विधानपरिषद् की संरचना (Structure of legislative council)
- अनुच्छेद 171(1) के अनुसार राज्य की विधान परिषद के सदस्यों की कुल संख्या उस राज्य की विधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या के एक तिहाई से अधिक नहीं होगी |
- परंतु किसी राज्य की विधानपरिषद् के सदस्यों की कुल संख्या किसी भी दशा में 40 से कम नहीं होगी परंतु जम्मू कश्मीर में सदस्य संख्या 36 है| विधानपरिषद् के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से निम्नलिखित तरीके से होता है –
- विधान परिषद के ⅓ सदस्य राज्य की स्थानीय संस्थाओं, नगरपालिकाओं, जिला बोर्ड आदि के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा होता है |
- ⅓ सदस्य राज्य की विधानसभा के निर्वाचित सदस्य द्वारा चुने जाएंगे |
- 1/12 सदस्य राज्य में निवास करने वाले विश्वविद्यालय स्नातकों के निर्वाचित होंगे जो कम से कम 3 वर्ष पहले स्नातक कर चुके हो |
- 1/12 सदस्य उन अध्यापकों द्वारा चुने जाएंगे जो राज्य की हायर सेकंडरी स्कूलों या उच्च शिक्षा संस्थानों में कम से कम 3 वर्ष से पढ़ा रहे हो |
- ⅙ सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत होंगे जो राज्य की कला साहित्य विज्ञान समाज सेवा तथा सहकारिता से जुड़े हो |
विधानपरिषद् के सत्र सत्रावसान एवं विघटन (Session session and dissolution of legislative council)
- अनुच्छेद 174 में सत्र, सत्रावसान व विघटन संबंधी प्रावधान है |
- राज्य की विधानपरिषद् के संसद की भांति 3 सत्र होते हैं एक पत्र की अंतिम बैठक और दूसरे सत्र की प्रथम बैठक के बीच 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होगा विधानपरिषद् का विघटन नहीं होता है |
विधानपरिषद् के कार्य एवं शक्तियां (Functions and Powers of Legislative Council)
- विधानपरिषद् धन विधेयक को केवल 14 दिन तक ही रोक सकती है |
- सामान्य विधेयक को विधान परिषद ने पेश किया जा सकता है परंतु सामान्य विधेयक पर अंतिम शक्ति विधानसभा के पास है |
- विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को पहली बार में विधानपरिषद् 3 माह तक रोक सकती है यदि 3 माह बाद विधान सभा पुनः विधेयक को पारित कर दे तो सामान्य विधेयक को विधानपरिषद् 1 माह तक और रोक सकती है इस प्रकार विधानपरिषद् किसी विधेयक को अधिकतम 4 माह तक की रोक सकती है |
- जिन संशोधन विधेयक में राज्य विधानमंडल का समर्थन आवश्यक है एवं विधानपरिषद् भी भाग लेती है
विधानपरिषद् के अधिकारी (Legislative officials)
सभापति (President)
विधानपरिषद् सदस्य अपने बीच में से ही सभापति बनते हैं सभापति निम्न तीन मामलों में पद छोड़ सकता है –
- उसकी सदस्यता समाप्त हो जाए |
- उपसभापति को लिखित त्यागपत्र दे |
- यदि विधानपरिषद् में उपस्थित तत्कालीन सदस्य बहुमत से उसे हटाने का संकल्प पास कर दें इस तरह का प्रस्ताव 14 दिनों की पूर्व सूचना के बाद ही लाया जा सकता है |
- पीठासीन अधिकारी के रूप में परिषद के सभापति के कार्य एवं शक्तियां विधानसभा के अध्यक्ष के समान होती हैं सभापति का वेतन एवं भत्ते विधानमंडल तय करता है इन्हे राज्य की संचित निधि पर भारित किया जाता है और इसलिए इन पर राज्य विधानमंडल द्वारा वार्षिक मतदान नहीं किया जा सकता |
उपसभापति (Deputy Chairman)
उपसभापति को भी सदस्य अपने बीच में से ही चुनते हैं उपसभापति निम्न तीन मामलों में अपना पद छोड़ सकता है |
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- यदि वह सभापति को लिखित त्यागपत्र दे |
- यदि उसकी सदस्यता समाप्त हो जाए |
- यदि विधानपरिषद् में उपस्थित तत्कालीन सदस्य बहुमत से उसे हटाने का संकल्प पास कर दें इस तरह का प्रस्ताव 14 दिनों की पूर्व सूचना के बाद ही लाया जा सकता है |
- उपसभापति यदि सभापति अनुपस्थिति हो तो बैठकों की अध्यक्षता करता है पीठासीन होने पर उपसभापति की शक्तियां सभापति के समतुल्य होती हैं |
विधानपरिषद् सदस्य की योग्यताएं (Legislative Council Member’s Eligibility)
अनुच्छेद 173 के अनुसार, विधानपरिषद् के सदस्यों के लिए निम्नलिखित योग्यताएं निर्धारित की गई है-
- वह भारत का नागरिक हो |
- संसद द्वारा निश्चित अन्य योग्यताएं रखता हो |
- 30 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो |
- किसी न्यायालय द्वारा पागल दिवालिया ना घोषित किया गया हो |
- संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के अनुसार विधानसभा के लिए अयोग्य ना हो |
- साथ ही राज्य विधानमंडल का सदस्य होने की पात्रता हेतु उसका नाम राज्य के किसी विधानसभा क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में होना चाहिए |
विधानपरिषद् की अवधि (Duration of legislative council)
- विधान परिषद एक स्थाई सदन है इसके सदस्य 6 वर्ष के लिए चुने जाते हैं प्रत्येक 2 वर्ष पश्चात 1/3 सदस्य अवकाश प्राप्त कर लेते हैं और उनके स्थान पर नए सदस्य चुने जाते हैं |
- यदि कोई व्यक्ति मृत्यु या त्याग पत्र द्वारा हुई आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित होता है तो वह उस व्यक्ति या सदस्य की शेष अवधि के लिए ही सदस्य होगा |
वेतन एवं भत्ते (Pay and allowances)
विधानपरिषद् के सदस्यों को वही वेतन और भत्ते मिलती है जो राज्य विधानमंडल विधि द्वारा निर्धारित करता है |
विधान परिषद एवं विधानसभा की तुलना (Comparison of Legislative Council and Assembly)
विधान परिषद एवं विधानसभा की तुलना (Comparison of Legislative Council and Assembly)
विधानपरिषद (Legislative Council) |
विधानसभा (Assembly) |
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1 | विधानपरिषद राज्य विधानमंडल का उच्च सदन अथवा द्वितीय सदन होता है | | विधानसभा राज्य विधानमंडल का निम्न सदन अथवा प्रथम सदन होता है | |
2 | विधानपरिषद के सदस्यों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के आधार पर होता है | | विधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रुप से पूर्व वयस्क मताधिकार के आधार पर साधारण बहुमत की पद्धति द्वारा होता है | |
3 | विधानपरिषद के स्थाई निकाय है जिसका विघटन नहीं किया जा सकता परंतु एक तिहाई सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष की समाप्ति के बाद सेनानिवृत हो जाते हैं तथा उनके स्थान पर नए सदस्य निर्वाचित हो जाती है इनके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है | | विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है परंतु कार्यकाल पूर्ण होने के पूर्व मुख्यमंत्री के परामर्श पर राज्यपाल द्वारा इसे भंग किया जा सकता है | |
4 | विधानपरिषद के सदस्यों की संख्या अधिक से अधिक राज्य की विधानसभा के सदस्यों की संख्या की एक तिहाई होती है, परंतु वह 40 से कम किसी अवस्था में नहीं हो सकती | | विधान सभा के सदस्यों की संख्या अधिक से अधिक 500 तथा कम से कम 60 हो सकती है | |
5 | विधानपरिषद राज्य के कुछ विशेष वर्गों का प्रतिनिधित्व करती है | | विधानसभा की समस्त जनता का प्रतिनिधित्व करती है | |
6 | राज्य की मंत्रिपरिषद के प्रति उत्तरदाई नहीं होती | | राज्य की मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति उत्तरदाई होती है | |
7 | विधानपरिषद में मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उसे पदच्युत नहीं किया जा सकता| वह मंत्री परिषद के कार्यों की जांच आलोचना ही कर सकती है, जो प्रश्न एवं पूरक प्रश्न पूछ कर तथा स्थगन प्रस्ताव द्वारा किया जाता है | | विधानसभा मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उसे पदच्युत कर सकता है | |
8 | धन विधेयक विधानपरिषद में प्रस्तावित नहीं किया जा सकता | | धन विधेयक केवल विधानसभा में प्रस्तावित किया जा सकता है | |
9 | विधानपरिषद के सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन हेतु गठित निर्वाचक मंडल के सदस्य नहीं होते है | अर्थात विधान परिषद राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं ले सकते हैं | | विधानसभा के सभी निर्वाचित और राष्ट्रपति के निर्वाचन हेतु गठित निर्वाचक मंडल के सदस्य होते हैं| अर्थात विधानसभा के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग ले सकते हैं | |
विधान परिषद एवं विधानसभा की तुलना (Comparison of Legislative Council and Assembly)
विधानपरिषद (Legislative Council) |
विधानसभा (Assembly) |
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1 | विधानपरिषद राज्य विधानमंडल का उच्च सदन अथवा द्वितीय सदन होता है | | विधानसभा राज्य विधानमंडल का निम्न सदन अथवा प्रथम सदन होता है | |
2 | विधानपरिषद के सदस्यों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के आधार पर होता है | | विधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रुप से पूर्व वयस्क मताधिकार के आधार पर साधारण बहुमत की पद्धति द्वारा होता है | |
3 | विधानपरिषद के स्थाई निकाय है जिसका विघटन नहीं किया जा सकता परंतु एक तिहाई सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष की समाप्ति के बाद सेनानिवृत हो जाते हैं तथा उनके स्थान पर नए सदस्य निर्वाचित हो जाती है इनके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है | | विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है परंतु कार्यकाल पूर्ण होने के पूर्व मुख्यमंत्री के परामर्श पर राज्यपाल द्वारा इसे भंग किया जा सकता है | |
4 | विधानपरिषद के सदस्यों की संख्या अधिक से अधिक राज्य की विधानसभा के सदस्यों की संख्या की एक तिहाई होती है, परंतु वह 40 से कम किसी अवस्था में नहीं हो सकती | | विधान सभा के सदस्यों की संख्या अधिक से अधिक 500 तथा कम से कम 60 हो सकती है | |
5 | विधानपरिषद राज्य के कुछ विशेष वर्गों का प्रतिनिधित्व करती है | | विधानसभा की समस्त जनता का प्रतिनिधित्व करती है | |
6 | राज्य की मंत्रिपरिषद के प्रति उत्तरदाई नहीं होती | | राज्य की मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति उत्तरदाई होती है | |
7 | विधानपरिषद में मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उसे पदच्युत नहीं किया जा सकता| वह मंत्री परिषद के कार्यों की जांच आलोचना ही कर सकती है, जो प्रश्न एवं पूरक प्रश्न पूछ कर तथा स्थगन प्रस्ताव द्वारा किया जाता है | | विधानसभा मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उसे पदच्युत कर सकता है | |
8 | धन विधेयक विधानपरिषद में प्रस्तावित नहीं किया जा सकता | | धन विधेयक केवल विधानसभा में प्रस्तावित किया जा सकता है | |
9 | विधानपरिषद के सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन हेतु गठित निर्वाचक मंडल के सदस्य नहीं होते है | अर्थात विधान परिषद राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं ले सकते हैं | | विधानसभा के सभी निर्वाचित और राष्ट्रपति के निर्वाचन हेतु गठित निर्वाचक मंडल के सदस्य होते हैं| अर्थात विधानसभा के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग ले सकते हैं | |