राज्य में लोकगीतों के साथ-साथ लोक नृत्य का इतिहास भी प्राचीन है। राज्य के विभिन्न भागों में इन नृत्यों के विभिन्न प्रकार भिन्न भिन्न अवसरों पर देखने को मिलते हैं.
* धुबिया नृत्य
यह जो भी समुदाय द्वारा किया जाने वाला नृत्य है, जिसमें नृत्य के माध्यम से धोबी व गधे के संबंधों के तुलनात्मक अध्ययन की जानकारी प्राप्त होती है।
* ख्याल नृत्य
पुत्र रतन के जन्मोत्सव पर ख्याल नृत्य किया जाता है। इसके अंतर्गत रंगीन कागजों तथा बांसों की सहायता से मंदिर बनाकर फिर से उसे सिर पर रख का नृत्य किया जाता है।
* कलाबाजी नृत्य
इस नृत्य को अवध क्षेत्र के लोग करते हैं। इसमें नर्तक मोरबाजा लेकर कच्ची घोड़ी परबैठतार कृत्य करते हैं।
* कार्तिक नृत्य
यह बुंदेलखंड क्षेत्र में कार्तिक माह में मृतकों द्वारा श्री कृष्णा तथा गोपी चनकर किया जाने काला नृत्य है।
* दीपावली नृत्य
बुंदेलखंड के अहीरों द्वारा अनेकानेक दीपकों को प्रज्वलित करके किसी पड़े. कलस, बाली तथा साल में रख कर तथा उन प्रज्वलित दीयों की सिर पर रख कर नृत्य किया जाता है।
* राई नृत्य
यह नृत्य यूदेलताड की महिलाओं द्वारा किया जाता है। यहां की महिलाएं इस नृत्य की विशेषतः श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर करती है। इस को मयूर की भांति किया जाता है। इसलिए यह मयूर नृत्य भी कहलाता है।
* पाई ठंडा नृत्य
युदेलखंड इलाके के अहीरों द्वारा खोटे-सोचे हे लेकर गुजरात के डांडिया नूता के समान यह नृत्य किया जाता है।
* देवी नृत्य
यह नृत्य अधिकांश बुक्षेत्र में ही प्रचलित है। इस लोक नृत्य में एक नर्तक देवी का स्वरूप धरकर अन्य नर्तकों के सामने खड़ा रहता है तथा उसके सम्मुख सभी नृत्य करते हैं।
* नटवरी नृत्य
यह नृत्य प्रदेश के पूर्वाचल क्षेत्र के अहीरों द्वारा किया जाता है। यह नृत्य गीत व नक्कारे के सुरों पर किया जाता है।
* छपेली नृत्य
एक हाथ में उमाल तथा दुसरे में दर्पण लेकर किए जाने वाले इस नृत्य में आध्यात्मिक समुत्रति की कामना की जाती है।
* छोलिया नृत्य
राजपुतों द्वारा यह नृत्य विचार उत्सव पर किया जाता है। इस नून्य को करते समय एक हाथ में तलवार तथा दूसरे में बाल होती है।
चरकुला नृत्य
बजवासियों द्वारा किए जाने वाले इस पड़ा नृत्य में बैलगाड़ी अपक रव के पहिए पर अनेक घड़े रखे जाते हैं, फिर उसे सिर पर रख कर नृत्य किया जाता है।
धुरिया नृत्य
दुदेलखंड के प्रजापति (कुमार) लोग इस नृत्य को सनी वेश धारण करवी वारते हैं।
* पासी नृत्य
पासी जाति के लोगों द्वारा यह नृत्य किया जाता है। इस तुत्य में सारा अलग-अलग मुद्रा ओंकी एक गति तथा एक ही लय में युद्ध की भांति नृत्य किया जाता है।
* शेरा नृत्य
यह नृत्य बुंदेलखंड वासी कृषक अपनी फसलों को काटते समय होर्यालाश प्रकट वारने के उद्देश्य से करते हैं।
* घीवर नृत्प
यह नृत्य अनेक शुभ अवसरों पर विशेष रूप से कहार जाति के लोगों द्वारा किया जाता है।
* जोगिनी नृत्य
इस नृत्य को विशेषकर रामनवमी के त्यौहार पर हर्षोल्लास के साथ किया जाता है। इसके अंतर्गत कुस पुरुष महिलाओं का रूप धारण करके साधुओं के रूप में नृत्य करते हैं।
* धोबिया नृत्य
यह नृत्य मांगलिक शुभ अशारों पर किया जाता है। इसमें एक नर्तक अन्य नर्तकों के घेरे के आदर काव्यी घोड़ी पर बैठकर नृत्य करता है।
राज्य में नृत्य परंपरा से संबंधित तथ्य
- लोक नृत्य नटरी में नर्तक कुरती लड़ते, कबड्डी खेलते तथा चिड़ियों जैसा व्यचहाट करते हैं।
- करमा लोकनृत्य के अंतर्गत नर्तक पुत्वकाते हुए वृक्षों में पलिपी तथा डालियो काटकर करमा लोकनृत्य के अंतर्गत नर्तक फुदकते हुए बुक्षों से पश्तियों तथा दालियो काटकर पूजारी को लाकर देते हैं तथा नृत्य करते हुए इन वृक्षों की पत्तियों तथा शाखाएं सराच के साथ नर्तकी द्वारा चढाई जाती है।
- होम जाति के प्रति आदर प्रदर्शित करने हेतु धसीया तथा गोड जनजातियों के नर्तक होमकच नृत्य करते हैं।
- मिर्जापुर के घरकनही नृत्य में पुरुष उछल कूच तथा कलाबाजी का प्रदर्शन करते हैं।