भारत के राष्ट्रीय प्रतीक एवं प्रतीक

भारत के राष्ट्रीय प्रतीक एवं प्रतीक

राष्ट्रीय ध्वज 


  • भारत के राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा कहा जाता है |
  • 22 जुलाई 1947 ईस्वी को संविधान सभा ने ’तिरंगे झंडे’  को ‘राष्ट्रीय ध्वज’ के रूप में अंगीकृत किया |
  • संविधान सभा द्वारा 14 अगस्त 1947 को राष्ट्रीय ध्वज प्रस्तुत किया गया |
  • श्रीमती सरोजिनी नायडू की अनुपस्थिति में हंसा मेहता ने राष्ट्रीय झंडा संविधान सभा को भेंट किया |
  • वर्तमान  राष्ट्रीय ध्वज का प्रथम डिजाइन यूरोप में सक्रिय भारतीय क्रांतिकारी मैडम भीकाजी  कामा ने तैयार किया |
  • श्याम लाल ने झंडा गीत की रचना की |
  • हमारे राष्ट्रीय तिरंगे का इतिहास 1929 ईस्वी से आरंभ होता है जब 3 दिसंबर 1929 ईस्वी को रावी नदी के तट पर जवाहरलाल नेहरू ने इसे फहराया |
  • नेहरू द्वारा रावी तट पर फहराए गये झंडे एवं वर्तमान झंडे में अंतर सिर्फ इतना है कि झंडे के बीच में  चरखे की जगह पर अशोक चक्र आ गया है |
  • 15 अगस्त 1947 ईस्वी को देश की स्वतंत्रता के अवसर पर अधिकृत रूप से इसे फहराया गया एवं इसे इक्कीस तोपों की सलामी दी गई |
  • ध्वज का प्रयोग एवं प्रदर्शन ध्वज संहिता द्वारा नियमित होता है |
  • राष्ट्रीय ध्वज का आकार आयताकार है जिसकी लंबाई एवं चौड़ाई का अनुपात 3:2  है |
  • राष्ट्रीय ध्वज के केंद्र में सफेद पट्टी के भीतर 24 तीलियों वाला अशोक चक्र अंकित है |
  • हमारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग है केसरिया सबसे ऊपर, श्वेत मध्य में, तथा हरा सबसे नीचे है |
  • केसरिया रंग आत्म नियंत्रण एवं शक्ति का प्रतीक है |
  • श्वेत रंग शांति एवं सत्य का प्रतीक है |
  • हरा रंग समृद्धि एवं हरियाली का प्रतीक है |
  • चक्र धर्म, गतिशीलता एवं प्रगति का प्रतीक है |
  • राष्ट्रध्वज के अंदर अंकित धर्मचक्र की 24 तीलियां दिन के 24 घंटों को दर्शाती हैं |
  • ध्वज संहिता के अनुसार झंडारोहण करने वाले व्यक्ति को राष्ट्र ध्वज से तीन कदम की दूरी पर खड़ा होना चाहिए |
  • राष्ट्रीय शोक के समय राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है |
  • संपूर्ण देश में राष्ट्रपति, उप उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री की मृत्यु होने पर राष्ट्र ध्वज झुका दिया जाता है |
  • राष्ट्र ध्वज राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री की मृत्यु पर 12 दिनों तक झुका रहता है तथा आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से शुभ गुणों का प्रसारण किया जाता है |
  • राष्ट्रध्वज 7 दिनों तक जब झुकाया जाता है  जब पूर्व राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री का निधन हो जाए |
  • राष्ट्रीय ध्वज उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा लोकसभा अध्यक्ष के निधन पर दिल्ली में झुका दिया जाता है|
  • दिल्ली एवं संबंधित राज्य की राजधानी में केंद्रीय मंत्री की मृत्यु पर राष्ट्रीय ध्वज झुका दिया जाता है |
  • संबंधित राज्यों में मुख्यमंत्री के राज्यपाल की मृत्यु होने  पर राष्ट्रीय ध्वज झुकाया जाता है |
  • भारतीय संसद, राष्ट्रपति भवन तथा सर्वोच्च न्यायालय आदि के स्मारकों के ऊपर स्थाई रूप से वर्षभर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की व्यवस्था की गई है |

राष्ट्रीय चिन्ह 


  • वाराणसी के समीप  सारनाथ में स्थित अशोक के सिंह स्तंभ के शीर्ष पर मौजूद आकृति भारत  का राष्ट्रीय चिन्ह है –
  • भारत सरकार द्वारा इसे 26 जनवरी 1950 को अंगीकृत किया गया |
  • मूल आकृति कुछ इस प्रकार है कि 4 सिंह एक दूसरे की ओर पीठ करके खड़े हैं |
  • 4 सिह  कुछ इस प्रकार बैठे हैं कि उनमें से 3 ही एक तरफ से देखने पर  दिखते हैं |
  • सिंहो के नीचे घंटे के आकार वाले पदम पर अंकित एक चित्र  वल्लरी में एक हाथी, एक दौड़ते हुए घोड़े, एक सांड तथा एक सिंह की  उभरी हुई आकृति अंकित है |
  • चित्र वल्लरी की मध्य धर्म चक्र अंकित है |
  • संपूर्ण सिंह स्तंभ एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया है |
  • नीचे  फलक में देवनागरी लिपि में सत्यमेव जयते उत्कीर्ण है |
  • ‘सत्यमेव जयते’ को भारत का राष्ट्रीय वाक्य घोषित किया गया है इसका अर्थ होता है सत्य की हमेशा विजय होगी |
  • सत्यमेव जयते ‘मुंडकोपनिषद्’ से लिया गया है|

राष्ट्रगान


  • राष्ट्रगान के रुप में जन गण मन………. को स्वीकृत किया गया है –
  • रविंद्र नाथ टैगोर ने 1911 ईस्वी में इस गीत की रचना की |
  • कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में सर्वप्रथम 27 दिसंबर 1911 को इसे गाया गया |
  • तत्वबोधिनी नामक पत्रिका में जनवरी 1912 ईस्वी में यह गीत भारत भाग्य विधाता शीर्षक के तहत प्रकाशित हुआ |
  • 1919 ईस्वी में ‘ मॉर्निंग सॉन्ग ऑफ इंडिया’  शिक्षक के तहत रविंद्र नाथ टैगोर ने इस गीत का अंग्रेजी रूपांतरण किया |
  • जन गण मन संविधान सभा ने राष्ट्रगान के रुप में 24 जनवरी 1950 को अंगीकृत किया |
  • इस गाने में प्रथम पंक्ति में 52 सेकंड एवं दूसरी पंक्ति में 20 सेकेंड लगते हैं |

राष्ट्रीय गीत


  • भारत में राष्ट्रीय गीत का दर्जा वंदे मातरम को मिला हुआ है – 
  • इस गीत की रचना 1874 ईस्वी में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने की |
  • इस गीत की रचना बंकिमचंद्र के प्रसिद्ध पुस्तक आनंदमठ में की गई |
  • 1896  ईस्वी के  कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में इसे पहली बार गाया गया |
  • इस गीत के कुल 5 पदों में प्रथम पद को ही राष्ट्रीय गीत के रूप में अंगीकृत किया गया है |
  • राष्ट्रीय गीत को गाने में 1:00 मिनट 5 सेकंड का समय लगता है |
  • इस गीत को सर्वप्रथम स्थापित करने का श्रेय यदुनाथ भट्टाचार्य को प्राप्त है |
  • राष्ट्रीय गीत को बैंड पर बजाने की धुन मास्टर कृष्णराव द्वारा 1949 ईस्वी में तैयार की गई |
  • मास्टर कृष्णराव के निर्देशन में मास्टर गणपत सिंह ने इसे पहली बार बजाया |
  • वर्तमान में यह गीत राग सारंग में स्वरबद्ध धुन में गाया जाता है  परंतु  इस  धुना को पन्नालाल घोष ने तैयार किया है |
  • वर्तमान में दूरदर्शन एवं आकाशवाणी अपने दैनिक कार्यक्रम का आरंभ राष्ट्रगीत से ही करते हैं |

राष्ट्रीय पंचांग 


  • भारत का राष्ट्रीय पंचांग शक संवत पर आधारित है
  • ग्रेगोरियन  कैलेंडर का आधार भी शक संवत ही है |
  • 78 ईसवी में आरंभ हुए शक संवत का पहला महीना चैत्र है एवं सामान्यतया  वर्ष 365 दिन  का होता है |
  • भारत सरकार द्वारा इसे 22 मार्च 1957 को अपनाया गया |

भारत के राष्ट्रीय प्रतीक एक नजर में


  • राष्ट्रीय ध्वज – तिरंगा
  • राष्ट्रगान –  जन गण मन
  • राजचिन्ह –  अशोक चक्र
  • राष्ट्रीय कैलेंडर –  शक संवत
  • राष्ट्रभाषा –  हिंदी
  • राष्ट्रीय लिपि –  देवनागरी
  • राष्ट्रीय स्वतंत्रता दिवस –  15 अगस्त
  • राष्ट्रीय गणतंत्र दिवस –  26 जनवरी
  • राष्ट्रीय पुष्प –  कमल
  • राष्ट्रीय पक्षी –  मोर
  • राष्ट्रीय योजना –  पंचवर्षीय योजना
  • राष्ट्रीय गीत – वंदे मातरम
  • राष्ट्रीय फल – आम
  • राष्ट्रीय खेल –  हॉकी
  • राष्ट्रीय वाक्य –  सत्यमेव जयते
  • राष्ट्रीय पशु –  बाघ
  • राष्ट्रीय मुद्रा –  रुपया
  • राष्ट्रीय वृक्ष –  अशोक
  • राष्ट्रपिता –  महात्मा गांधी
  • राष्ट्रधर्म –  धर्मनिरपेक्षता

राष्‍ट्रीय पक्षी

  • भारतीय मोर, पावों क्रिस्‍तातुस, भारत का राष्‍ट्रीय पक्षी एक रंगीन, हंस के आकार का पक्षी पंखे आकृति की पंखों की कलगी, आँख के नीचे सफेद धब्‍बा और लंबी पतली गर्दन।
  • इस प्रजाति का नर मादा से अधिक रंगीन होता है जिसका चमकीला नीला सीना और गर्दन होती है और अति मनमोहक कांस्‍य हरा 200 लम्‍बे पंखों का गुच्‍छा होता है।
  • मादा भूरे रंग की होती है, नर से थोड़ा छोटा और इसमें पंखों का गुच्‍छा नहीं होता है। नर का दरबारी नाच पंखों को घुमाना और पंखों को संवारना सुंदर दृश्‍य होता है।

राष्‍ट्रीय पुष्‍प

  • कमल (निलम्‍बो नूसीपेरा गेर्टन) भारत का राष्‍ट्रीय फूल है। यह पवित्र पुष्‍प है और इसका प्राचीन भारत की कला और गाथाओं में विशेष स्‍थान है और यह अति प्राचीन काल से भारतीय संस्‍कृति का मांगलिक प्रतीक रहा है।
  • भारत पेड़ पौधों से भरा है। वर्तमान में उपलब्‍ध डाटा वनस्‍पति विविधता में इसका विश्‍व में दसवां और एशिया में चौथा स्‍थान है।
  • अब तक 70 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया उसमें से भारत के वनस्‍पति सर्वेक्षण द्वारा 47,000 वनस्‍पति की प्रजातियों का वर्णन किया गया है।

राष्‍ट्रीय पेड़

  • भारतीय बरगद का पेड़ फाइकस बैंगा‍लेंसिस, जिसकी शाखाएं और जड़ें एक बड़े हिस्‍से में एक नए पेड़ के समान लगने लगती हैं। जड़ों से और अधिक तने और शाखाएं बनती हैं।
  • इस विशेषता और लंबे जीवन के कारण इस पेड़ को अनश्‍वर माना जाता है और यह भारत के इतिहास और लोक कथाओं का एक अविभाज्‍य अंग है। आज भी बरगद के पेड़ को ग्रामीण जीवन का केंद्र बिन्‍दु माना जाता है और गांव की परिषद इसी पेड़ की छाया में बैठक करती है।

राष्‍ट्र–गान

  • भारत का राष्‍ट्र गान अनेक अवसरों पर बजाया या गाया जाता है। राष्‍ट्र गान के सही संस्‍करण के बारे में समय समय पर अनुदेश जारी किए गए हैं, इनमें वे अवसर जिन पर इसे बजाया या गाया जाना चाहिए और इन अवसरों पर उचित गौरव का पालन करने के लिए राष्‍ट्र गान को सम्‍मान देने की आवश्‍यकता के बारे में बताया जाता है।
  • स्‍वर्गीय कवि रविन्‍द्र नाथ टैगोर द्वारा “जन गण मन” के नाम से प्रख्‍यात शब्‍दों और संगीत की रचना भारत का राष्‍ट्र गान है।
  • राष्‍ट्र गान की कुल अवधि लगभग 52 सेकंड है।

राष्‍ट्रीय नदी

  • गंगा भारत की सबसे लंबी नदी है जो पर्वतों, घाटियों और मैदानों में 2,510 किलो मीटर की दूरी तय करती है। यह हिमालय के गंगोत्री ग्‍लेशियर में भागीरथि नदी के नाम से बर्फ के पहाड़ों के बीच जन्‍म लेती है।
  • इसमें आगे चलकर अन्‍य नदियां जुड़ती हैं, जैसे कि अलकनंदा, यमुना, सोन, गोमती, कोसी और घाघरा। गंगा नदी का बेसिन विश्‍व के सबसे अधिक उपजाऊ क्षेत्र के रूप में जाना जाता है और यहां सबसे अधिक घनी आबादी निवास करती है तथा यह लगभग 1,000,000 वर्ग किलो मीटर में फैला हिस्‍सा है। नदी पर दो बांध बनाए गए हैं – एक हरिद्वार में और दूसरा फरक्‍का में।
  • गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉलफिन एक संकटापन्‍न जंतु है, जो विशिष्‍ट रूप से इसी नदी में वास करती है।
  • गंगा नदी को हिन्‍दु समुदाय में पृथ्‍वी की सबसे अधिक पवित्र नदी माना जाता है। मुख्‍य धार्मिक आयोजन नदी के किनारे स्थित शहरों में किए जाते हैं जैसे वाराणसी, हरिद्वार और इलाहाबाद।
  • गंगा नदी बंगलादेश के सुंदर वन द्वीप में गंगा डेल्‍टा पर आकर व्‍यापक हो जाती है और इसके बाद बंगाल की खाड़ी में मिलकर इसकी यात्रा पूरी होती है।

राष्‍ट्रीय जलीय जीव

  • मीठे पानी की डॉलफिन भारत का राष्‍ट्रीय जलीय जीव है। यह स्‍तनधारी जंतु पवित्र गंगा की शुद्धता को भी प्रकट करता है, क्‍योंकि यह केवल शुद्ध और मीठे पानी में ही जीवित रह सकता है।
  • प्‍लेटेनिस्‍टा गेंगेटिका नामक यह मछली लंबे नोकदार मुंह वाली होती है और इसके ऊपरी तथा निचले जबड़ों में दांत भी दिखाई देते हैं। इनकी आंखें लेंस रहित होती हैं और इसलिए ये केवल प्रकाश की दिशा का पता लगाने के साधन के रूप में कार्य करती हैं।
  • डॉलफिन मछलियां सबस्‍ट्रेट की दिशा में एक पख के साथ तैरती हैं और श्रिम्‍प तथा छोटी मछलियों को निगलने के लिए गहराई में जाती हैं। डॉलफिन मछलियों का शरीर मोटी त्‍वचा और हल्‍के भूरे-स्‍लेटी त्‍वचा शल्‍कों से ढका होता है और कभी कभार इसमें गुलाबी रंग की आभा दिखाई देती है। इसके पख बड़े और पृष्‍ठ दिशा का पख तिकोना और कम विकसित होता है।
  • इस स्‍तनधारी जंतु का माथा होता है जो सीधा खड़ा होता है और इसकी आंखें छोटी छोटी होती है। नदी में रहने वाली डॉलफिन मछलियां एकल रचनाएं है और मादा मछली नर मछली से बड़ी होती है। इन्‍हें स्‍थानीय तौर पर सुसु कहा जाता है क्‍योंकि यह सांस लेते समय ऐसी ही आवाज निकालती है। इस प्रजाति को भारत, नेपाल, भूटान और बंगलादेश की गंगा, मेघना और ब्रह्मपुत्र नदियों में तथा बंगलादेश की कर्णफूली नदी में देखा जा सकता है।
  • नदी में पाई जाने वाली डॉलफिन भारत की एक महत्‍वपूर्ण संकटापन्‍न प्रजाति है और इसलिए इसे वन्‍य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में शामिल किया गया है। इस प्रजाति की संख्‍या में गिरावट के मुख्‍य कारण हैं अवैध शिकार और नदी के घटते प्रवाह, भारी तलछट, बेराज के निर्माण के कारण इनके अधिवास में गिरावट आती है और इस प्रजाति के लिए प्रवास में बाधा पैदा करते हैं।
 

राजकीय प्रतीक

  • भारत का राजचिन्ह, सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। इसके नीचे घंटे के आकार के पदम के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। एक ही पत्थर को काट कर बनाए गए इस सिंह स्तंभ के ऊपर ‘धर्मचक्र’ रखा हुआ है।
  • भारत सरकार ने यह चिन्ह 26 जनवरी 1950 को अपनाया। इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नही देता। पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक सांड और बाईं ओर एक घोड़ा है। दाएं तथा बाएं छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं। आधार का पदम छोड़ दिया गया है। फलक के नीचे मुण्डकोपनिषद का सूत्र ‘सत्यमेव जयते’ देवनागरी लिपि में अंकित है, जिसका अर्थ है- ‘सत्य की ही विजय होती है’।

राष्‍ट्रीय पंचांग

  • राष्‍ट्रीय कैलेंडर शक संवत पर आधारित है, चैत्र इसका माह होता है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ साथ 22 मार्च 1957 से सामान्‍यत: 365 दिन निम्‍नलिखित सरकारी प्रयोजनों के लिए अपनाया गया:
  1. भारत का राजपत्र,
  2. आकाशवाणी द्वारा समाचार प्रसारण,
  3. भारत सरकार द्वारा जारी कैलेंडर और
  4. लोक सदस्‍यों को संबोधित सरकारी सूचनाएं

राष्‍ट्रीय कैलेंडर ग्रेगोरियम कैलेंडर की तिथियों से स्‍थायी रूप से मिलती-जुलती है। सामान्‍यत: 1 चैत्र 22 मार्च को होता है और लीप वर्ष में 21 मार्च को।

राष्‍ट्रीय पशु

  • राजसी बाघ, तेंदुआ टाइग्रिस धारीदार जानवर है। इसकी मोटी पीली लोमचर्म का कोट होता है जिस पर गहरी धारीदार पट्टियां होती हैं। लावण्‍यता, ताकत, फुर्तीलापन और अपार शक्ति के कारण बाघ को भारत के राष्‍ट्रीय जानवर के रूप में गौरवान्वित किया है। ज्ञात आठ किस्‍मों की प्रजाति में से शाही बंगाल टाइगर (बाघ) उत्‍तर पूर्वी क्षेत्रों को छोड़कर देश भर में पाया जाता है और पड़ोसी देशों में भी पाया जाता है, जैसे नेपाल, भूटान और बांग्‍लादेश।
  • भारत में बाघों की घटती जनसंख्‍या की जांच करने के लिए अप्रैल 1973 में प्रोजेक्‍ट टाइगर (बाघ परियोजना) शुरू की गई। अब तक इस परियोजना के अधीन 27 बाघ के आरक्षित क्षेत्रों की स्‍थापना की गई है जिनमें 37, 761 वर्ग कि॰मी॰ क्षेत्र शामिल है।

राष्‍ट्रीय गीत

  • वन्‍दे मातरम गीत बंकिम चन्‍द्र चटर्जी द्वारा संस्‍कृत में रचा गया है; यह स्‍वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्ररेणा का स्रोत था। इसका स्‍थान जन गण मन के बराबर है। इसे पहली बार 1896 में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था।
 

राष्‍ट्रीय फल

  • एक गूदे दार फल, जिसे पकाकर खाया जाता है या कच्‍चा होने पर इसे अचार आदि में इस्‍तेमाल किया जाता है, यह मेग्‍नीफेरा इंडिका का फल अर्थात आम है जो उष्‍ण कटिबंधी हिस्‍से का सबसे अधिक महत्‍वपूर्ण और व्‍यापक रूप से उगाया जाने वाला फल है।
  • इसका रसदार फल विटामिन ए, सी तथा डी का एक समृद्ध स्रोत है। भारत में विभिन्‍न आकारों, मापों और रंगों के आमों की 100 से अधिक किस्‍में पाई जाती हैं। आम को अनंत समय से भारत में उगाया जाता रहा है। कवि कालीदास ने इसकी प्रशंसा में गीत लिखे हैं। अलेक्‍सेंडर ने इसका स्‍वाद चखा है और साथ ही चीनी धर्म यात्री व्‍हेन सांग ने भी। मुगल बादशाह अकबर ने बिहार के दरभंगा में 1,00,000 से अधिक आम के पौधे रोपे थे, जिसे अब लाखी बाग के नाम से जाना जाता है।

राष्‍ट्रीय खेल

  • जब हॉकी के खेल की बात आती है तो भारत ने हमेशा विजय पाई है। हमारे देश के पास आठ ओलम्पिक स्‍वर्ण पदकों का उत्‍कृष्‍ट रिकॉर्ड है। भारतीय हॉकी का स्‍वर्णिम युग 1928-56 तक था जब भारतीय हॉकी दल ने लगातार 6 ओलम्पिक स्‍वर्ण पदक प्राप्‍त किए। भारतीय हॉकी दल ने 1975 में विश्‍व कप जीतने के अलावा दो अन्‍य पदक (रजत और कांस्‍य) भी जीते। अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ ने 1927 में वैश्विक संबद्धता अर्जित की और अंतरराष्ट्रीय हॉकी संघ (एफआईएच) की सदस्‍यता प्राप्‍त की।

मुद्रा चिन्ह

  • भारतीय रुए का प्रतीक चिन्ह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आदान-प्रदान तथा आर्थिक संबलता को परिलक्षित कर रहा है। रुपए का चिन्ह भारत के लोकाचार का भी एक रूपक है। रुपए का यह नया प्रतीक देवनागरी लिपि के ‘र’ और रोमन लिपि के अक्षर ‘आर’ को मिला कर बना है, जिसमें एक क्षैतिज रेखा भी बनी हुई है। यह रेखा हमारे राष्ट्रध्वज तथा बराबर के चिन्ह को प्रतिबिंबित करती है। भारत सरकार ने 15 जुलाई 2010 को इस चिन्ह को स्वीकार कर लिया है।
  • यह चिन्ह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्बई के पोस्ट ग्रेजुएट डिजाइन श्री डी. उदय कुमार ने बनाया है। इस चिन्ह को वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित एक खुली प्रतियोगिता में प्राप्त हजारों डिजायनों में से चुना गया है। इस प्रतियोगिता में भारतीय नागरिकों से रुपए के नए चिन्ह के लिए डिजाइन आमंत्रित किए गए थे। इस चिन्ह को डिजीटल तकनीक तथा कम्प्यूटर प्रोग्राम में स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।

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