1. साहित्यिक

2. पुरातात्विक

साहित्यिक स्रोत (Literary Sources)

 

साहित्यिक स्रोतों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है

(i) धार्मिक साहित्य (Religious Literature)

वेद

इसका अर्थ होता है- महत् ज्ञान, अर्थात् पवित्र एवं आध्यात्मिक ज्ञान, संपूर्ण वैदिक इतिहास की जानकारी के स्रोत वेद ही हैं. इनकी संख्या चार है- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद.

वेदांग

इनसे वेदों के अर्थ को सरल ढंग से समझा जा सकता है. इनकी संख्या 6 है- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द तथा ज्योतिष.

ब्राह्मण ग्रंथ

वेदों की गद्य रूप में की गई सरल व्याख्या को ब्राह्मण ग्रंथ कहा जाता है.

आरण्यक

 इसकी रचना जंगलों में की गई. इसे ब्राह्मण ग्रंथ का । अंतिम हिस्सा माना जाता है, जिसमें ज्ञान एवं चिंतन की प्रधानता है,

उपनिषद्

ब्रह्म विद्या प्राप्त करने के लिए गुरु के समीप बैठना, इन्हें वेदांत भी कहा जाता है

  • इनकी कुल संख्या 108 है, भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्यसत्यमेव जयते मुंडकोपनिषद् से लिया गया है.
  • इसी उपनिषद् में यज्ञ की तुलना टूटी नाव से की गई है.
  • श्रीकृष्ण का सर्वप्रथम उल्लेख छांदोग्यपनिषद् में हुआ है |
  • उपनिषदों से तत्कालीन भारत की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्थिति की जानकारी मिलती है.

महाकाव्य

रामायण एवं महाभारत भारत के दो प्राचीनतम महाकाव्य हैं. उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर इनका रचनाकाल चौथी शताब्दी ई०पू० से चौथी शताब्दी ई० के बीच माना जाता है.

  • रामायण– इसके रचनाकार महर्षि बाल्मीकि हैं. संस्कृत भाषा में लिखे इस महाकाव्य में कुल 24000 श्लोक हैं. इससे तत्कालीन भारत की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्थितियों की जानकारी मिलती है.
  • महाभारत– आरंभ में इसका नाम जयसंहिता था. इसके रचनाकार महर्षि वेदव्यास हैं. इसमें श्लोकों की मूल संख्या 8800 थी, लेकिन वर्तमान में कुल संख्या 1,00000 है. इसमें कुल 18 पर्व हैं.
  • श्रीमद्भागवतगीता भीष्मपर्व से संबंधित है. महाभारत का युद्ध 950 ई० पू० में लड़ा गया था, जो 18 दिनों तक चला, यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है. इसे पाँचवें वेद के रूप में मान्यता मिली है.

पुराण

इसे पंचमवेद भी कहा जाता है|

  • लोमहर्ष तथा उनके पुत्र उग्रश्रवा पुराणों के संकलनकर्ता माने जाते हैं. इनकी संख्या 18 है. इनमें मुख्य रूप से प्राचीन शासकों की वंशावली का विवरण है.
  • पुराणों में सर्वाधिक प्राचीन एवं प्रामाणिक मत्स्यपुराण है. यह सातवाहन वंश से संबंधित है.
  • विष्णु पुराण से मौर्य वंश तथा वायु पुराण से गुप्त वंश के विषय में जानकारी मिलती है.

बौद्ध साहित्य

यह मूल रूप से चार भागों में विभाजित है-जातक, त्रिपिटक, पालि एवं संस्कृत

  • जातक – यह बौद्धों का एक पवित्र ग्रंथ है. यह 550 कथाओं का एक संग्रह है. इसमें महात्मा | बुद्ध के पूर्व जन्मों की कहानियाँ वर्णित हैं. अजन्ता की चित्रकारी जातक की कहानियाँ दर्शाती है.
  • त्रिपिटक- त्रिपिटकों की भाषा प्राकृत है. ये तीन हैं- सुत्तपिटक, विनयपिटक एवं अभिधम्मपिटक,पालि ग्रंथ- प्राचीनतम बौद्ध ग्रंथ पालि भाषा में हैं.
  • मिलिंदपन्हो- इस बौद्ध ग्रंथ में यूनानी नरेश मिनाण्डर (मिलिंद) एवं बौद्ध भिक्षु नागसेन के बीच वार्तालाप का वर्णन है | दीपवंश- श्रीलंका (सिंहल द्वीप) के इतिहास पर प्रकाश डालने वाला यह पहला बौद्ध ग्रंथ है.
  • महावंश– इसमें मगध के राजाओं की क्रमबद्ध सूची है.
  • चूल वंश– इससे कैण्डी चोल साम्राज्य के विघटन की जानकारी मिलती है.

संस्कृत ग्रंथ

  • ललितविस्तार– संस्कृत भाषा में बौद्ध धर्म का यह पहला ग्रंथ है.
  • दिव्यावदान– इसमें शुंग वंश एवं मौर्य शासकों के विषय में वर्णन है.
  • जैन साहित्य– ये प्राकृत एवं संस्कृत भाषा में हैं, इन्हें आगम कहा जाता है.
  • आचराग सूत्र– इसमें जैन भिक्षुओं के विधि-निषेध एवं आचार-विचारों का वर्णन है.
  • भगवती सुत्र– इसमें महावीर स्वामी के जीवन तथा अन्य समकालिकों के साथ उनके संबंधों का विवरण है. इसी में 16 महाजनपदों का भी विवरण है

प्रमुख दर्शन

प्रवर्तक

चार्वाक (भौतिकवादी) चार्वाक
सांख्य कपिल
योग पतंजलि (योग सूत्र)
न्याय गौतम (न्याय सूत्र)
वैशेषिक कणाद या उलूक
पूर्व मीमांसा जैमिनी
उत्तर मीमांसा बादरायण (ब्रह्मसूत्र)

(ii) धर्मेत्तर साहित्य (Non-Religious literature)

  1. संगम साहित्य– इसमें चोल, चेर तथा पांड्य राज्यों के उदय का वर्णन है. इसमें कविताओं की कुल 30,000 पंक्तियाँ हैं. ये कविताएँ दो मुख्य समूहों (1.पटिनेडिकलकणक्कु तथा 2. पतुपात्तु) में विभाजित हैं. पहला समूह बाद वाले समूह से पुराना है.
  2. मनुस्मृति – यह सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक है. इससे तत्कालीन भारतीय राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्थितियों की जानकारी मिलती है. इसमें विवाह के आठ प्रकारों का उल्लेख है- ब्रह्म, दैव, आर्य, प्रजापत्य, गंधर्व, असूर, राक्षस एवं पैशाच. नोटः अनुलोम विवाह– उच्च वर्ग के पुरुष का निम्न वर्ग की स्त्री के साथ शादी करना अनुलोम विवाह कहलाता है.. प्रतिलोम विवाह- उच्च वर्ग की कन्या का निम्न वर्ग के पुरुष के साथ शादी करना प्रतिलोम विवाह कहलाता है.
  3. नारद स्मृति– इससे गुप्तवंश के विषय में जानकारी मिलती है.
  4. अर्थशास्त्र– आचार्य चाणक्य ( विष्णुगुप्त) या कौटिल्य द्वारा संस्कृत भाषा में रचित इस ग्रंथ को भारतीय राजनीति का पहला भारतीय ग्रंथ माना जाता है. लगभग 6000 श्लोकों वाले इस ग्रंथ में मौर्यकालीन राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक स्थितियाँ वर्णित हैं.
  5. मुद्राराक्षस– विशाखदत्त द्वारा रचित इस नाटक में चंद्रगुप्त मौर्य तथा उनके गुरु चाणक्य द्वारा नन्द वंश के पतन तथा मौर्य वंश की स्थापना का वर्णन है.
  6. मालविकाग्निमित्रम्– कालिदास द्वारा रचित इस ग्रंथ में पुष्यमित्र शुंग एवं उसके पुत्र अग्निमित्र के समय की राजनीतिक स्थिति तथा शुंग एवं यवन संघर्ष का वर्णन है.
  7. हर्षचरित– सम्राट् हर्ष के राजकवि बाणभट्ट द्वारा रचित इस ग्रंथ से हर्ष के जीवन एवं तत्कालीन भारतीय इतिहास के विषय में जानकारी मिलती है.
  8. स्वप्नवास्वदत्तं – महाकवि भास द्वारा रचित इस ग्रंथ में वत्सराज उदयन एवं चंडप्रद्योत के संबंधों का उल्लेख है.
  9. राजतरंगिणी – कल्हण द्वारा रचित इस पुस्तक का संबंध कश्मीर के इतिहास से है. इसे भारतीय इतिहास का प्रथम प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है.
  10. मृच्छकटिकम्– शूद्रक द्वारा रचित इस नाटक से गुप्तकालीन इतिहास की जानकारी मिलती है.
  11. विक्रमांकदेवचरित्– कश्मीरी कवि विल्हण द्वारा रचित इस ग्रंथ से चालुक्य राजवंश विशेषकर विक्रमादित्य पंचम के विषय में जानकारी मिलती है.
  12. कीर्ति-कौमुदी– सोमेश्वर द्वारा रचित इस काव्य से चालुक्यवंशीय इतिहास की जानकारी मिलती है.
  13. अवन्तिसुंदरी कथा– महाकवि दंडी द्वारा रचित इस ग्रंथ से दक्षिण भारत के पल्लवों के इतिहास की जानकारी मिलती है.
  14. अष्टाध्यायी– पाणिनी द्वारा रचित संस्कृत व्याकरण की यह प्रथम प्रामाणिक पुस्तक है

ग्रंथ

रचनाकार

काल

अष्टाध्यायी पाणिनी छठी शताब्दी ईसापूर्व
रामायण बाल्मीकि पांचवी शताब्दी ईसा पूर्व
महाभारत वेदव्यास चौथी शताब्दी ईसापूर्व
अर्थशास्त्र चाणक्य तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व
इंडिका मेगास्थनीज चंद्रगुप्त मौर्य (मौर्य काल)
पंचतंत्र विष्णु शर्मा दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व
महाभाष्य पतंजलि दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व
सत्सहसारिका सूत्र नागार्जुन कनिष्क काल
बुद्ध चरित्र अश्वघोष कनिष्क काल
सौंदरानंद अश्वघोष कनिष्क काल
स्वप्नवासवदत्ता भास गुप्त काल (300 ईसवी)
काम सूत्र वात्स्ययन गुप्तकाल (300 ईसवी)
कुमारसंभव कालिदास गुप्त काल
अभिज्ञान शाकुंतलम् कालिदास गुप्त काल
विक्रमोर्वशीयम् कालिदास गुप्त काल
मेघदूतम् कालिदास गुप्त काल
रघुवंशम् कालिदास गुप्त काल
मालविकाग्निमित्रम् कालिदास गुप्त काल
नाट्यशास्त्र भरतमुनि गुप्त काल
महाविभाषाशास्त्र वसुमित्र कनिष्क काल
देवीचंद्रगुप्तम विशाखदत्त गुप्त काल
मृच्छकटिकम् शूद्रक गुप्त काल
सूर्य सिद्धांत आर्यभट्ट गुप्त काल
वहत्ससहिंता बारह मिहिर गुप्त काल
कथासरित्सागर सोमदेव गुप्त काल

विदेशी लेखक एवं उनके साहित्य

  1. हेरोडोटस– इसे इतिहास का पिता कहा जाता है. इसने हिस्टोरिका नामक पुस्तक की रचना की, जिसमें भारत तथा ईरान (फारस) के बीच आपसी संबंधों का वर्णन है.
  2. मेगास्थनीज- यह चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था. इसके द्वारा रचित इंडिका नामक पुस्तक में मौर्यकालीन नगर प्रशासन तथा कृषि का वर्णन है.
  3. डायमेकस- यह सीरियन नरेश अन्तियोकस का राजदूत था, जो बिन्दुसार के दरबार में आया था.
  4. डायनोसियस- यह मिस्र नरेश टॉलमी फिलेडेल्फस का राजदूत था, जो बिन्दुसार के दरबार में आया था.
  5. प्लिनी- इसने नेचुरल हिस्टोरिका नामक पुस्तक लिखी. इसमें भारतीय पशु, पेड़-पौधों, खनिज पदार्थों आदि का वर्णन है.
  6. फाह्यान (399-415 ई०)- प्रथम चीनी यात्री जो चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासन काल में भारत आया था. अपनी पुस्तक में इसने तत्कालीन भारतीय राजनीतिक तथा सामाजिक स्थितियों का वर्णन किया है.
  7. ह्वेनसांग (629-644ई०)- इसे यात्रियों के सम्राट् या यात्रियों के राजकुमार के नाम से भी जाना जाता है. यह सम्राट् हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत आया था. इसके द्वारा लिखित यात्रा-वृतांत सी-यू-की से तत्कालीन भारत के संबंध में जानकारी मिलती है. इसने नालन्दा विश्वविद्यालय में अध्ययन तथा अध्यापन का कार्य किया.
  8. इत्सिंग– यह भी एक चीनी यात्री था. इसने 670 ई० के आस-पास भारत के बिहार प्रदेश का भ्रमण किया था. इसने नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन भी किया था.

रचनाकार

देश

रचना का नाम

मेगास्थनीज यूनान इंडिका
टॉलेमी यूनान ज्योग्राफी
प्लिनी यूनान नेचुरल हिस्टोरिका
अज्ञात यूनान/मिस्त्र पेरिप्लस ऑफ इरीथ्रियन सी
फाह्यान चीन ए रिकॉर्ड ऑफ बुद्धिस्ट कंट्रीज
ह्णेनसांग चीन एस्से ऑन बेस्ट इन वर्ल्ड
इत्सिंग चीन रिकॉर्ड ऑफ द बुद्धिस्ट रिलिजन एज प्रैक्टिस्ड इन इंडिया एंड मलाया
ह्मवली चीन लाइट ऑफ ह्णेनसांग
अलबरूनी अरब तहक़ीक़ ए हिंद
पुरातात्त्विक स्रोत (Archaeological Sources)
  • खुदाई के दौरान प्राप्त वे पुरानी वस्तुएँ, जिनसे इतिहास की रचना में सहायता मिलती है, पुरातात्विक स्रोत कहलाती हैं. इनमें अभिलेख, मुद्रा, स्मारक आदि प्रमुख हैं. जॉन कनिंघम को भारतीय पुरातत्त्व का पिता कहा जाता है
मुद्राएँ अथवा सिक्के 
  • प्राचीन भारत के गणराज्यों का अस्तित्व मुद्राओं से ही प्रमाणित होता है. उनपर अंकित तिथियों से कालक्रम को निर्धारित करने में सहायता मिलती है.
  • प्राचीन सिक्कों का अध्ययन न्यूमिसमेटिक्स कहलाता है |
  • भारत में प्राचीनतम सिक्का 5 वीं शताब्दी ई०पू० का है, जिसे आहत सिक्का (पंच मार्क) कहा जाता है. यह मुख्यतया चांदी धातु से निर्मित है.
  • भारत में सर्वप्रथम सोने का सिक्का हिन्द-यवन शासक द्वारा जारी किया गया.
  • भारत में सर्वाधिक सोने के सिक्के गुप्त शासकों द्वारा तथा शुद्धतम सोने के सिक्के कुषाण शासक कनिष्क द्वारा जारी किए गए.
  • सातवाहन शासकों ने सीसा तथा पोटीन के सिक्के जारी किए. इन्होंने सोने के सिक्के जारी नहीं किए
  • सर्वाधिक सिक्के मौर्योत्तर काल के तथा सबसे कम सिक्के गुप्तोतर काल के मिले है
अभिलेख

अभिलेख प्रायः स्तंभों, शिलाओं, ताम्रपत्रों, मुद्राओं, मूर्तियों, मंदिरों की दीवारों इत्यादि पर खुदे मिलते हैं. अभिलेखों का अध्ययन पुरालेखशास्त्र (Epigraphy) कहलाता है.

  • भारत का सबसे पुराना अभिलेख हड़प्पा काल का माना जाता है, जिसे अभी तक नही पढ़ा जा सका है |
  • प्राचीनतम पठनीय अभिलेख सम्राट् अशोक का है, जिसे पढ़ने में 1837 ई० में जेम्स प्रिंसेप को सफलता मिली थी.
  • सर्वाधिक अभिलेख मैसूर में पुरालेख शास्त्री के कार्यालय में संग्रहित है |
कुछ प्रमुख अभिलेख