोकसभा का विघटन प्रधानमंत्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति करता है |
- लोकसभा का विघटन होने का तत्व संसदीय शासन प्रणाली से जुड़ा है क्योंकि संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका लोकसभा के प्रति निरंतर उत्तरदाई रहती है |
- अतः कार्यपालिका (मंत्रिपरिषद) तभी तक बनी रहती है, जब तक उसे लोकसभा में विश्वास प्राप्त है |
संरचना (The structure)
- लोकसभा की अधिकतम संख्या 552 निर्धारित की गई है जिसमें 530 सदस्य राज्यों से, 20 सदस्य संघ शासित प्रदेशों एवं दो सदस्य एंग्लो-इंडियन होते हैं |
- अनुच्छेद 81(1)वर्तमान में लोकसभा में 545 सदस्य हैं जिनमें 530 सदस्य राज्यों से 13 सदस्य संघ राज्य क्षेत्रों से और 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित या नाम निर्देशित एंग्लो इंडियन समुदाय से होते हैं (अनुच्छेद 331) |
निर्वाचन एवं कार्यकाल (Election and tenure)
- लोकसभा के सदस्यों का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष रुप से वयस्क मताधिकार (18 वर्ष) के आधार पर गुप्त मतदान द्वारा होता है |
- अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए कुछ सीटों का आरक्षण किया गया है, अल्पसंख्यकों के लिए कोई आरक्षण नहीं है |
- मूल रूप से लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष था, किंतु 42वे संविधान संशोधन द्वारा लोकसभा का कार्यकाल 6 वर्ष कर दिया गया था लेकिन 44 वे संविधान संशोधन द्वारा लोकसभा का कार्यकाल पूरा 5 वर्ष कर दिया गया है |
- अतः अब लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है जिसे आपातकाल (अनुच्छेद 352) में संसद स्वयं विधि द्वारा इस के कार्यकाल में एक बार में 1 वर्ष तक की वृद्धि कर सकती है |
- 1976 में लोकसभा का कार्यकाल दो बार एक-एक वर्ष के लिए बढ़ाया गया था |
- प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति लोकसभा को 5 वर्ष से पूर्व भी भंग कर सकता है |
- सदन में अपना स्थान ग्रहण करने से पूर्व प्रत्येक संसद के सदस्य राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा नियुक्त व्यक्ति के समक्ष शपथ लेता है, बिना शपथ लिए कोई सदस्य सदन में नहीं बैठ सकता है |
लोकसभा सदस्य की योग्यताएं (Lok Sabha Members’ Eligibility)
- वह भारत का नागरिक हो
- उसकी आयु 25 वर्ष से कम न हो |
- वह भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ पद पर आसीन न हो |
- वह पागल यह दिवालिया न हो |
- संसद की किसी विधि के अंतर्गत अयोग्य न हो |
लोकसभा, राज्यों में लोकसभा सदस्यों की संख्या
भारतीय संसद में दो सदन है, लोकसभा एवं राजसभा | लोकसभा ( Loksabha ) निचला सदन है | भारतीय संविधान के अनुसार लोक सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 तक हो सकती है | जिनमें 530 सदस्य राज्यों का तथा 20 सदस्य केन्द्र शासित प्रदेशों से हो सकते हैं | सदन में आंग्ल-भारतीय समुदाय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं होने की स्थिति में भारत का राष्ट्रपति यदि चाहे तो इस समुदाय के दो सदस्यों को मनोनीत कर सकता है| वर्तमान में 545 सदस्य हैं | लोक सभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है परन्तु इसे समय पूर्व भी भंग किया जा सकता है | इसका गठन सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर लोगों द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों से होता है |
राज्यों के अनुसार लोकसभा सीटों की संख्या –
भारत के प्रत्येक राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश को उसकी जनसंख्या के आधार पर लोक सभा सीटें मिलती हैं | वर्तमान में यह 1991 की जनगणना के आधार पर है | अब लोक सभा के सदस्यों की संख्या वर्ष 2026 में निर्धारित की जायेगी |
क्रम संख्या |
राज्य का नाम |
लोकसभा सदस्य |
---|---|---|
1 | उत्तर प्रदेश | 80 |
2 | महाराष्ट्र | 48 |
3 | पश्चिम बंगाल | 42 |
4 | बिहार | 40 |
5 | तमिलनाडु | 39 |
6 | मध्य प्रदेश | 29 |
7 | कर्नाटक | 28 |
8 | गुजरात | 26 |
9 | आंध्रप्रदेश | 25 |
10 | राजस्थान | 25 |
11 | ओड़िशा | 21 |
12 | केरल | 20 |
13 | तेलंगाना | 17 |
14 | असम | 14 |
15 | झारखंड | 14 |
16 | पंजाब | 13 |
17 | हरियाणा | 10 |
18 | छत्तीसगढ़ | 11 |
19 | जम्मू और कश्मीर | 6 |
20 | उत्तराखंड | 5 |
21 | हिमाचल प्रदेश | 4 |
22 | अरुणाचल प्रदेश | 2 |
23 | गोवा | 2 |
24 | मणिपुर | 2 |
25 | मेघालय | 2 |
26 | त्रिपुरा | 2 |
27 | मिज़ोरम | 1 |
28 | नागालैण्ड | 1 |
29 | सिक्किम | 1 |
केन्द्र शासित प्रदेशों के अनुसार लोकसभा सीटों की संख्या –
क्रम संख्या |
केंद्र शासित प्रदेश का नाम |
लोकसभा सदस्य |
---|---|---|
1 | राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली | 7 |
2 | अंडमान और निकोबार द्वीप समूह | 1 |
3 | दादरा और नगर हवेली | 1 |
4 | दमन और दीव | 1 |
5 | चंडीगढ़ | 1 |
6 | लक्षद्वीप | 1 |
7 | पुदुच्चेरी | 1 |
लोकसभा के विघटन का विधेयकों पर प्रभाव
वे विधेयक जो समाप्त नहीं होते हैं
- राज्यसभा में पेश वे विधेयक जो लोकसभा द्वारा पास नहीं किए गए हैं अतः जो राज्यसभा में लंबित हैं वह समाप्त नहीं होते होंगे |
- जिस विधेयक पर दोनों सदनों में असहमति के बाद संयुक्त बैठक की सूचना राष्ट्रपति द्वारा जारी कर दी जाती है, ऐसा विधेयक भी व्यपगत नहीं होता है, संयुक्त बैठक केवल सामान्य विधेयक के मामले में ही होती है |
- दोनों सदनों द्वारा पास कर राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेजे गए विधेयक |
- लम्बित आश्वासन भी व्यपगत नहीं |
- राष्ट्रपति द्वारा पुनर्विचार के लिए भेजे गए विधेयक भी समाप्त नहीं |
जो विधेयक समाप्त हो जाते हैं
- लोकसभा द्वारा पास एवं राज्यसभा में लंबित |
- लोकसभा में लंबित /राज्यसभा द्वारा लोकसभा में भेजे गए विधेयक |
- याचिकाएं (लोकसभा में प्रस्तुत), जो याचिका समिति को सौंपी गई है |
- लोकसभा में लंबित अन्य सभी कार्य यथा प्रस्तावित संकल्प संशोधन अनुदान मांगे |
- लोकसभा द्वारा पास किए गए नियम (संवैधानिक) जो राज्यसभा में पारित नहीं किए गए हैं तथा राज्यसभा द्वारा पारित लोकसभा में लंबित नियम |
संविधान समीक्षा आयोग
इसने अपनी 2003 की रिपोर्ट में निर्वाचन संबंधी सुधार के लिए सुझाव दिए जो निम्न है –
- यथासंभव श्रुति रहित मतदाता सूची की व्यवस्था की जाए |
- बहुउद्देश्यीय पहचान पत्र सभी मतदाताओं के लिए अनिवारी कर दिया जाए |
- पुनर्मतदान के लिए निर्वाचन आयोग के पास अंतिम शक्ति हो |
- अध्यक्ष संवेदनशील मतदान केंद्रों पर वीडियो या अन्य इलेक्ट्रॉनिक निगरानी यंत्रों का प्रयोग किया जाए |
- जिन व्यक्तियों पर किसी न्यायालय द्वारा गंभीर अपराध के अभियोग लगे हुए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माने जाएं तथा उन्हें खड़े करने वाले दलों को अवैध अमान्य घोषित किया जाए |
- जघन्य अपराधों में दोषी पाए गए व्यक्ति को जीवन भर के लिए निर्वाचन के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाए |
- निर्वाचन संबंधी विवादों के लिए विशेष अदालतों का गठन हो
- निर्वाचन व चुनावी खर्च सीमित किया जाए |
- प्रत्येक उम्मीदवार के लिए अपनी आयु, संपत्ति का ब्यौरा देना जरूरी हो |
- यहां तक राजनीतिक पद ग्रहण करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक वर्ष ऐसा ब्यौरा देना चाहिए |
- जिन उम्मीदवारों को 25% से कम मत मिले मिले हो उनकी जमानत जब्त कर ली जाए|
प्रमुख समितियां और उनके कार्य (Major Committees and their functions)
लोक लेखा समिति (Public accounts committee)
- सबसे पुरानी समिति जिसमें लोकसभा के 15 तथा राज्यसभा के 7 सदस्य आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से चुने जाते है, परंपरा 1967 से बन चुकी है इसका अध्यक्ष विपक्ष का नेता होगा |
- यह केंद्र सरकार के विभागों को मंत्रालयों के लेखाओं की जांच कर उन्हें संसद के प्रति उत्तरदाई बनाती है |
- यह समिति भारत सरकार के विभिन्न विभागों पर नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर नियंत्रण रखती है |
- नियंत्रक-महालेखापरीक्षक समिति की बैठकों में भाग लेता है और सहायता करता है इस समिति को प्राक्कलन समिति की जुड़वा बहन कहते हैं |
- यद्यपि समिति की कुछ सीमाएं भी हैं; जैसे -यह नीति संबंधी विषय की जांच नहीं कर सकती तथा कार्य को जानने के बाद जांच का रिपोर्ट तैयार करती है फिर भी उसने कई घोटालों यथा – जीप घोटाला, बोफोर्स घोटाला, कोयला घोटाला आदि को उजागर किया है |
प्राक्कलन समिति (Estimates committee)
- इस समिति में 30 सदस्य होते हैं सभी सदस्य लोक सभा द्वारा प्रतिवर्ष आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय पद्धति द्वारा इसके सदस्यों में ही निर्वाचित होते हैं |
- समिति का अध्यक्ष इन चुने हुए सदस्यों में से लोकसभा द्वारा नियुक्त किया जाता है परंतु यदि लोकसभा का उपाध्यक्ष प्राक्कलन समिति का सदस्य है तो वह स्वत: ही समिति का अध्यक्ष नियुक्त हो जाते हैं |
- यह समिति प्रतिवर्ष गठित होती है समिति के निम्नलिखित कार्य है –
- वार्षिक अनुदानों की जांच करना |
- अतिरिक्त अनुदान का अनुपूरक अनुदान पर चर्चा करना |
- खर्च कम करने के लिए व प्रशासन में सुधार लाने की वैकल्पिक नीतियां तैयार करने की एवं संसद में अनुदान मांगे रखने के सुझाव आदि की सिफारिश करना |
सार्वजनिक उपक्रम समिति (Public undertaking committee)
- इस समिति में कुल 15 सदस्य (10 लोकसभा से एवं पांच राज्यसभा) सदस्य होते हैं जो आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय पद्धति द्वारा निर्वाचित होते हैं |
- प्रत्येक वर्ष समिति के 1/5 सदस्य अवकाश ग्रहण कर लेते हैं उनके स्थान पर नए सदस्य निर्वाचित हो जाते हैं |
- समिति का अध्यक्ष लोक सभा द्वारा निर्वाचित सदस्यों में से मनोनीत किया जाता है कि निम्न कार्य है –
-
- यह समिति सरकारी उपक्रमों की कार्य प्रणाली तथा अन्य वित्तीय मामलों और नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के प्रतिवेदन का परीक्षण करती है |
- यह समिति सरकारी उपक्रमों के लेखों का परीक्षण करती है |
विशेषाधिकार समिति (Privilege committee)
- संसद सदस्यों को प्राप्त विशेषाधिकार उनमुक्तियों के हनन का मामला विशेषाधिकार समिति को सौंपा जाता है |
- विशेषाधिकार समिति का गठन लोकसभा के प्रारंभ में अथवा समय-समय पर लोकसभा अध्यक्ष द्वारा किया जाता है इस में 15 सदस्य होते हैं |
- विशेषाधिकार समिति सौंपे गए प्रत्येक प्रश्न की जांच करेगी तथा तथ्यों के आधार पर यह निर्णय करेगी कि किसी विशेष अधिकार का उल्लंघन हुआ है, अथवा नहीं और यदि हुआ है तो उसका स्वरूप क्या है और किन परिस्थितियों में हुआ है |
प्रवर समिति (Select committee)
- प्रवर समिति का गठन लोकसभा एवं राज्यसभा के लिए अलग-अलग तथा एक साथ भी किया जा सकता है |
- अलग होने की स्थिति में सदस्य संख्या 30 तथा संयुक्त होने की स्थिति में 45 होती है |
- इस समिति का मुख्य उद्देश्य विधेय को पर गहन विचार विमर्श करना होता है |
- संयुक्त प्रवर समिति में 30 लोकसभा तथा 15 राज्य सभा के सदस्य होते हैं |
याचिका समिति (Petition committee)
- कुल 15 सदस्य होते हैं तथा सभी को लोकसभा अध्यक्ष मनोनीत करते हैं |
- यह समिति याचिकाओं में की गई शिकायतों की सूचना लोकसभा को देती है इस समिति का मुख्य कार्य याचिकाओं का परीक्षण करना है |
- सरकारी आश्वासन समिति (Government assurance committee)
- इस समिति में 15 सदस्य होते हैं जिन्हें लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किया जाता है |
- यह समिति सरकार के मंत्रियों द्वारा सदन के पटल पर दिए गए प्रश्नों के कार्यान्वयन की जांच करती है |
- नियम समिति (Rules Committee)
- इस समिति में कुल 15 सदस्य होते हैं जिन्हें इसके सभापति/लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किया जाता है |
- यह समिति पर संसदीय कार्यवाही तथा विधानों पर विचार कर उनमें संशोधन या नए नियम बनाने की सिफारिश करती है |
लोकसभा तथा राज्यसभा में अंतर (Differences Between Lok Sabha and Rajya Sabha)
लोकसभा |
राज्यसभा |
|
1. | इसका कार्यकाल 5 वर्ष है तथा इससे पूर्व भी राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर भंग कर सकता है | | राज्यसभा स्थाई सदन है एवं प्रत्येक 2 वर्ष पर ⅓ सदस्य अवकाश ग्रहण कर लेते हैं एवं उतने ही नवनिर्वाचित होते हैं | |
2. | धन विधेयक मात्र लोकसभा में ही पुनः स्थापित किए जा सकता हैं | | धन विधेयक राज्यसभा में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है | |
3. | जनता द्वारा लोकसभा के सदस्य सार्वजनिक एवं गुप्त मतदान द्वारा चुने जाते हैं | | राज्यसभा के सदस्यों का चयन संबंधित राज्यों की विधानसभाएं में आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर निर्वाचित करती हैं | |
4. | यह राज्य सूची के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्व घोषित नहीं कर सकती है | | राज्यसभा को राज्य सूची के किसी विषय को राज्य सभा में उपस्थित एवं मतदान देने वाले सदस्यों के कम से कम ⅔ सदस्यों द्वारा समर्थित संकल्प द्वारा राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने का अधिकार है | |
5. | लोकसभा, राज्यसभा द्वारा पारित प्रस्ताव का अनुमोदन करती है | | उपराष्ट्रपति को हटाने संबंधी प्रस्ताव राज्यसभा में ही प्रारंभ किया जाता है | |
6. | लोकसभा को किसी प्रकार के विशेष अधिकार की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि राज्य सभा विघटित नहीं होती है | | लोकसभा के भंग होने की स्थिति में आपातकाल की उद्घोषणा का अनुमोदन राज्यसभा करती है | |
सत्रावसान एवं स्थगन में अंतर
सत्रावसान |
स्थगन |
|
1 | यह न केवल बैठक बल्कि सदन के सत्र को भी समाप्त करता है | | यह सिर्फ एक बैठक को समाप्त करता है न कि सत्र को | |
2 | इसे राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है | | यह सदन के पीठासीन अधिकारी द्वारा किया जाता है | |
3 | यह किसी भी विधेयक पर प्रभाव नहीं डालता है लेकिन बचे हुए काम के लिए अगले सत्र में नया नोटिस देना पड़ता है | | यह किसी विधेयक या सदन में विचाराधीन काम पर असर नहीं डालता क्योंकि वही काम दोबारा होने वाली बैठक में किया जा सकता है | |